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हिमाचल में 'आशियानों' पर पड़ी महंगाई की मार, 10 महीने में तीन बार बढ़े सीमेंट के दाम

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Published : Dec 5, 2020, 5:26 PM IST

हिमाचल से भी कई प्रवासी मजदूर कोरोना काल में अपने घरों को लौट गए. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान निर्माण कार्य पूरी तरह बंद रहे. अब जब मजदूर मिल रहे हैं तो महंगाई ने इस काम को और बोझिल कर दिया है. घर बनाने के लिए जरूरी निर्माम सामग्री की बढ़ती कीमतों के कारण आशियाना बनाने का सपना मुश्किल सा दिख रहा है. घर बनाने के लिए जरूरी सीमेंट ही आम आदमी की जेब पर भारी पड़ रहा है.

हिमाचल में सीमेंट के दाम, price of cement in himachal
high prices of cement in himachal

धर्मशाला: कोरोना काल के दौरान हर वर्ग हर क्षेत्र प्रभावित हुआ. जिन लोगों ने रोजी रोटी के लिए दूसरे शहर का रुख किया था वे मायूसी के साथ अपने घरों को लौट आए. अगर कोरोना महामारी से सबसे अधिक कोई प्रभावित हुआ तो वो देश का मजदूर वर्ग है. महामारी के दौरान वे पैदल ही अपने घरों की ओर निकल पड़े थे.

इससे हुआ ये कि देशभर में विकास कार्यों पर ब्रेक लग गया. मजदूर नहीं मिलने से ना घर बन पाए और ना ही कोई अन्य विकासात्मक कार्य हुए. हिमाचल से भी कई प्रवासी मजदूर कोरोना काल में अपने घरों को लौट गए. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान निर्माण कार्य पूरी तरह बंद रहे.

जिन लोगों ने अपने नए घर बनाने थे वो लॉकडाउन के दौरान ऐसा नहीं कर सके, लेकिन अब जब मजदूर मिल रहे हैं तो महंगाई ने इस काम को और बोझिल कर दिया है. घर बनाने के लिए जरूरी निर्माम सामग्री की बढ़ती कीमतों के कारण आशियाना बनाने का सपना मुश्किल सा दिख रहा है. घर बनाने के लिए जरूरी सीमेंट ही आम आदमी की जेब पर भारी पड़ रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

ठगा हुआ महसूस करते हैं हिमाचली

हिमाचल प्रदेश में पिछले काफी लंबे समय से सीमेंट की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. हिमाचल के लोग सीमेंट के दामों को लेकर हमेशा ठगा हुआ महसूस करते हैं. ये हमेशा देखने को मिला है कि हिमाचल में ही बनने वाला सीमेंट हिमाचल के लोगों को महंगे दामों पर मिलता है.

हिमाचल में सीमेंट की तीन बड़ी कंपनियों एसीसी, अंबुजा और अल्ट्राटेक के प्लांट हैं. हिमाचल में उत्पादन के बावजूद सूबे के लोगों को यह महंगे दामों पर मिलता है. सरकार इसके पीछे की वजह माल ढुलाई और लोजिस्टिक बताती है. सरकार यह भी तर्क देती है कि सीमेंट के दामों को राज्य सरकार तय नहीं करती.

इस साल तीन बार बढ़े सीमेंट के दाम

इस साल पहली बार जनवरी महीने में दो बार पांच-पांच रुपये दाम बढ़ाए. यानी प्रति बैग दस रुपये बढ़ाए गए. एसीसी का सीमेंट बैग दाम बढऩे पर 374 रुपये का हो गया था. फिर अप्रैल महीने में सीमेंट के दाम प्रति बैग दस रुपये बढ़ाए गए थे. बाद में अक्टूबर महीने में और दस रुपये बढ़ाए गए. अब अंबुजा सीमेंट का एक बैग 407 रुपये का मिल रहा है. एसीसी सीमेंट 410 रुपये प्रति बैग है. सीमेंट कंपनियों ने इस साल कुल तीन बार दाम बढ़ाए.

निर्माण कार्य प्रभावित करते हैं सीमेंट की बढ़ते दाम

धर्मशाला के रहने वाले प्रॉपर्टी डीलर गुरविंदर सिंह कहते हैं कि सीमेंट की बढ़ती कीमतें काम को सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं. एक घर बनाने के लिए सीमेंट सबसे जरूरी सामग्री में आता है. अगर सीमेंट की कीमत बढ़ती है तो प्रॉपर्टी डीलर के काम पर भी असर डालती है.

धर्मशाला में अपना होटल बना रहे अधिवक्ता अंकुश सोनी बताते हैं कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जब लॉकडाउन लगाया गया था तो उस वक्त निर्माण कार्य बहुत बड़े स्तर पर प्रभावित हुआ था. कीमतें बढ़ती हैं तो काम में लगने वाली लागत भी प्रभावित होती है.

अंकुश बताते हैं कि दूसरे राज्यों की अपेक्षा हिमाचल में सीमेंट महंगा मिलता है. एक साल पहले जब उन्होंने होटल बनाने का काम शुरू किया था तो उस वक्त सीमेंट की कीमत तीन सौ रुपये के आसपास पड़ती थी, जबकि आज यह कीमत 400 से अधिक हो गई है.

धर्मशाला के ही सरकारी ठेकेदार अंकुर महाजन भी कहते हैं कि सीमेंट की कीमतें उनके काम को भी प्रभावित करती हैं. इसके सबसे बड़ा कारण यह भी है कि सीमेंट भले ही सस्ते दाम पर मिलता हो, लेकिन उसकी ढुलाई उन्हें काफी महंगी पड़ जाती है. इसके अलावा सीमेंट भी समय पर उपलब्ध नहीं होता. सरकारी काम शुरू करने के लिए दबाव रहता है, लेकिन सीमेंट नहीं मिल पाता.

पुष्पिंदर शर्मा की धर्मशाला में सीमेंट का कारोबार करते हैं. वो बताते हैं कि जब दाम बढ़ते हैं तो ग्राहक सोचता है कि आगामी दिनों में कीमतें कम हो जाएंगी. इस वजह से काम पर भी असर पड़ता है. कीमतें जब भी बढ़ती हैं तो उस समय काम भी कम होता है.

सीमेंट के दाम और सरकार की भूमिका

हिमाचल में सीमेंट की कीमतों में उतार-चढ़ाव और इसमें राज्य सरकार की भूमिका को लेकर वरिष्ठ पत्रकार उदय वीर पठानिया कहते हैं कि सीमेंट की कीमत का असर हर जगह पड़ता है. वो बताते हैं कि सीमेंट की कीमतें सरकारी काम के लिए अलग होती है और निजी काम के लिए अलग और जब कीमतें बढ़ती है तो उसमें असर पड़ता है. सीमेंट की कीमतों का सबसे ज्यादा असर आम आदमी पर पड़ता है.

सरकार की भूमिका को स्पष्ट करते हुए उदयवीर बताते हैं कि सीमेंट कंपनियों का नियंत्रण सरकार के ऊपर है, जबकि सरकार का कंपनियों के ऊपर कोई नियंत्रण नहीं है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में आम लोगों के लिए सीमेंट की कीमतें हमेशा चिंता वाली रही हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि आगामी समय में यह चुनावी मुद्दा भी हो सकता है. हैरानी की बात है कि हिमाचल में सुविधाएं लेकर ये कंपनियां हिमाचल में ही महंगा बेच रही हैं, जबकि देश के अन्य राज्यों में यही कंपनियां कम दाम पर सीमेंट बेचती हैं. उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश में सीमेंट की कीमतों को नियंत्रण कर सकती है.

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