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शारदीय नवरात्रि: चौथे दिन देवी कुष्मांडा की आराधना, जानें पूजा की विधि और कथा

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Published : Oct 10, 2021, 4:01 AM IST

WORSHIP OF KUSHMANDA DEVI ON THE FOURTH DAY OF SHARDIYA NAVRATRI
फोटो.

शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन का विशेष महत्व है. कुष्मांडा देवी को अष्टभुजा भी कहा जाता है. इनकी आठ भुजाएं हैं. मां का ये रूप पूरे ब्रह्मांड में शक्तियों को जागृत करने वाला है.

शिमला: शारदीय नवरात्रि का आज चौथा द‍िन है. नवरात्रि में हर दिन शक्तिदात्री के अलग-अलग अवतारों की पूजा की जाती है. नवरात्रि का चौथा दिन माता कुष्मांडा को समर्पित है. नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की आराधना होती है. मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की देवी माना जाता है. सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी मां कूष्मांडा ही हैं. मां कूष्मांडा का दिव्य रूप आठ भुजाओं वाला है. मां का ये रूप पूरे ब्रह्मांड में शक्तियों को जागृत करने वाला है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है. मां कुष्मांडा की विधि विधान से पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं. इस दिन लाल रंग के फूलों से पूजा करने की परंपरा है, क्योंकि मां कुष्मांडा को लाल रंग के फूल अधिक प्रिय बताए गए हैं. मां कुष्मांडा की पूजा विधि पूर्वक करने के बाद दुर्गा चालीसा और मां दुर्गा की आरती जरूर करनी चाहिए.

कुष्मांडा देवी को अष्टभुजा भी कहा जाता है. इनकी आठ भुजाएं हैं. मां ने अपने हाथों में धनुष-बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल धारण किया हुआ है. मां ने अपने हाथों में धनुष-बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल धारण किया हुआ है. वहीं, एक और हाथ में मां के हाथों में सिद्धियों और निधियों से युक्त जप की माला भी है. इनकी सवारी सिंह है.

नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान करने के बाद मां कुष्मांडा स्वरूप की विधिवत करने से विशेष फल मिलता है. पूजा में मां को लाल रंग के फूल, गुड़हल या गुलाब का फूल भी प्रयोग में ला सकते हैं, इसके बाद सिंदूर, धूप, गंध, अक्षत् आदि अर्पित करें. सफेद कुम्हड़े की बलि माता को अर्पित करें. कुम्हड़ा भेंट करने के बाद मां को दही और हलवा का भोग लगाएं और प्रसाद में वितरित करें.

वहीं, हिमाचल में पांच प्रमुख शक्तिपीठों के अलावा माता के मंदिरों में नवरात्रि में विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है. इस दौरान कोविड-19 के चलते विशेष सतर्कता भी बरती जा रही है. नवरात्रों के दौरान वैश्विक महामारी कोविड, किसी तरह अपने प्रसार क्षेत्र में न कर सके इसके लिए प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. मंदिर में प्रसाद, चुनरी आदि चढ़ाने की पूरी तरह से मनाही है. वहीं, मंदिर परिसर में सेनिटाइजेशन की भी व्यवस्था की गई है.

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