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IIAS खोलेगा सेंटर फॉर इंडियन सिविलियन स्टडीज, फेलोशिप के लिए UGC से किया जाएगा कॉलोबरेशन

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Published : Oct 20, 2019, 11:54 PM IST

IIAS

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला जल्द ही सेंटर फॉर इंडियन सिविलाइजेशन स्टडीज शुरू करेगा. इसके लिए प्रस्ताव मंजूरी के लिए एमएचआरडी को भेजा गया है.

शिमलाः राजधानी शिमला में स्थित भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस) ने सेंटर फॉर इंडियन सिविलाइजेशन स्टडीज खोलने का प्रस्ताव तैयार किया है. इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए एमएचआरडी को भेजा गया है. अब संस्थान को एमएचआरडी की मंजूरी का इंतजार है.

संस्थान के निदेशक प्रो. मकरंद परांजपे ने इस प्रोजेक्ट का प्रपोजल एमएचआरडी को भेजा गया है. उन्होंने बताया कि संस्थान यूजीसी से भी नई फैलोशिप के लिए भी बात कर रहा है. निदेशक ने बताया कि शिमला के इतिहास की जानकारी और अनछुए पहलुओं के बारे में जानने के लिए संस्थान की ओर से ओरल हिस्ट्री प्रोजेक्ट फॉर शिमला भी शुरू किया जाएगा. जिसमें शिमला के अनसुने किस्सों को संजोया जाएगा.

निदेशक ने बताया कि संस्थान में समय समय स्वछता के साथ ही नशा निवारण और अन्य कई मुद्दों पर कार्यक्रम आयोजन किए जाते हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी माना की संस्थान में कर्मचारियों की कमी है जिसकी वजह से दिक्कतें उन्हें झेलनी पड़ रही है. यहां तक निदेशक पद पर भी यहां नियमित नियुक्ति नहीं है.

वीडियो.

बता दें कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज में साल भर में लाखों पर्यटक घूमने के लिए और इस भवन की ऐतिहासिकता को जानने के लिए आते हैं. संस्थान को यहां आने वाले पर्यटकों से ही हर साल 56 लाख के करीब आमदनी हो रही है. जिसे संस्थान के रखरखाव पर ही खर्च किया जा रहा है. संस्थान में साल भर में अलग-अलग विषयों पर व्यख्यान भी करवाए जा रहे हैं और देश भर के प्रसिद्ध व्यक्ति भी इस संस्थान में व्याख्यान के लिए आते है.

संस्थान की प्रॉपर्टी पर चल रहा एचपीयू का संस्थान, आईआईएएस लेगा वापस

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के पास संस्थान के कैंपस के अलावा दूसरी भी कई प्रॉपर्टी हैं, जिन्हें एनक्रोच कर लिया गया है. यहां तक कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पास भी संस्थान की प्रॉपर्टी है. एचपीयू के संस्थान भी आईआईएएस की प्रॉपर्टी पर ही चल रहे है. संस्थान के निदेशक ने कहा कि उनके पास उस प्रॉपर्टी के सभी कागजात मौजूद हैं और जल्दी एचपीयू से वह प्रॉपर्टी संस्थान वापस लेगा, ताकि उसका इस्तेमाल संस्थान कर सके.

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Intro:भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान ने जल्द ही सेंटर फॉर इंडियन सिविलाइजेशन स्टडीज खोलने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए एमएचआरडी को भेजा गया है। अब संस्थान को एमएचआरडी की मंजूरी का इंतजार है। इस सेंटर को खोलने के लिए मेंटॉर ग्रुप तैयार किया गया है जिसे आईसीसीआर के निदेशक विनय सहस्त्र बुद्धि चेयर कर रहे है। संस्थान के निदेशक प्रो. मकरंद आर.परांजपे ने संस्थान से जुड़े आगामी प्रस्तावों के बारे में बताते हुए इस सेंटर के प्रपोजल एमएचआरडी को भेजी गई है। वहीं उन्होंने बताया कि संस्थान यूजीसी से भी नई फैलोशिप लेना चाहते है जिसके लिए बात यूजीसी से की जा रही है।


Body:शिमला के इतिहास की जानकारी मिल सके ओर इसके अनछुए पहलुओं के बारे में जाना जा सके इसके लिए संस्थान की ओर से ओरल हिस्ट्री प्रोजेक्ट फ़ॉर शिमला शुरू करना है जिसमें किसी भी व्यक्ति को जिन्हें शिमला के अनसुने किस्सों के बारे में पता है उन्हें सुन कर उन्हें यहां संजोया जाएगा। निदेशक ने बताया कि संस्थान में समय समय स्वछता के साथ ही नशा निवारण ओर अन्य क़ई मुद्दों अनेक आयोजन करते है। हालांकि उन्होंने यह भी माना की संस्थान में कर्मचारियों की कमी है जिसकी वजह से दिक्कतें उन्हें झेलनी पड़ रही है । यहां तक निदेशक पद पर भी यहां नियमित नियुक्ति नहीं है।


Conclusion:बता दे कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज में साल भर में लाखों पर्यटक घूमने के लिए ओर इस भवन की ऐतिहासिकता को जानने के लिए आते है। संस्थान को यहां आने वाले पर्यटकों से ही हर साल 56 लाख के करीब आमदनी हो रही है जिसे संस्थान के रखरखाव पर ही खर्च किया जा रहा है। संस्थान में साल भर में अलग-अलग विषयों पर व्यख्यान भी करवाए जा रहे है और देश भर के प्रसिद्ध व्यक्ति भी इस संस्थान में व्याख्यान के लिए आते है।

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संस्थान की प्रॉपर्टी पर चल रहा एचपीयू के संस्थान,आईआईएचएस लेगा वापिस

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के पास संस्थान के कैंपस के अलावा दूसरी भी कई प्रॉपर्टी हैं जिन्हें एनक्रोच कर लिया गया है। यहां तक कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पास भी संस्थान की प्रॉपर्टी है। एचपीयू के संस्थान भी आईआईएचएस की प्रॉपर्टी पर ही चल रहे है। संस्थान के निदेशक ने कहा कि उनके पास उस प्रॉपर्टी के सभी कागजात मौजूद हैं और जल्दी एचपीयू उसे वह प्रॉपर्टी संस्थान वापस लेगा ताकि उसका इस्तेमाल भी संस्थान कर सके।
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