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लोगों को सेवाभाव सिखा रही बुजुर्गों की टोली, मरीजों के मुफ्त खाने से लेकर गरीब छात्रों की शिक्षा का करते हैं इंतजाम

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Published : Aug 13, 2022, 6:11 PM IST

लोगों को सेवाभाव सिखा रही बुजुर्गों की टोली
लोगों को सेवाभाव सिखा रही बुजुर्गों की टोली

हमीरपुर जिले का धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान समाज सेवा के क्षेत्र में मिसाल कायम कर रहा है. कुछ बुजुर्गों द्वारा शुरू की गई एक पहल आज कई लोगों को पेट भर रही है. 5 लोगों द्वारा शुरू की गई इस पहल को आज 3500 लोगों का साथ मिल रहा है. जिसकी मदद से ये संस्थान अस्पताल में मरीजों और तीमारदारों को तीन वक्त का मुफ्त खाना बांट रहे हैं.

हमीरपुर : देश आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) मना रहा है. आजादी के 75 वर्षों में देश ने हर मोर्चे पर तरक्की (Indian Independence Day) की है. लेकिन इस तरक्की में हिस्सेदारी उन संस्थाओं की भी है जिन्होंने अपने फायदे के लिए नहीं बल्कि समाज की बेहतरी के लिए सेवा का रास्ता चुना और एक मिसाल पेश की (Changemakers) है. क्योंकि उन्होंने दूसरों की बेहतरी में अपना फायदा देखा, ऐसे लोग और एसी संस्थाएं समाज में बदलाव की बयार (Changemakers) लाती हैं. ऐसी ही एक संस्था है हिमाचल के हमीरपुर जिले में काम कर रही धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान, सीनियर सिटीजन काउंसिल हमीरपुर की पहल से मेडिकल काॅलेज हमीरपुर में धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान मरीजों और तीमारदारों को तीन टाइम का निशुल्क भोजन दशकों से (Free Food NGO in Himachal) उपलब्ध करवा रही है.

मरीजों को देते हैं मुफ्त खाना- यह संस्था पिछले ढाई दशक से मानवता की सेवा में जुटी है. खास बात यह है कि इस संस्था में बुजुर्ग नागरिक अहम भूमिका निभा रहे हैं. सीनियर सिटीजन काउंसिल हमीरपुर की पहल से हमीरपुर मेडिकल कॉलेज (hamirpur medical college) में धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान मरीजों और तीमारदारों को तीन वक्त का निशुल्क भोजन मुहैय्या करवाते (NGO provides free food to patients) हैं. ये संस्था पिछले करीब ढाई दशक से ये काम कर रही है. इस संस्था के संस्थापक सदस्यों की उम्र आज 89 और 93 साल की हो चली है लेकिन सेवा को लेकर उनका जज्बा आज भी कायम है.

लोगों को सेवाभाव सिखा रही बुजुर्गों की टोली

कोरोना काल में भी जारी रहा लंगर- साल 1997-98 में पांच लोगों ने मिलकर इस काम को शुरू किया था. तब मरीजों को दूध, दलिया ब्रेड दी जाती थी. सैंकड़ों लोगों को खाना उपलब्ध करवाने वाली इस संस्था में महज पांच सेवादार (Free Food NGO) है जबकि दर्जनों लोग सेवा भाव से इनके साथ जुड़े हुए हैं. जिसकी वजह से आज ये हमीरपुर के अस्पताल में तीन वक्त का निशुल्क खाना मुहैया करवाते हैं. मरीजों के साथ तीमारदारों को भी मुफ्त भोजन मुहैया (Hamirpur NGO provides food to patients) करवाते हैं.

हमीरपुर जिले का धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान
हमीरपुर जिले का धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान

गरीबों को दवाइयां, शिक्षा और शगुन- हमीरपुर का धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान की सेवा मरीजों और तीमारदारों को भोजन देने तक ही सीमित (Free food in Hamirpur medical college) नहीं है. धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान की ओर से गरीब लड़कियों को शादी पर शगुन से लेकर गरीब मरीजों को निशुल्क दवाएं और गरीब मेधावी छात्रों के पढ़ाई का खर्च भी उठाया जाता है. संस्था के सदस्य ओमप्रकाश के मुताबिक साल में एक बार संस्था जिले की 20 गोशालाओं में 11 लाख की घास या फीड देते हैं. इसके अलावा बीते साल 25 गरीब बेटियों की शादी में 11 हजार रुपये का राशन और शगुन भी देते हैं. इसके अलावा गरीब बच्चों की सालाना पढ़ाई या हॉस्टल का खर्च भी संस्था देती है. करीब 50 ऐसे छात्र हैं, जिनका खर्च संस्था उठा रही है. इसपर हर महीने एक लाख रुपये से ज्यादा का खर्च संस्था की ओर से दिया जा रहा है.

बुजुर्गों ने की थी ये पहल
बुजुर्गों ने की थी ये पहल

दान पर निर्भर है संस्था- समाज में बदलाव की इबारत लिखने वाली इस संस्था के प्रयासों का ही नतीजा है कि संस्था को दान देने वाले दानी सज्जनों की सूची हजारों में पहुंच गई है. औसतन 3500 लोग सालाना संस्था को नियमित रूप से दान दे रहे हैं. संस्था द्वारा दलिया और दूध 24 घंटे मरीजों को उपलब्ध करवाने की सुविधा भी दी गई है. अगर किसी मरीज, बच्चे के दूध गर्म करना है तो इसकी सुविधा भी संस्था उपलब्ध करवा रही है.

कोरोना काल में भी जारी रही सेवा- कोरोना काल में जब दुनियाभर में लॉकडाउन लग गया और लोग एक दूसरे के पास आने तक से कतराते रहे उस दौर में भी इस संस्था ने मरीजों और तीमारदारों को खाना मुहैया करवाया था. उस दौर में सभी होटल, डाबे बंद थे लेकिन संस्था से जुड़े लोग पूरी शिद्दत से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे. कोरोना की लहर के बावजूद संस्था के बुजुर्ग सदस्य अस्पताल पहुंचकर अपनी सेवा भावना का परिचय दिया.

हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में मरीजों को देते हैं 3 वक्त का खाना
हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में मरीजों को देते हैं 3 वक्त का खाना

क्या कहते हैं मरीज और तीमारदार- अस्पताल में भर्ती मरीज और उनकी देखरेख करने वाले तीमारदार इस संस्था की तारीफ करते हुए कहते हैं कि इस तरह की संस्थाएं और भी होनी चाहिए ताकि गरीबों की मदद हो सके. अस्पताल में मिलने वाला खाना शायद ही किसी को पसंद हो लेकिन इस संस्था का मिलने वाला खाना यहां के मरीजों और तीमारदारों दोनों को पसंद आता है. हर कोई बुजुर्गों द्वारा की जा रही इस सेवा और उनके जज्बे को सलाम करते हैं.

तीमारदारों को भी मिलता है स्वादिष्ट भोजन
तीमारदारों को भी मिलता है स्वादिष्ट भोजन

युवा भी बंटा रहे हैं हाथ- धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान के संस्थापक सदस्य 89 साल के भगवान दास शास्त्री कहते हैं कि शुरुआत में पांच लोगों ने एक पहल की थी, जिसके साथ आज कई लोग जुड़ गए हैं. 3500 लोग तो संस्था को दान करने वाले हैं. संस्था के पास सिर्फ पांच कर्मचारी है और बाकी सब काम सेवादारों के भरोसे होता है. संस्था में लोग स्वच्छा से काम करते हैं और दान देते हैं. इस संस्थान की नींव रखने और आगे बढ़ाने वाले बुजुर्ग हैं लेकिन आज कुछ युवा भी इनके साथ जुड़ रहे हैं. जो आगे बढ़कर हाथ बंटा रहे है और उनका सेवा भाव देखकर अच्छा लगता है. भगवान दास शास्त्री कोरोना काल में इन युवाओं द्वारा की गई मदद की सराहना करते हैं.

5 लोगों से शुरू की गई संस्था को आज 3500 लोग देते हैं दान
5 लोगों से शुरू की गई संस्था को आज 3500 लोग देते हैं दान

सेवा से खुशी मिलती है- संस्थापक सदस्य 93 वर्षीय श्रीधर गुलजारी कहते है कि उन्हें ये काम अच्छा लगता है क्योंकि सेवा से मुझे खुशी मिलती है. उन्होंने कहा कि सेवाभाव से कई लोगों के कष्ट दूर किए जा सकते हैं. उनकी संस्था लोगों की मदद से ही काम करती है, सरकार की मदद वो इस सेवाकार्य के लिए नहीं लेते हैं. वो कहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी भी जब दूसरी की सेवा में हाथ बंटाती है तो बेहद खुशी मिलती है.

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