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सोलन में लंपी वायरस के लक्षण देख लोग सड़कों पर छोड़ रहे पशु, विभाग कर रहा इलाज

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Published : Sep 3, 2022, 8:28 PM IST

सोलन जिले में लंपी वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. रोजाना 8 से 10 पशुओं की मौत हो रही है. हालांकि पशुपालन विभाग स्थानीय प्रशासन के सहयोग से लोगों को जागरूक (Lumpy virus cases in Solan) कर रहा है और अभी तक जिले में 12000 पशुओं की वेक्सिनेशन की जा चुकी है. लेकिन सोलन जिले की सड़कों पर बेसहारा पशुओं का बढ़ता आंकड़ा चिंता का विषय बन रहा है. जिले में कुछ लोग लंपी वायरस के डर से अपने पशुओं को बेसहारा छोड़ रहे हैं. इन पशुओं में लंपी वायरस के मामले भी सामने आ रहे हैं जिनका इलाज विभाग कर रहा है.

Lumpy virus cases in Solan
हिमाचल में लंपी बीमारी

सोलन: जिला सोलन में लगातार लंपी वायरस के मामले सामने आ रहे हैं. जिले में अभी तक लंपी वायरस से 6795 पशु ग्रसित हो चुके हैं. लंपी वायरस के मामले को लेकर लगातार पशुपालन विभाग रैपिड टीमें बनाकर ग्रामीण स्तर पर लोगों को जागरूक (Lumpy virus cases in Solan) कर रहा है, लेकिन सोलन शहर की सड़कों पर बेसहारा पशु भी देखने को मिल रहे हैं और इन पशुओं में लंपी वायरस के मामले भी सामने आए हैं. जिसको लेकर लगातार पशुपालन विभाग भी स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर इन पशुओं का इलाज कर रहा है.

लेकिन जिस तरह से यह पशु सड़कों पर घूम रहे हैं उससे अन्य पशुओं को भी लंपी बीमारी फैलने का खतरा पैदा होने लगा है. पशुपालन विभाग सोलन (Animal Husbandry Department Solan) के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. बीबी गुप्ता ने बताया कि जिले में अभी तक 3500 पशु लंपी वायरस से रिकवर हो चुके हैं. वहीं, जिले में लंपी वायरस के अभी भी 3100 मामले एक्टिव हैं. उन्होंने कहा कि रोजाना 8 से 10 पशुओं की मौत सामने आ रही है. डॉ. गुप्ता ने बताया कि हालांकि ग्रामीण स्तर पर लगातार पशुपालन विभाग की टीम लोगों को जागरूक कर रही है.

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उन्होंने कहा कि सबसे पहले धर्मपुर ब्लॉक में लंपी वायरस के मामले सामने आए क्योंकि वहां पर सिरमौर के साथ लगता क्षेत्र है. ऐसे में वहां से मामले बढ़ना शुरू हुए उसके बाद नालागढ़, अर्की और सोलन में भी इसके मामले देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो बेसहारा पशु इन दिनों सोलन शहर की सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं उनमें भी लंपी वायरस के मामले सामने आ रहे हैं. वहीं, उन्होंने ये भी कहा कि कुछ लोग अपने पशुओं में लंपी वायरस के लक्षण देखने के बाद उन्हें सड़कों पर छोड़ रहे हैं जो कि बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि पशुओं में टैग न लगे होने के कारण उनका पता लगा पाना भी मुश्किल है. ऐसे में स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर उनका इलाज कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उन गांवों में वेक्सिनेशन नहीं करवाया जा रहा है जहां पर लंपी वायरस के मामले सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक जिले में 12000 पशुओं की वेक्सिनेशन की जा चुकी है.

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