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हिमाचल में उगने वाली विदेशी सब्जियों पर कोरोना की मार, गाय खा रही 200 रुपये किलो वाली सब्जी

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Published : Apr 21, 2020, 6:41 PM IST

कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है. इस महामारी के कारण सभी छोटे-बड़े उद्योग बंद पड़े हैं. वहीं, हिमाचल में एग्जॉटिक सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसान अपनी सब्जियां पशुओं को खिलाने पर मजबूर हैं.

Corona hit on foreign vegetables grown in Himachal, cow eating 200 rupees vegetable
हिमाचल में उगने वाली विदेशी सब्जियों पर कोरोना की मार

सोलन: कोरोना वायरस की दहशत पूरी दुनिया में फैली हुई है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. कोरोना वायरस का असर हर वर्ग पर पड़ा है चाहे उद्योग जगत हो या फिर किसान-बागवान. लॉकडाउन के चलते हिमाचल के किसानों को इन दिनों बेहद मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है. किसानों की तैयारी फसलें खेतों में ही बर्बाद हो रही हैं.

हिमाचल का अधिकांश भू-भाग खेती में ही सिमटा है और यहां के लोग खेती और बागवानी पर ही निर्भर रहते हैं. वहीं, लॉकडाउन होने के चलते हिमाचल के किसानों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है. इन दिनों किसान-बागवान कोरोना वायरस का दंश झेल रहे हैं, लेकिन एग्जॉटिक वेजिटेबल के खेती करने वाले किसानों पर इसका गहरा असर देखने को मिल रहा है.

हिमाचल प्रदेश के करीब 40 फीसदी किसान एग्जॉटिक वेजिटेबल की खेती कर रहे हैं, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के चलते फसल खरीददारों तक नहीं पहुंच पा रही है. वहीं, अगर रबी फसलों की बात की जाए तो मटर की फसल लॉकडाउन में भी मंडियों तक पहुंच रही थी लेकिन एग्जॉटिक फसलें अभी भी खेतों में ही हैं. जिससे एग्जॉटिक खेती करने वाले किसानों की दिन-ब-दिन मुश्किलें बढ़ती जा रही है.

मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही सब्जियां

एग्जॉटिक खेती कर रहे चायल गांव के किसान मनीष ठाकुर का कहना है कि मटर या अन्य फसलों की खेती करने वाले किसानों की फसल मंडियों तक तो पहुंच रही है, लेकिन हमारा कारोबार बिल्कुल ठप्प हो चुका है. उन्होंने बताया कि फरवरी माह में विदेशी सब्जियां जैसे- चाइना कैबेज, आइसबर्ग, रेडिचो, लेट्यूस तैयार हो चुकी हैं लेकिन होटल कारोबार बंद होने और ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा नहीं होने के कारण सब्जियां खेतों से मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं. इन सब्जियों का ज्यादातर इस्तेमाल अप्रैल से लेकर जून माह तक होता है क्योंकि यह समय शादियों का सीजन होता है और इन दिनों इन सब्जियों की डिमांड ज्यादा होती है.

वीडियो रिपोर्ट.

पशुओं का चारा बनीं करोड़ों की एग्जॉटिक सब्जियां

वहीं, एग्जॉटिक सब्जी के एक और किसान अमन ठाकुर ने बताया कि एग्जॉटिक सब्जियां उगा कर ही वे अपने परिवार का निर्वाह कर रहे हैं. फरवरी माह के पहले हफ्ते में यह सब्जियां बिकने के लिए तैयार हो गईं लेकिन लॉकडाउन के चलते सारी फसल बर्बाद हो चुकी हैं. मजबूरी में सब्जियों को पशुओं को खिलाना पड़ रहा है.

हिमाचल के इन जिलो में उगाई जाती है एग्जॉटिक सब्जियां

हिमाचल प्रदेश में एग्जॉटिक सब्जियां उगाने का काम इन दिनों जिला सोलन, मनाली, करसोग, सिरमोर और लाहौल-स्पीति जैसे इलाकों में किया जा रहा है. एग्जॉटिक सब्जियां उगाने के लिए लगने वाले ग्रीन हाउस में एक किसान को करीब 12 से 15 लाख का खर्च आता है. एक पॉली हाउस में करीब 10 हजार पौधे लगते हैं. इस बार सब्जियों की लागत नहीं निलने की वजह से यह खर्चा दोगुना हो चुका है.

बाजार में विदेशी सब्जियों की कीमत...

सब्जियों के नाम दाम (प्रति किलो)
चाइना कैबेज40 से 50
रेडिचो150 से 200
लेट्यूस70 से 100
आइसबर्ग70 से 100

किसानों की सरकार से अपील

सब्जियों के खेतों में खराब होने से किसान परेशान हैं, किसानों ने सरकार से अपील की है कि एग्जॉटिक खेती से जुड़े किसानों पर बैंकों का जो ऋण है उसमें थोड़ी राहत दें ताकि किसान इस घाटे से उबर सके. किसानों का कहना है कि जिस तरह से गेहूं, धान और गन्ने की खेती करने वाले किसानों को सरकार राहत दे रही है, उसी तरह विदेशी सब्जियां उगाने वाले किसानों को भी राहत दी जाए.

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