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आंगनबाड़ी केंद्र तलाई पुगारा में कार्यक्रम आयोजित, कुपोषण के प्रति किया गया जागरूक

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Published : Sep 23, 2020, 4:31 PM IST

Awareness program for malnutrition
कुपोषण के लिए जागरूकता कार्यक्रम

स्वास्थ्य उप केंद्र मेहरण के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र तलाई पुगारा में लोगों को कुपोषण के कुप्रभाव के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान स्वास्थ्य उप केंद्र मेहरण की प्रभारी ज्ञानी धीमान ने कहा कि भारत और विश्व में कुपोषण एक बड़ी समस्या है.

बिलासपुर: स्वास्थ्य उप केंद्र मेहरण के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र तलाई पुगारा में लोगों को कुपोषण के कुप्रभाव के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान स्वास्थ्य उप केंद्र मेहरण की प्रभारी ज्ञानी धीमान ने कहा कि भारत और विश्व में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. इसके शिकार बच्चे जिंदगी की दौड़ में पीछे रह जाते हैं. उनका मानसिक और शारीरिक विकास नहीं हो पाता. इस वजह से उनके अंदर बहुत सी बीमारियां हो जाती हैं.

ज्ञानी धीमान ने बताया कि 2017 के आंकड़ों के हिसाब से विश्व भर में 11% लोग कुपोषण के शिकार हैं. किसी भी बच्चे के शरीर में पौष्टिक आहार की कमी होने पर उसका शरीर कमजोर हो जाता है. वह बच्चा बहुत सी बीमारियों का शिकार हो जाता है. इसे ही कुपोषण की अवस्था कहते हैं. इस तरह के बच्चों में विटामिन, प्रोटीन ,आयोडीन, लोहा, फास्फोरस, कैलशियम कार्बोहाइड्रेट, खनिज जैसे तत्वों की कमी पाई जाती है.

ज्ञानी धीमान ने बताया कि भारत में लगभग 39 % बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. इसके कई कारण हैं, जिसमें माता-पिता की गरीबी ,लड़का लड़की में भेदभाव करना, जल्दी उम्र में मां बनना, स्तनपान का अभाव, भोजन की कमी, गंदा पर्यावरण जैसी अनेक समस्याएं शामिल हैं. उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 5 साल से कम उम्र के 10 लाख से भी ज्यादा बच्चे कुपोषण की वजह से मर जाते हैं. दक्षिणी एशिया में भारत ऐसा देश है, जिसकी कुपोषण में रैंकिंग सबसे खराब है. राजस्थान मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कुपोषण अधिक पाया गया है.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यहां पर हालात चिंताजनक है. एसीएफ इंडिया की रिपोर्ट भारत में अनुसूचित जनजाति 5% अनुसूचित जाति 21 % पिछड़ी जाति 20 % और ग्रामीण समुदाय 21 % पर अत्यधिक कुपोषण का बहुत बड़ा बोझ है. उन्होंने बताया कि कुपोषण से बचने के लिए मौसमी फल सब्जियों का सेवन करना चाहिए. इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्यारे लाल शर्मा ,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रीना देवी ,सपना, कश्मीरा ,कल्पना, मधु के अलावा कई लोग उपस्थित थे.

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