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पूर्व सैनिक कोटे से कांस्टेबल भर्ती मामले में नहीं हुआ हाईकोर्ट के आदेश पर अमल, डीजीपी को दाखिल करना होगा हल्फनामा

पूर्व सैनिक कोटे से पुलिस कांस्टेबल भर्ती मामले में (constable recruitment from ex servicemen quota) हाईकोर्ट ने निश्चित आदेश जारी किए थे. उन आदेशों पर अमल न करते हुए पुलिस विभाग ने नियुक्ति पत्र जारी कर दिए. अदालत ने अब डीजीपी को इस मामले में हल्फनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं. पढ़ें पूरा मामला...

HIMACHAL HIGH COURT
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
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Published : Sep 29, 2022, 9:55 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने डीजीपी को अदालत के आदेश पर अमल न करने को लेकर सख्ती की है. पूर्व सैनिक कोटे से पुलिस कांस्टेबल भर्ती मामले में हाईकोर्ट ने निश्चित आदेश जारी किए थे. उन आदेशों पर अमल न करते हुए पुलिस विभाग ने नियुक्ति पत्र जारी कर दिए. हाईकोर्ट ने पूछा है कि अदालत के आदेश पर अमल न करते हुए नियुक्ति पत्र कैसे जारी कर दिए गए. अदालत ने अब डीजीपी को इस मामले में हल्फनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं.

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद एहतेशाम सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने पुलिस कांस्टेबल की भर्ती में पूर्व सैनिकों के लिए (constable recruitment from ex servicemen quota) आरक्षित पदों में सेवानिवृत्ति की 31 अक्टूबर 2019 से 30 दिसंबर 2020 की कट ऑफ डेट को गैरकानूनी ठहराते हुए रद्द कर दिया था. इस बारे में कुछ प्रार्थी अदालत पहुंचे थे और हाईकोर्ट ने उनकी दलील को कानूनन सही पाया था. प्रार्थियों की दलील थी कि प्रतिवादियों ने रिटायरमेंट की कट ऑफ डेट निर्धारित करते समय उनके साथ अन्याय किया है.

प्रार्थियों का कहना था कि वे 31 जनवरी 2018 से 30 सितंबर 2019 के बीच सेवानिवृत्त हुए हैं और उन्हें पुलिस कांस्टेबल भर्ती में भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित पदों के लिए कोई अवसर प्रदान नहीं किया गया. खंडपीठ ने प्रतिवादियों विशेषकर निदेशालय सैनिक वैल्फेयर को यह निर्देश दिया कि वह कट ऑफ डेट निर्धारित करने के लिए पुन: नियमों, निर्देशों व दिशा-निर्देशों के दृष्टिगत विचार करें. अदालत ने प्रतिवादियों को 2 सप्ताह का समय दिया था. अदालत ने प्रतिवादियों को यह हिदायत भी दी थी कि कट ऑफ डेट निर्धारित करने का फैसला लेते समय न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखा जाए.

प्रदेश उच्च न्यायालय ने कट ऑफ डेट को लेकर सरकार के फैसले पर भी प्रतिकूल टिप्पणी की थी. कोर्ट ने यह स्पष्ट तौर पर कहा था कि जिन प्रार्थियों को प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से साक्षात्कार में पेश होने व खाली पद रखने का संरक्षण मिला हुआ है वह प्रतिवादियों द्वारा लिए जाने वाले निर्णय तक लागू रहेगा. यही नहीं कुछ प्रार्थी जो किसी कारणवश कोर्ट से साक्षात्कार में पेश होने को लेकर अंतरिम आदेश लेने में विफल रहे थे उन्हें भी उनके आवेदन पर साक्षात्कार में पेश होने की अनुमति प्रदान कर दी.

इसके अलावा 2020 में पुलिस भर्ती में भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित पदों के लिए भर्तियां न होने के कारण इन प्रार्थियों को सेवानिवृत्ति की कट ऑफ डेट बढ़ाने के लिए प्रतिवादियों के समक्ष प्रतिवेदन पेश करने की अनुमति प्रदान की थी. एक सप्ताह के भीतर प्रतिवेदन पर निर्णय लेने के आदेश भी पारित किए गए थे. मामले पर 17 अक्टूबर को सुनवाई होगी.

ये भी पढ़ें: आदर्श होना चाहिए शिक्षक का आचरण, इस नसीहत के साथ हाईकोर्ट ने रद्द कर दी मेडिकल ग्राउंड पर ट्रांसफर की मांग

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने डीजीपी को अदालत के आदेश पर अमल न करने को लेकर सख्ती की है. पूर्व सैनिक कोटे से पुलिस कांस्टेबल भर्ती मामले में हाईकोर्ट ने निश्चित आदेश जारी किए थे. उन आदेशों पर अमल न करते हुए पुलिस विभाग ने नियुक्ति पत्र जारी कर दिए. हाईकोर्ट ने पूछा है कि अदालत के आदेश पर अमल न करते हुए नियुक्ति पत्र कैसे जारी कर दिए गए. अदालत ने अब डीजीपी को इस मामले में हल्फनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं.

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद एहतेशाम सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने पुलिस कांस्टेबल की भर्ती में पूर्व सैनिकों के लिए (constable recruitment from ex servicemen quota) आरक्षित पदों में सेवानिवृत्ति की 31 अक्टूबर 2019 से 30 दिसंबर 2020 की कट ऑफ डेट को गैरकानूनी ठहराते हुए रद्द कर दिया था. इस बारे में कुछ प्रार्थी अदालत पहुंचे थे और हाईकोर्ट ने उनकी दलील को कानूनन सही पाया था. प्रार्थियों की दलील थी कि प्रतिवादियों ने रिटायरमेंट की कट ऑफ डेट निर्धारित करते समय उनके साथ अन्याय किया है.

प्रार्थियों का कहना था कि वे 31 जनवरी 2018 से 30 सितंबर 2019 के बीच सेवानिवृत्त हुए हैं और उन्हें पुलिस कांस्टेबल भर्ती में भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित पदों के लिए कोई अवसर प्रदान नहीं किया गया. खंडपीठ ने प्रतिवादियों विशेषकर निदेशालय सैनिक वैल्फेयर को यह निर्देश दिया कि वह कट ऑफ डेट निर्धारित करने के लिए पुन: नियमों, निर्देशों व दिशा-निर्देशों के दृष्टिगत विचार करें. अदालत ने प्रतिवादियों को 2 सप्ताह का समय दिया था. अदालत ने प्रतिवादियों को यह हिदायत भी दी थी कि कट ऑफ डेट निर्धारित करने का फैसला लेते समय न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखा जाए.

प्रदेश उच्च न्यायालय ने कट ऑफ डेट को लेकर सरकार के फैसले पर भी प्रतिकूल टिप्पणी की थी. कोर्ट ने यह स्पष्ट तौर पर कहा था कि जिन प्रार्थियों को प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से साक्षात्कार में पेश होने व खाली पद रखने का संरक्षण मिला हुआ है वह प्रतिवादियों द्वारा लिए जाने वाले निर्णय तक लागू रहेगा. यही नहीं कुछ प्रार्थी जो किसी कारणवश कोर्ट से साक्षात्कार में पेश होने को लेकर अंतरिम आदेश लेने में विफल रहे थे उन्हें भी उनके आवेदन पर साक्षात्कार में पेश होने की अनुमति प्रदान कर दी.

इसके अलावा 2020 में पुलिस भर्ती में भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित पदों के लिए भर्तियां न होने के कारण इन प्रार्थियों को सेवानिवृत्ति की कट ऑफ डेट बढ़ाने के लिए प्रतिवादियों के समक्ष प्रतिवेदन पेश करने की अनुमति प्रदान की थी. एक सप्ताह के भीतर प्रतिवेदन पर निर्णय लेने के आदेश भी पारित किए गए थे. मामले पर 17 अक्टूबर को सुनवाई होगी.

ये भी पढ़ें: आदर्श होना चाहिए शिक्षक का आचरण, इस नसीहत के साथ हाईकोर्ट ने रद्द कर दी मेडिकल ग्राउंड पर ट्रांसफर की मांग

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