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हिमाचल में JOA IT Paper Leak ने बटोरी सुर्खियां, क्या अब सुक्खू सरकार आयोग में करेगी सर्जिकल स्ट्राइक ?

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Published : Dec 24, 2022, 7:51 PM IST

Updated : Dec 24, 2022, 8:19 PM IST

JOA IT exam paper leak case in Himachal
JOA IT exam paper leak case in Himachal

हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर पेपर लीक मामले का कैसे पता चला और कब पेपर लीक हुआ और अब तक कौन कौन इस मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं इस बारे में आपको बताएंगे. पढ़ें पूरी खबर...(JOA IT exam paper leak case in Himachal)

हमीरपुर: पिछली भाजपा सरकार की घोषणाओं को डी नोटिफाई करने की चर्चाओं के बीच हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर पेपर लीक मामला अब सुर्खियां बटोर रहा है. रिपोर्ट में सिलसिलेवार तरीके से हम आपको बताएंगे कि कैसे पेपर लीक कांड का भंडाफोड़ हुआ और जांच में अब तक क्या-क्या सामने आया है. हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में अब तमाम व्यवस्था पर सुक्खू सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक भी तय मानी जा रही है.(JOA IT exam paper leak case in Himachal)

क्या है मामला: मामला हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग जूनियर ऑफिस असिस्टेंट पोस्ट कोड 965 के पेपर लीक का है. यह परीक्षा 25 दिसंबर यानी रविवार को प्रस्तावित थी. जिसके लिए एक लाख से अधिक अभ्यर्थियों को एडमिट कार्ड जारी किए गए थे. इस परीक्षा के आयोजन से 2 दिन पहले ही 23 दिसंबर को यह पेपर लीक कांड सामने आया. इस मामले में अभी तक कर्मचारी चयन आयोग की गोपनीय ब्रांच में कार्यरत वरिष्ठ सहायक उमा आजाद, उसके बेटे निखिल आजाद तथा दलाल संजय और अन्य 2 अभ्यर्थियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. 5 लोगों के अलावा उमा आजाद के बेटे निखिल आजाद के साथ काम करने वाले नीरज को भी गिरफ्तार किया गया है. इन सभी आरोपियों को विजिलेंस की टीम हमीरपुर में अदालत में पेश कर रही है.

22 दिसंबर को लीक हो गया था पेपर: 22 दिसंबर को ही यह पेपर लीक हो गया था. दरअसल 22 दिसंबर को दलाल संजय ने अभिलाष नाम के अभ्यर्थी को अप्रोच किया था और ₹400000 में पेपर ऑफर किया था. जबकि 23 दिसंबर को सीलबंद इन पेपर को प्रदेश भर के सभी परीक्षा केंद्रों के लिए भेजा गया था. जिन टीमों को प्रदेश भर में भेजा गया था उनमें एक टीम में मुख्य आरोपी उमा आजाद भी शामिल थी. महिला 23 दिसंबर को घुमारवीं में एसडीएम के सामने रिपोर्ट करने के बाद फिर हमीरपुर लौट आई थी और यहां पर पेपर और रिश्वत की राशि के साथ रंगे हाथों पकड़ी गई.

कैसे हुआ मामले का खुलासा, कौन था किंगपिन: महिला कर्मचारी साल 2019 से कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के गोपनीय ब्रांच में तैनात थी. 22 दिसंबर को अभिलाष नाम के अभ्यर्थी को जूनियर ऑफिस असिस्टेंट पोस्ट कोड 965 के प्रश्न पत्र का ऑफर संजय नाम के दलाल द्वारा दिया गया. अभ्यर्थी अभिलाष ने ऑफर मिलने के बाद विजिलेंस के बड़े अधिकारियों को इसकी सूचना दी. अविनाश के पास पैसे नहीं थे. अविनाश के साथ मिलकर विजिलेंस की टीम ने ट्रैप बिछाया. 23 दिसंबर को 1:15 बजे के करीब NIIT हमीरपुर नाम के संस्थान में शिकायतकर्ता अभिलाष दलाल संजय से मिला. यहां पर बातचीत के बाद संजय अविनाश को अपने साथ नगर परिषद हमीरपुर के वार्ड नंबर 7 में स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में मुख्य आरोपी उमा आजाद के घर में ले गया. यहां पर उसका बेटा निखिल आजाद और उसका दोस्त नीरज भी मौजूद था. यहां पर पैसे का लेन-देन शुरू हुआ. इसी बीच विजिलेंस थाना हमीरपुर की टीम मौके पर पहुंच गई और आरोपियों को रंगे हाथों हल किए गए प्रश्नपत्र तथा नगदी के साथ दबोचा गया. विजिलेंस की तरफ से आधिकारिक तौर पर ₹5000 की नकदी पकड़े जाने की बात कही गई.

महिला अधिकारी ने बेटे के जरिए किया था सौदा: जांच में यह बात सामने आई है कि मुख्य आरोपी उमा आजाद के छोटे बेटे निखिल आजाद की पेपर को बेचने में मुख्य भूमिका रही है. 4 लाख रुपए में परीक्षा के प्रश्न पत्र का सौदा किया था. निखिल इस खरीद-फरोख्त में दलाल संजय के साथ सीधे तौर पर जुड़ा था. निखिल ने जूनियर ऑफिस असिस्टेंट पोस्ट कोड 965 के लिए खुद भी आवेदन किया था और उसको भी एडमिट कार्ड आयोग की तरफ से जारी किया गया था. वह भी लीक किए गए प्रश्न पत्र को पढ़कर परीक्षा देने वाला था लेकिन दो दिन पहले ही मामले का भंडाफोड़ हो गया.

देर रात 11:30 बजे तक चलती रही जांच: मुख्य आरोपी उमा आजाद के घर में विजिलेंस की टीम शुक्रवार रात 11:30 बजे तक छानबीन में जुटी रही. मामले में यह जानकारी सामने आई है कि आरोपी से रिश्वत की महज ₹5000 की राशि बरामद हुई है. बताया जा रहा है कि लाखों रुपए में इस सॉल्वड पेपर का सौदा किया गया था. लेकिन बाद मे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि मौके से महज ₹5000 बरामद हुए हैं. डीएसपी रेनू शर्मा ने देर रात मीडिया कर्मी से रूबरू होते हुए बड़ा खुलासा किया और उन्होंने बताया कि रिश्वत की महज ₹5000 की राशि अभी तक बरामद हुई है.

मुख्य आरोपी पहले भी एक मामले में रह चुकी है सस्पेंड: इस महिला का चयन हिमाचल प्रदेश सचिवालय के लिए हुआ था लेकिन बाद में कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में महिला ने वर्ष 2001 में ज्वाइन किया. वह 21 साल से आयोग में सेवाएं दी रही हैं. तीन साल पहले ही आयोग ने महिला को गोपनीय शाखा में वरिष्ठ सहायक के पद पर नियुक्त किया. यह जानकारी सामने आई है कि जनवरी 2023 में महिला की पदोन्नति अधीक्षक के पद पर होनी है, लेकिन उससे पहले ही महिला, विजिलेंस के रडार में आ गई. कर्मचारी रहते हुए बड़ा गबन करने वाली है महिला चंद दिनों में ही अफसर बनने वाले थी. जाली दस्तावेज प्रस्तुत करने के एक मामले में भी यह महिला सस्पेंड रह चुकी हैं.

महिला कर्मी के बेटे ने 9 महीने में आयोग की दो परीक्षाएं की थी पास: आरोपी महिला का बड़ा बेटा नितिन आजाद एक परीक्षा में तो टॉप पर भी रहा था हालांकि इस परीक्षा को टॉप करने के बाद नौकरी की जॉइनिंग करने के 3 महीने के भीतर ही उसने इस्तीफा दे दिया था. नितिन आजाद कृषि उपज एवं विपणन समिति हमीरपुर में नीलामीकर्ता की नौकरी पर लगा था. 5 मार्च 2022 को हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के तरफ से कृषि उपज एवं विपणन समिति के नीलामीकर्ता के 6 पदों का परिणाम घोषित किया गया था, जिसमें उमा आजाद का बेटा नितिन आजाद 71.73 अंक लेकर टॉपर रहा था. परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद नितिन आजाद हमीरपुर में कृषि उपज एवं विपणन समिति में नौकरी ज्वाइन तो की लेकिन 3 महीने के भीतर इस्तीफा दे दिया और 2 महीने बाद फिर कर्मचारी चयन आयोग की एक और परीक्षा को पास कर लिया. जूनियर ऑफिस असिस्टेंट पोस्टकोड 965 के पेपर लीक से महज 8 दिन पहले कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से मार्केट सुपरवाइजर के 12 पदों का परीक्षा परिणाम घोषित किया गया था, जिसमें नितिन आजाद ने 70.50% अंक हासिल किए थे. यह पद भी कृषि उपज एवं विपणन समिति में ही भरा जाना था हालांकि नितिन आजाद अभी नौकरी ज्वाइन नहीं कर पाया था.

कर्मचारी चयन आयोग में 6 साल से एक ही सेक्रेटरी: प्रारंभिक छानबीन में यह सामने आया है कि कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे भी खराब हैं. हालांकि यह कैमरे कब से खराब हैं यह भी जांच का विषय है. माना जा रहा है कि सीसीटीवी की फुटेज से तमाम छानबीन में एक बड़ी कड़ी साबित हो सकती है लेकिन यदि सीसीटीवी कैमरे खराब होंगे तो छानबीन टेढ़ी खीर साबित होगी. गौरतलब है कि कर्मचारी चयन आयोग में सेक्रेटरी जितेंद्र कंवर पिछले 6 साल से लगातार एक पद पर बने हुए हैं. ऐसे में यह भी सवाल उठ रहे हैं कि प्रदेश में सरकारी रोजगार की परीक्षाएं आयोजित करने वाली सबसे बड़ी एजेंसी में सचिव पद पर एक ही अधिकारी इतने लंबे समय से कैसे और किन नियमों के तहत बने रहे. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार में कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में एक बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक हो सकती है.

आयोग को FIR कॉपी मिलने के बाद सस्पेंड होगी महिला: यह माना जा रहा है कि कर्मचारी चयन आयोग को आधिकारिक तौर पर एफआईआर की कॉपी मिलने के बाद महिला कर्मचारी को सस्पेंड किया जाएगा. हालांकि अभी तक FIR की लिखित कॉपी आयोग को नहीं मिल पाई है. माना यह भी जा रहा है कि इस मामले में कर्मचारी चयन आयोग के कई अधिकारी और कर्मचारी भी जांच के दायरे में आ सकते हैं. आयोग के कार्यालय में तमाम व्यवस्था का स्कैन होने वाला है और इस स्कैन में कौन-कौन खरा उतर पाता है यह महत्वपूर्ण रहेगा.

1 लाख से अधिक बेरोजगारों ने किया था आवेदन: आयोग ने परीक्षा भी रद्द कर दी है. आयोग ने मई 2022 में 198 पदों के लिए आवेदन मांगे थे. अक्टूबर में 121 पद और जोड़े गए. 319 पदों के लिए 476 परीक्षा केंद्रों में 1,03,344 अभ्यर्थियों ने परीक्षा देनी थी. लेकिन यह पहली बार नहीं जब हिमाचल में किसी भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ हो. इससे पहले भी कई बार पेपर लीक हो चुके हैं जोकि सभी के लिए चिंता का विषय है. बताया जा रहा है कि अब तमाम परीक्षा केंद्रों से पेपर को वापस लाया जा रहा है और देर रात तक के सारे पेपर कर्मचारी चयन आयोग के कार्यालय में पहुंच जाएंगे.

कर्मचारी चयन आयोग में घोटाले नए नहीं: वर्ष 2001-02 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के कार्यकाल में सरकारी पदों पर भर्तियां हुई थीं. प्रदेश में भाजपा की सरकार के रहते चयन बोर्ड के माध्यम से हुई इन भर्तियों में धांधली के आरोप लगे थे. वर्ष 2004 में सत्ता परिवर्तन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस भर्ती फर्जीवाड़े के मामले में जांच के आदेश दिए थे. विजिलेंस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की और चालान कोर्ट में पेश किया. आरोप साबित होने पर हमीरपुर सत्र न्यायालय ने चयन बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन समेत छह को सजा सुनाई थी. सभी हाईकोर्ट चले गए. कोर्ट ने भ्रष्टाचार समेत अन्य धाराएं हटाते हुए एक-एक साल का कारावास और पांच-पांच हजार जुर्माने की सजा सुनाई. सर्वोच्च न्यायालय में अपील खारिज होने के बाद सभी को विजिलेंस ने गिरफ्तार कर लिया, जिन्हें बाद में जेल भेज दिया गया.

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Last Updated :Dec 24, 2022, 8:19 PM IST
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