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Himachal Electricity Board: मैदानी राज्यों का संकट दूर करेगी पहाड़ की बिजली, हिमाचल सरकार को मिलेंगे 3 हजार करोड़

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Published : May 24, 2022, 10:10 PM IST

जयराम सरकार के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी के अनुसार हिमाचल 15 जून से बिजली की बिक्री शुरू करने की दिशा में तैयार है. हिमाचल प्रदेश ओपन टेंडर के माध्यम से विद्युत (Himachal Electricity Board sell electricity) खरीद के इच्छुक राज्यों के साथ करार करेगा. हिमाचल प्रदेश संभवत 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बाहरी राज्यों को रोजाना चार करोड़ यूनिट बिजली देने की स्थिति में है.

Himachal Electricity Board
हिमाचल बिजली बोर्ड

शिमला: ऊर्जा राज्य हिमाचल प्रदेश में अब बिजली से कमाई का समय आ गया है. अगले महीने में हिमाचल देश के मैदानी राज्यों को बिजली की बिक्री करेगा. गर्मियों के सीजन में हिमाचल में विद्युत उत्पादन बढ़ (Himachal Electricity Board sell electricity) जाता है. वैसे भी हिमाचल प्रदेश ऊर्जा क्षेत्र में सरप्लस स्टेट है. जून महीने में हिमाचल प्रदेश देश के मैदानी राज्यों को प्रतिदिन कम से कम चार करोड़ यूनिट बिजली की बिक्री करेगा. हिमाचल प्रदेश 90 दिन के भीतर 3 हजार करोड़ रुपए से अधिक की बिजली बेचेगा.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में हाईड्रो पावर सेक्टर में भारी बिजली उत्पादन की क्षमता है. हिमाचल प्रदेश का कुल बिजली उत्पादन 10600 मेगावाट से अधिक है. प्रदेश में 27 हजार मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन की क्षमता है. गर्मियों के समय में जब देश के मैदानी राज्य जैसे पंजाब, राजस्थान, दिल्ली आदि बिजली कट की समस्या से जूझ रहे हैं, हिमाचल में सरप्लस पावर मौजूद है. जयराम सरकार के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी के अनुसार हिमाचल 15 जून से बिजली की बिक्री शुरू करने की दिशा में तैयार है.

हिमाचल प्रदेश ओपन टेंडर के माध्यम से विद्युत खरीद के इच्छुक राज्यों के साथ करार करेगा. हिमाचल प्रदेश संभवत 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बाहरी राज्यों को रोजाना चार करोड़ यूनिट बिजली देने की (Himachal Electricity Board sell electricity) स्थिति में है. मॉनसून सीजन में 90 दिन तक बिजली की बिक्री की जाती है. बिजली की बिक्री के हिसाब से वर्ष 2022 हिमाचल के लिए बेहतर साबित होने वाला है. इस बार हिमाचल 3 हजार करोड़ रुपए से अधिक की बिक्री की उम्मीद लगाए हुए है. विगत के आंकड़े देखें तो 2017 का साल हिमाचल के लिए बहुत अच्छा रहा था. तब हिमाचल ने बिजली के प्रति यूनिट दाम बढ़ाकर पड़ौसी राज्यों को बिजली बेची.

उस साल हिमाचल ने एक हजार करोड़ रुपए कमाए थे. वर्ष 2016 में भी हिमाचल प्रदेश ने 760 करोड़ रुपए की कमाई बिजली बेचकर की थी. वर्ष 2017 में एक रोचक बात ये हुई कि देश भर में बिजली की खरीद की डिमांड का ट्रेंड कम था. अचानक से डिमांड बढ़ी तो उसे केवल हिमाचल ही पूरा कर सकता था. उस साल लक्ष्य 630 करोड़ रुपए की बिजली बेचने का था, लेकिन डिमांड बढऩे से ये आंकड़ा एक हजार करोड़ रुपए पार कर गया. वर्ष 2017 में पावर ट्रेडिंग के माध्यम से 3017 मिलियन यूनिट बिजली बेची. वहीं, 2016 में ये आंकड़ा 2879 मिलियन यूनिट का था. वर्ष 2021 में भी हिमाचल ने 800 करोड़ से अधिक की बिजली बेची थी.

कोरोना संकट शुरु होने से पहले हिमाचल प्रदेश ने 2019 में अरूणाचल प्रदेश को 2500 मिलियन यूनिट से अधिक बिजली बेची. बिजली की ये बिक्री 13 महीने तक की गई और इससे हिमाचल प्रदेश को सौ करोड़ रुपए की आय हुई. इसके लिए दोनों सरकारों के बीच बाकायदा एमओयू हुआ था. हिमाचल ने अरूणाचल प्रदेश को चार रुपए बीस पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बेची थी. एमओयू होने के अगले ही साल यानी 2020 में ये सप्लाई की गई थी. इससे पहले 2012 में इसी तर्ज पर हिमाचल ने पश्चिमी बंगाल को भी बिजली बेची थी.

यदि वर्ष 2018 की बात करें तो हिमाचल प्रदेश ने (Himachal Electricity Board sell electricity) तीस लाख यूनिट बिजली दिल्ली की दो कंपनियों को बेची थी. यमुना पावर लिमिटेड को 24 लाख यूनिट और राजधानी पॉवर लिमिटेड को 6 लाख यूनिट बिजली बेची. यही नहीं, उत्तर प्रदेश और बिहार को भी 4.5 लाख यूनिट बिजली बेची गई. ये बिजली क्रमश: 4.26 पैसे प्रति यूनिट और 5.41 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब के दी गई. इससे पूर्व 2017 में हिमाचल ने पंजाब, हरियाणा, यूपी, पंजाब व राजस्थान को 1550 मिलियन यूनिट बिजली बेची थी.

हिमाचल में सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) (Satluj Jal Vidyut Nigam Limited) ऊर्जा सेक्टर में देश ही नहीं दुनिया का बड़ा नाम है. हिमाचल सरकार का इस जलविद्युत कंपनी में 25.51 फीसदी का शेयर है. इससे कंपनी के लाभ का हिस्सा प्रदेश सरकार को भी मिलता है. हिमाचल को वित्त वर्ष 2016-17 में सतलुज जलविद्युत कंपनी से लाभांश के रूप में 290.13 करोड़ रुपए मिले थे. सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड अकसर लक्ष्य से अधिक उर्जा पैदा करती है. वर्ष 2016-17 में एसजेवीएनएल ने 8700 मिलीयन यूनिट बिजली उत्पादन के लक्ष्य के मुकाबले 9045 मिलीयन यूनिट बिजली पैदा की. इस तरह एसजेवीएनएल ने उस वित्तीय वर्ष में 2468.66 करोड़ रुपए का राजस्व कमाया. सभी तरह के टैक्स आदि चुकाने के बाद एसजेवीएनएल 1544. 14 करोड़ रुपए का लाभ कमाया. इसी लाभ में से प्रदेश सरकार को अपने 25.51 फीसदी हिस्से के तौर पर 290 करोड़ रुपए से अधिक का लाभांश दिया है.

इस कंपनी की स्थापना मई 1988 में हुई थी. कंपनी की नेटवर्थ इस समय 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक है. एसजेवीएनएल हिमाचल प्रदेश में देश का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट संचालित करती है. डेढ़ हजार मैगावाट के नाथपा झाकड़ी जलविद्युत स्टेशन से शुरूआत करके इसने हिमाचल प्रदेश में 412 मैगावाट का रामपुर जलविद्युत स्टेशन व महाराष्ट्र में 47.6 मेगावाट की खिरवीरे पवन विद्युत परियोजना को कमीशन किया है. एसजेवीएन वर्तमान में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, गुजरात, राजस्थान तथा अरूणाचल प्रदेश के अलावा पड़ोसी देशों नेपाल तथा भूटान में भी विद्युत परियोजनाएं चला रहा है.

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