बिलासपुर: 'होनहार बिरवान के होत चीकने पात' कहावत पंजगाईं के सरकारी स्कूल के नवीं कक्षा में पढ़ने वाले नन्हें वैज्ञानिक सूरज ने चरितार्थ करके दिखा दी है. राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में कुल 104 प्रतियोगियों ने अपने नए वैज्ञानिक मॉडल के साथ प्रस्तुतियां दी. इनमें से 11 मॉडल राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयनित हुए. राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पंजगाईं के भावी वैज्ञानिक सूरज द्वारा तैयार सोलर हेलमेट अब राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रस्तुत होगा.
राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए सूरज का चयन
इंस्पायर अवॉर्ड मानक के अंतर्गत राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पंजगाई का नौवीं कक्षा का छात्र सूरज राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भाग लेने के लिए चयनित हुआ है. यह समाचार पाकर विद्यालय परिवार में जहां खुशी की लहर है, वहीं अभिभावकों, स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों, जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों और आसपास के क्षेत्र के लोग भी गौरवान्वित हैं.
ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रसन्नता
पाठशाला के प्रधानाचार्य भोपाल सिंह और स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधान छोटाराम ने सूरज की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की है. उन्होंने विजेता विद्यार्थी को अपना बधाई संदेश दिया है. उन्होंने भावी नन्हें व युवा वैज्ञानिक को व्यक्तिगत रूप से प्रोत्साहित करते हुए आशा जताई कि यह होनहार आगे चलकर विज्ञान के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां प्राप्त करेगा.
सूरज का बनाया हेलमेट वरदान
सूरज ने एक ऐसा हेलमेट बनाया है, जो न केवल किसान-बागवानों, सफाई कर्मचारियों, फैक्टरी मजदूरों, कपड़ा उद्योग कामगारों को श्वास सम्बंधित रोगों से बचाएगा, बल्कि कोरोना जैसी महामारी से पुलिस, डॉक्टर, आशा वर्कर व सफाई कर्मचारियों जैसे कोरोना वॉरियर के लिए भी वरदान सिद्ध होगा.
दिनेश शर्मा के कुशल नेतृत्व में हेलमेट तैयार
पाठशाला के विज्ञान अध्यापक दिनेश शर्मा के कुशल नेतृत्व में तैयार इस नई खोज ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया है. उनके गाइड टीचर दिनेश शर्मा ने सूरज को राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए शुभकामनाएं दी.
विश्व स्तरीय वैज्ञानिक संस्थानों के अवलोकन का अवसर
इस कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर के प्रथम 60 प्रतिभागियों को जापान के विश्व स्तरीय वैज्ञानिक संस्थानों के अवलोकन का अवसर मिलता है. राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित प्रतियोगियों में सूरज ने अपनी जगह बनाई है. इसके लिए विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मॉडल में सुधार हेतु 50 हजार तक की राशि उपलब्ध करवाई जाती है.
दिनेश शर्मा पहले भी दिलवा चुके हैं अंतर्राष्ट्रीय पहचान
इससे पहले भी दिनेश शर्मा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय झंडूता की वैज्ञानिक दीपिका को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलवा चुके हैं. दीपिका ने साल 2018 में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए जापान में महान वैज्ञानिकों के साथ अपने आविष्कार को साझा करने का अवसर पाया था. एक अन्य शिष्य दीपक चंदेल भी आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों के साथ अपना अनुभव बांटने में ख्याति बटोर चुका है.
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