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कैसे काम करती है देश की पहली पेपरलेस विधानसभा, छह देशों के शिष्टमंडल ने देखी हिमाचल की ई-विधान प्रणाली

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Published : Oct 18, 2022, 8:16 AM IST

हिमाचल प्रदेश विधानसभा को अगस्त 2014 में देश की पहली ई-विधान सभा बनने का (e assembly of Himachal) गौरव हासिल हुआ था. पेपरलेस प्रणाली से हर साल छह हजार से अधिक पेड़ कटने से बचते हैं और सालाना 15 करोड़ रुपए की बचत होती है. विधानसभा की सारी कार्यवाही अब मोबाइल ऐप पर ही उपलब्ध करवा दी जाती है. विधानसभा में पेश होने वाले विधेयक व अन्य दस्तावेज सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही मोबाइल ऐप पर (HIMACHAL PAPERLESS ASSEMBLY) उपलब्ध होते हैं.

First Digital Assembly in Himachal
6 देशों के शिष्टमंडल ने देखी हिमाचल की ई-विधान प्रणाली

शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा को देश की पहली ई-विधानसभा होने का गौरव हासिल की है. देश के कई राज्यों ने हिमाचल की ई-विधान प्रणाली का अध्ययन किया है और इसकी खूबियों को अपने राज्यों में लागू करने के लिए मदद मांगी है. अब हिमाचल की ई-विधान प्रणाली की विशेषताओं का डंका देश ही नहीं दुनिया के कई देशों में बज रहा है. इटली, जर्मनी, सेनेगल, पनामा, कोलंबिया व स्विटजरलैंड से आए 21 सदस्यों के शिष्टमंडल ने हिमाचल विधानसभा का दौरा किया और यहां की ई-विधान प्रणाली को जाना. (First Digital Assembly in Himachal)

हिमाचल विधानसभा में सभी काम ऑनलाइन: देश की पहली पेपरलेस विधानसभा में सारा कामकाज ऑनलाइन होता है. इससे सालाना 6,096 पेड़ कटने से बचते हैं और हर साल पंद्रह करोड़ रुपए की बचत होती है. इटली, जर्मनी, सेनेगल, पनामा, कोलंबिया व स्विटजरलैंड से आए 21 सदस्यों के शिष्टमंडल ने इस प्रणाली की भरपूर सराहना की. हिमाचल विधानसभा के सचिव यशपाल शर्मा (Himachal Assembly Secretary Yashpal Sharma) ने शिष्टमंडल के सदस्यों को ई-विधान प्रणाली की सारी जानकारी दी और बताया कि कैसे विधानसभा के सत्र के दौरान यहां कामकाज होता है. इस दौरान सूचना व प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक संदीप शर्मा भी साथ थे.

First Digital Assembly in Himachal
देश की पहली पेपरलेस विधानसभा,

6 देशों के शिष्टमंडल ने देखी हिमाचल की ई-विधान प्रणाली: उल्लेखनीय है कि आजादी का अमृत महोत्सव की गतिविधियों के हिस्से के रूप में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद ने 31 देशों के प्रतिनिधियों के साथ जनरल-नेक्स्ट डेमोक्रेसी नेटवर्क प्रोग्राम के पांच बैच की मेजबानी की है. इसी कड़ी में छह देशों का ये बैच हिमाचल दौरे पर हैं और यहां ई-विधान प्रणाली का अध्ययन करने के लिए आया है. इसी शिष्टमंडल ने सदन का अवलोकन भी किया और यहां स्थापित देश की सर्वप्रथम ई-विधान प्रणाली से जुड़े सभी पहलुओं की जानकारी ली. (Himachal e Vidhan system)

2014 से हिमाचल विधानसभा हाईटेक: उल्लेखनीय है कि अगस्त 2014 को हिमाचल विधानसभा पूरी तरह से हाईटेक हो गई थी और यहां ई-विधान प्रणाली ने काम करना शुरू कर दिया था. सदन के भीतर सभी सदस्यों के सामने टच स्क्रीन लगी हैं और उसमें सदन के कामकाज का सारा ब्यौरा दर्ज होता है. विधानसभा परिसर में वाई-फाई की सुविधा है. ई-विधान प्रणाली को स्थापित करने में 8.12 करोड़ रुपए का खर्च आया था. इससे पहले सदन की कार्यवाही के दौरान भारी मात्रा में कागज का प्रयोग होता था.

हिमाचल में कैबिनेट मीटिंग भी ऑनलाइन: अब हिमाचल में ई-बजट पेश होता है और कैबिनेट की मीटिंग भी ऑनलाइन होती है. हिमाचल में राज्य सचिवालय को पेपरलेस करने का प्रोजेक्ट भी पाइपलाइन में है. हिमाचल विधानसभा की उक्त प्रणाली अपने यहां स्थापित करने के लिए पड़ौसी राज्यों हरियाणा, नॉर्थ ईस्ट के राज्यों, दक्षिण के राज्यों कर्नाटक आदि ने भी रुचि दिखाई है. हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार (Himachal Assembly Speaker Vipin Singh Parmar) का कहना है कि इस प्रणाली से कई लाभ हुए हैं.

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