पालमपुर/कांगड़ा: कोरोना काल में जहां पूरी दुनिया जरूरतमंदों की मदद कर रही है. ऐसे दौर में एक नियोक्ता(मालिक) ने मेहनतकश कामगारों का लगभग एक करोड़ रूपये डकार लिया है. मामला सरकारी छत्रछाया में चल रहे चौधरी श्रवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर का है. जहां पर करीब साढ़े सात सौ कर्मचारियों की मेहनत की कमाई पर डाका डाला गया है. ये सारे कर्मचारी आउटसोर्स आधार पर कृषि विश्वविद्यालय में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
कर्मचारियों को नहीं मिल रही ईपीएफ राशि
इन कर्मचारियों को UTRI यानि यूनिवर्सल ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट के माध्यम से तैनाती दी गई है. आउट सोर्स आधार पर तैनात इन कर्मचारियों को कम्पनी की ओर से प्रतिमाह तय वेतन मिलता है और इनकी बेसिक सेलरी का 12 प्रतिशत ईपीएफ खाते में जमा करवाया जाता है. वर्षों से सेवाएं दे रहे कर्मचारियों ने बताया कि पिछले छह महीने से उनके खाते में जमा होने वाली ईपीएफ की राशि जमा नहीं करवाई गई है.
यह राशि हर महीने लाखों में बनती है जो छह महीने में करीब एक करोड़ तक पहुंच गई है. कर्मचारियों का कहना है कि महंगाई के दौर में यूं ही जीना मुश्किल हो गया है, बचत नहीं होती. केवल ईपीएफ फंड में होने वाली कटौती ही बचती है, लेकिन पिछले छह महीने में उनके ईपीएफ खाते में फूटी कौड़ी तक नहीं डाली गई है. नियमानुसार यह राशि प्रतिमाह जमा होनी चाहिए, लेकिन यूटीआरआई प्रबंधन ने इस नियम को पूरी तरह दरकिनार कर सैकड़ों कामगारों की कमाई पर हाथ साफ कर दिया है जिससे विश्वविद्यालय के ये 750 कर्मचारी बेहद निराश हैं.
कर्मचारियों की दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
नियोक्ता के हाथों लुटे ये कर्मचारी इस कद्र डरे हुए हैं कि अपने हक कि आवाज बुलंद करने से भी डर रहे हैं. नाम न छापने की शर्त पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कई आउटसोर्स कर्मियों ने बताया कि अगर उनका नाम सामने आ जाए तो बेरोजगारी के दौर में उनको या तो अपनी इस नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है. इसलिए वे अपने साथ हुए इस अन्याय को चुपचाप सहने के लिए मजबूर हैं. लाचार कर्मचारियों ने करबद्ध निवेदन करते हुए उनके साथ हुए अन्याय को विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और सरकार के समक्ष उठाने और दोषी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.
जल्द कर्मचारियों के खाते में डाली जाएगी राशि
कर्मचारियों ने बताया कि उनको वर्ष भर में चंद अवकाश मिलते हैं, लेकिन अगर इसके अतिरिक्त अगर उनको कभी छुट्टी लेनी पड़ जाए तो उनको दोहरी मार पड़ती है. जिस दिन छुट्टी ली हो उस दिन का वेतन तो कटता ही है. साप्ताहिक अवकाश का वेतन भी काट लिया जाता है जो सरासर अन्याय है.
उधर इस संबंध में यूटीआरआई के निदेशक नरेश चौहान से जब इस संबंध में कर्मचारियों का ईपीएफ की राशि हड़पने बारे पूछा तो उन्होंने माना कि किसी कारणवश कर्मचारियों के खाते में छह माह की राशि जमा नहीं कर पाए. उन्होंने बताया कि दिसम्बर 2020 तक की राशि क्लीयर करवा दी है. जल्द ही तीन महीने की बची हुई राशि को कामगारों और कर्मचारियों के खाते में जमा करवा दी जाएगी.
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