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हार से हताश भाजपा का चिंतन-मंथन पर जोर, विधायक दल की बैठक में मिशन रिपीट का मंत्र देंगे CM जयराम

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Published : Nov 23, 2021, 6:44 PM IST

Updated : Nov 24, 2021, 10:53 AM IST

हिमाचल भाजपा ने इसी माह विधायक दल की बैठक बुला ली है. शिमला में यह बैठक शुक्रवार 26 सितंबर को तय की गई है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में भाजपा न केवल हार के कारणों पर मंथन करेगी बल्कि मिशन रिपीट का रोडमैप भी तैयार करेगी. हिमाचल में चार उपचुनाव हारने के बाद सरकार के मंत्री भी चिंतित हैं. चार साल में कोरोना के बावजूद विकास के दावों को लेकर कैबिनेट आश्वस्त दिखती है, लेकिन मंत्री यह भी स्वीकार कर रहे हैं कि हार की वजह सरकार और संगठन के स्तर पर चूक भी है. कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर (Cabinet Minister Virendra Kanwar) ने ईटीवी से बातचीत में इस तथ्य को स्वीकार किया है और कहा है कि पार्टी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ेगी.

Himachal BJP will prepare the roadmap for Mission Repeat in the Legislature Party meeting in Shimla
फोटो.

शिमला: सत्ता में होने के बावजूद हिमाचल में भाजपा उपचुनाव बुरी तरह से हार गई. हार से हताश भाजपा में सरकार और संगठन के स्तर पर मंथन हो रहा है. हालांकि अभी विधानसभा का शीतकालीन सत्र दूर है, लेकिन भाजपा ने इसी माह विधायक दल की बैठक बुला ली है. शिमला में यह बैठक शुक्रवार 26 सितंबर को तय की गई है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में भाजपा न केवल हार के कारणों पर मंथन करेगी बल्कि मिशन रिपीट का रोडमैप भी तैयार करेगी.

इसके लिए खास तौर पर मुख्यमंत्री अपनी टीम में उत्साह भरेंगे. टीम लीडर होने के नाते मुख्यमंत्री ने हार की जिम्मेदारी स्वीकार की थी. उन्होंने अपनी टीम को एक जुट होकर मिशन रिपीट के लिए कमर कसने को कहा है. मुख्यमंत्री ने सरकार में किसी तरह के फेरबदल की चर्चाओं पर भी विराम लगाया है. ऐसे में शुक्रवार की बैठक पर हार के कारणों को लेकर संक्षिप्त चर्चा के बाद मिशन रिपीट की तैयारियों पर अधिक फोकस रहेगा. हिमाचल में अगले साल सत्ता का फाइनल होना है.

2017 में प्रचंड बहुमत लेकर सरकार बनाने वाली भाजपा ने उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव सहित दो उपचुनाव भी जीते. बाद में नगर निकाय चुनाव में पराजय मिली और उसका सिलसिला चार उपचुनाव तक जारी रहा. मंडी लोकसभा सीट सहित तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में करारी शिकस्त से भाजपा में चिंता की लहर भी है. कारण यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) सहित पूर्व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और मौजूदा मुखिया जेपी नड्डा की नजरें हिमाचल (Himachal) पर हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) 90 के दशक में हिमाचल भाजपा प्रभारी रह चुके हैं. उनके प्रभारी रहते हिमाचल में पंडित सुखराम के सहयोग से प्रेम कुमार धूमल (Prem Kumar Dhumal) के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई थी. पिछले चुनाव में प्रचार के दौरान तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भी हिमाचल का दौरा किया था. जंजैहली में जनसभा के दौरान उन्होंने भविष्य में जयराम ठाकुर को बड़ी जिम्मेदारी का संकेत दिया था.

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यही नहीं अमित शाह ने तब कहा था कि हिमाचल (Himachal) में कार्यकर्ताओं को कम से कम 15 साल के लिए पार्टी को सत्ता में लाने का प्रयास करना होगा. वहीं, जेपी नड्डा का गृह राज्य होने के कारण उनकी प्रतिष्ठा भी मिशन रिपीट (Mission Repeat) से जुड़ी है. इन्हीं सब बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए और अपनी साख को बचाने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) खुद पहल कर रहे हैं. सबसे आगे बढ़कर उन्होंने पहले हार की जिम्मेदारी ली और फिर अपनी टीम को निराशा को दूर करने के लिए कहा.

हिमाचल (Himachal) में चार उपचुनाव हारने के बाद सरकार के मंत्री भी चिंतित हैं. चार साल में कोरोना के बावजूद विकास के दावों को लेकर कैबिनेट आश्वस्त दिखती है, लेकिन मंत्री यह भी स्वीकार कर रहे हैं कि हार की वजह सरकार और संगठन के स्तर पर चूक भी है. कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर (Cabinet Minister Virendra Kanwar) ने ईटीवी से बातचीत में इस तथ्य को स्वीकार किया है और कहा है कि पार्टी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ेगी.

पहले मुख्यमंत्री ने महंगाई को भी एक कारण माना, लेकिन आपसी फूट भी नजरअंदाज नहीं की जा सकती. अभी का घटनाक्रम देखें तो कद्दावर नेता रहे कृपाल परमार ने इस्तीफा दे दिया है और सोशल मीडिया (Social Media) पर जारी अपने संदेश में उन्होंने त्यागपत्र का कारण प्रताड़ना शब्द में समेटा है. यही नहीं भाजपा में संगठन महामंत्री पवन राणा साथ भी विवाद जुड़ते रहे हैं.

पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता रमेश ध्वाला का पवन राणा के साथ छत्तीस का आंकड़ा चर्चा में रहा है. कांगड़ा जिले में भाजपा का किला यदि दरकता है तो विधानसभा चुनाव में मिशन रिपीट (Mission Repeat) सपना बनकर रह जाएगा. अकेले कांगड़ा जिले में 15 विधानसभा सीटें है. सत्ता में आने के लिए यह जिला सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. विधायक दल की बैठक में उपरोक्त सभी बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) सहित इस बैठक में सभी विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र के वोट गणित की समीक्षा करेंगे. इस उपचुनाव में जो कमियां पाई गई हैं उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाएगा. सरकार और संगठन में तालमेल बिठाने को लेकर नियमित बैठकों का प्रस्ताव है वहीं संगठन के कार्यकर्ताओं को राज्य तथा केंद्र सरकार की विकास योजनाओं को जनता तक पहुंचाने के लिए कहा जाएगा. साथ ही विपक्ष के आरोपों की काट के लिए भी कैबिनेट मंत्रियों सहित विधायक मैदान में उतरेंगे. चुनावी वर्ष में भाजपा कर्मचारियों को अपने पाले में करने के लिए कुछ वित्तीय लाभ दे सकती है.

इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं का दायरा बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है. मनरेगा का लाभ ग्रामीण इलाकों में निरंतर मिलता रहे इसके लिए अधिक से अधिक कार्य दिवस सृजित किए जाएंगे. बैठक में शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष को करारा जवाब देने की रणनीति भी तैयार की जाएगी. पार्टी अध्यक्ष सुरेश कश्यप (Suresh Kashyap) का कहना है कि 2022 में मिशन रिपीट (Mission Repeat) के संकल्प को हर हाल में पूरा किया जाएगा.

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Last Updated : Nov 24, 2021, 10:53 AM IST
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