शिमला: राजधानी शिमला में सुबह से बर्फबारी हो रही है. जिसके चलते सड़कों पर यातायात ठप हो गया है, लेकिन शिमला कालका ट्रैक पर बर्फबारी ट्रेनों के पहिए नहीं रोक पाए. शिमला-कालका ट्रैक पर सुबह से सभी ट्रेनें दौड़ती नजर आईं. बर्फबारी के बीच ट्रेन का मनमोहन दृश्य देखने को मिलता है.
इस ट्रैक पर बर्फबारी के पीएम मोदी भी कायल हैं. बीते दिन पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया पर इस ट्रैक की बर्फ से ढके ट्रैक की फोटो शेयर की थी. बर्फबारी के दौरान कालका-शिमला रेलवे ट्रैक की खूबसूरती दोगुनी हो जाती है. बर्फ के बीच गुजरती ट्रेन का नजारा काफी अदभुत होता है. वीरवार को बर्फबारी के बावजूद इस ट्रैक पर ट्रेनें चलती रहीं. पर्यटक भी बर्फबारी के दौरान इस ट्रैक पर सफर करना पसंद करते हैं.
118 साल पुराना है कालका शिमला रेलवे मार्ग: कालका-शिमला (Kalka Shimla Railway Route) रेलवे मार्ग 118 साल पुराना है. 9 नवंबर 1903 को कालका- शिमला रेल मार्ग की शुरूआत हुई थी. यह रेलमार्ग उत्तर रेलवे के अंबाला डिवीजन के अंतर्गत आता है. 1896 में इस रेल मार्ग को बनाने का कार्य दिल्ली-अंबाला कंपनी को सौंपा गया था. रेलमार्ग कालका स्टेशन (656 मीटर) से शिमला (2,076 मीटर) तक जाता है. 96 किमी. लंबे इस रेलमार्ग पर 18 स्टेशन है. साल 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इस मार्ग से यात्रा की थी.
103 सुरंगों से ट्रेन को गुजरते देख रोमांचित हो उठते हैं यात्री: कालका-शिमला रेलवे लाइन पर 103 सुरंगें हैं, जो इस सफर को काफी रोमांचक बना देती हैं. बड़ोग रेलवे स्टेशन पर 33 नंबर बड़ोग सुरंग सबसे लंबी है. जिसकी लंबाई 1143.61 मीटर है. सुरंग क्रॉस करने में टॉय ट्रेन अढ़ाई मिनट का समय लेती है. रेलमार्ग पर 869 छोटे-बड़े पुल हैं जिस पर सफर और भी रोमांचक हो जाता है. कालका-शिमला रेलमार्ग को नैरोगेज लाइन कहते हैं. इसमें पटरी की चौड़ाई दो फीट छह इंच है.
साल 2008 में यूनेस्को ने दिया था वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा: कालका-शिमला रेलवे लाइन को यूनेस्को ने जुलाई 2008 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया था. इसी रूट पर कनोह रेलवे स्टेशन पर ऐतिहासिक आर्च गैलरी पुल (arch gallery bridge Himachal) 1898 में बना था. शिमला जाते हुए यह पुल 64.76 किमी. पर मौजूद है.
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