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हिमाचल के विद्यानंद सरैक और ललिता वकील को पद्मश्री पुरस्कार, इन क्षेत्रों में हैं मशहूर

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Published : Jan 25, 2022, 9:24 PM IST

Updated : Jan 25, 2022, 10:49 PM IST

Vidyanand Saraik and Lalita Vakil to be honored with Padma Shr
विद्यानंद सरैक और ललिता वकील को पद्मश्री पुरस्कार

21:15 January 25

शिमला: पद्म पुरस्कार (padma awards) भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में गिने जाते हैं. सरकार ने पद्म पुरस्कारों की घोषणा (padma awards announced) कर दी है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि चार लोगों को पद्म विभूषण, (padma vibhushan) 17 लोगों को पद्म भूषण, (padma bhushan) 107 लोगों को पद्मश्री (padma shri) से सम्मानित किया जाएगा. हिमाचल के भी दो लोगों के पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा.

Vidyanand Saraik and Lalita Vakil to be honored with Padma Shr
विद्यानंद सरैक और ललिता वकील को पद्मश्री पुरस्कार. (फाइल फोटो)

विद्यानंद को लिटरेचर एंड एजुकेशन में पद्मश्री पुरस्कार: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गृह मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार हिमाचल के विद्यानंद सरैक को पद्मश्री से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है. कवि, गीतकार, गायक और शिक्षाविद हैं. उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं. वहीं, ललिता वकील चंबा रुमाल बनाने के लिए काफी प्रसिद्ध हैं और उन्हें भी इससे पूर्व कई राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं. विद्यानंद सरैक को लिटरेचर एंड एजुकेशन में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा.

लोक संगीत के क्षेत्र में सिरमौर जिला से ताल्लुक रखने वाले विख्यात लोक कलाकार विद्यानंद सरैक को पदमश्री पुरस्कार के लिए घोषित किया गया है. मंगलवार शाम को विद्यानंद सरैक के नाम का पदमश्री पुरस्कार के लिए ऐलान हुआ. 26 जुलाई 1941 में जन्मे लोक कलाकार विद्यानंद सरैक ने एक बार फिर न केवल जिला सिरमौर बल्कि हिमाचल प्रदेश का मान भी बढ़ाया है. विद्यानंद सरैक मूलतः सिरमौर जिला के उपमंडल राजगढ़ के देवठी मझगांव के रहने वाले है. लोक संस्कृति के संरक्षक विद्यानंद सरैक को इससे पहले राष्ट्रीय संगीत एवं नाट्य अकादमी द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

बचपन से हिमाचली लोक संस्कृत संस्कृति में लगाव: बता दें कि विद्यानंद सरैक चार वर्ष की उम्र से ही हिमाचली लोक संस्कृत संस्कृति व ट्रेडिशनल फोक म्यूजिक की विभिन्न विधाओं को संजोए हुए देश-विदेश में अनेक मंचों पर हिमाचली संस्कृति की छाप छोड़ चुके हैं. उन्होंने हिमाचली संस्कृति व लोक विद्याओं पर किताबें लिखी हैं और सांस्कृतिक ध्रुव धरोहरों पर गहन अध्ययन भी किया है. यहीं नहीं उन्होंने ट्रेडिशनल फोक (Himachali Traditional Folk) जैसे ठोडा सिंटू, बड़ाहलटू हिमाचल की देव पूजा पद्धति और पान चढे़ सहित नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के गीतांजलि संस्करण से 51 कविताओं का सिरमौरी भाषा में भी अनुवाद किया. इसके अलावा उन्होंने बच्चों का फोटो ड्रामा 'भू रे एक रोटी' के अलावा समाधान नाटक, जो कि सुकताल पर आधारित है, का भी मंचन किया है.

बता दें कि विद्यानंद अपनी सांस्कृतिक मंडली स्वर्ग लोक नृत्य मंडल के साथ मिलकर व देश-विदेश में कई मंचों पर हिमाचली संस्कृति की छाप छोड़ चुके हैं. विद्यानंद सरैक को इससे पहले भी कई प्रदेशों में व संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है. इसके अलावा विद्यानंद को वर्ष 2016 का गीत एवं नाटक अकादमी द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार जो देश के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया था. इस पुरस्कार में उन्हें एक ताम्र पत्र व एक लाख की नकद राशि प्रदान की गई थी.

ललिता वकील को पद्मश्री सम्मान: वहीं, ललिता वकील को भी पद्मश्री से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है. हुनर की धनी ललिता वकील ने सरकारी नौकरी की चाह छोड़ कर कला के संरक्षण और संवर्धन का जिम्मा उठाया है. बता दें कि चंबा रूमाल को देश-विदेश में ख्याति दिलाने के लिए ललिता को तीन बार राष्ट्रपति अवॉर्ड मिल चुका है.

गरीब घर में पैदा हुई होनहार बेटी की शादी चंबा में डॉक्टर फैमिली में हुई ललिता के पति पेशे से डॉक्टर हैं और उन्होंने कभी भी ललिता को चंबा रुमाल (Chamba Rumal) के कार्य में नहीं रोका.आज चंबा रुमाल किसी पहचान का मौहताज नहीं है. चंबा रुमाल को वर्ल्ड फेमस करने का श्रेय माहेश्वरी देवी के बाद ललिता वकील को जाता है. इस बेजोड़ कला को देश-दुनिया में पहचान दिलाने के लिए ललिता तीन बार राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुकी हैं.

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Last Updated : Jan 25, 2022, 10:49 PM IST
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