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हिमाचल HC ने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स कंपनियों को जारी किया नोटिस, जानिए क्या है मामला

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Published : Jun 30, 2021, 7:33 AM IST

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट

इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स कंपनियों( infrastructure provider companies) को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट(himachal pradesh high court) ने नोटिस जारी किया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह बताया गया कि इस मामले में बुनियादी ढांचा प्रदाता कंपनियां भी आवश्यक पक्ष हैं, जिन्हें पार्टी नहीं बनाया गया है. इस पर कोर्ट ने इंडस टावर लिमिटेड मोहाली, अमेरिकन टावर कंपनी मोहाली व पंजाब एन्ड टावर विजन इंडिया मोहाली को प्रतिवादी पक्षकार बनाते हुए उन्हें नोटिस जारी किया.

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट(himachal high court) ने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स कंपनियों( infrastructure provider companies) को नोटिस जारी किया है. इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स कंपनियों( infrastructure provider companies) ने प्रदेश में मोबाइल टावरों(mobile tower) का निर्माण किया है और उनका रखरखाव कर रहे हैं. कोर्ट ने एक जनहित याचिका(public interest litigation) पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किए.

याचिका में विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के लोगों को खराब इंटरनेट सेवाओं(internet service) से संबंधित समस्याओं को उठाया गया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह बताया गया कि इस मामले में बुनियादी ढांचा प्रदाता कंपनियां भी आवश्यक पक्ष हैं, जिन्हें पार्टी नहीं बनाया गया है. इस पर कोर्ट ने इंडस टावर लिमिटेड मोहाली(indus tower limited mohali), अमेरिकन टावर कंपनी american tower company मोहाली व पंजाब एन्ड टावर विजन इंडिया मोहाली को प्रतिवादी पक्षकार बनाते हुए उन्हें नोटिस जारी किया.

रोडमैप तैयार करने के निर्देश

न्यायाधीश तरलोक सिंह और न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने बीएसएनएल को अति पिछड़े इलाकों में स्थित 191 टावरों में सोलर पैनल लगाने का रोडमैप तैयार करने का निर्देश भी दिया. राज्य विद्युत बोर्ड(state electricity board) की ओर से कोर्ट को बताया गया कि लाइनों में मरम्मत के कारण बार-बार शट डाउन की समस्या का समाधान करने के लिए शीघ्र ही सब स्टेशन वितरण लाइनों(sub station distribution lines) का निर्माण किया जाएगा.

एयरटेल(airtel) सहित जिओ(jio) और बीएसएनएल(bsnl) ने कोर्ट को बताया कि केबल बिछाने की दरें प्रदेश में 1600 रुपये प्रति मीटर के हिसाब से वसूली जा रही है. जो संभवत: देश में सबसे अधिक है. इस पर अदालत ने राज्य सरकार को इस पहलू पर कोर्ट(court) को सूचित करने का निर्देश भी दिया.

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