बागवानों के घेराव ने याद दिलाया 3 दशक पहले का आंदोलन, कोटगढ़ में पुलिस की गोली से मारे गए थे तीन बागवान

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Published : Aug 5, 2022, 7:49 PM IST

Apple Growers Protest in Shimla
जयराम सरकार के खिलाफ शिमला में बागवानों का प्रदर्शन ()

विभिन्न मांगों को लेकर इन दिनों हिमाचल में बागवानों का प्रदर्शन (Apple Growers Protest in Shimla) चल रहा है. शुक्रवार को सचिवालय का घेराव करने के लिए हजारों बागवान शिमला पहुंचे. ऐसा नहीं है कि किसान और बागवान प्रदेश में पहली बार आंदोलन कर रहे हैं. इससे पहले भी बागवान उग्र प्रदर्शन कर चुके हैं. आज शिमला में बागवानों के घेराव ने तीन दशक पहले के आंदोलन को एक बार फिर से याद दिलाया है. जब कोटगढ़ में प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए पुलिस ने गोली चलाई थी, जिसमें तीन बागवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में बागवान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन (Apple Growers Protest in himachal) पर हैं. शुक्रवार को हजारों की संख्या में बागवानों ने शिमला में सचिवालय का घेराव किया. इस घेराव ने तीन दशक पहले के आंदोलन की याद ताजा कर दी. हालांकि प्रदेश में किसान अपनी मांगों (Himachal Apple growers demand) को लेकर कई बार आंदोलन कर चुके हैं, परंतु बागवान 32 साल बाद इस तरह से उग्र प्रदर्शन करने निकले. ठीक 32 साल पहले भाजपा सरकार के दौरान ही बागवानों पर पुलिस ने गोलियां बरसाई थीं. तब कोटगढ़ में पुलिस की गोलीबारी से तीन बागवानों की मौत हुई थी.

उस दौरान हिमाचल में शांता कुमार के नेतृत्व में भाजपा की सरकार सत्तासीन (Former Himachal CM Shanta Kumar) थी. बागवानों का यह आंदोलन सेब के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी को लेकर था. बागवान चाहते थे कि सरकार सेब की खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को एक रुपए तक बढ़ाए. बताया जाता है कि उस समय सरकार ने सेब के एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्‍य) पर पच्चीस पैसे प्रति किलो की बढ़ोतरी की थी.

उस आंदोलन को मुख्य रूप से ऊपरी शिमला के बागवानों ने धार दी थी. तब शिमला जिला से संबंध रखने वाले सरकारी कर्मचारी भी आंदोलन में शामिल हुए थे. उस दौरान कोटगढ़ में भारी संख्या में बागवानों ने प्रदर्शन किया था. पुलिस बस बागवानों की बढ़ती संख्या से घबरा गया था और पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चला दी थी. उसमें तीन बागवानों की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे. उस गोलीकांड के बाद जनता का शांता कुमार सरकार के खिलाफ रोष बढ़ गया था. कोटगढ़ में 22 जुलाई 1990 को ये गोलीकांड हुआ था.

कोटगढ़ गोलीकांड में देवेंद्र शर्मा घायल हुए थे. देवेंद्र शर्मा का कहना है कि उस समय बागवानों का रोष चरम पर था. सरकार उनकी मांगों पर गौर नहीं कर रही थी. देवेंद्र शर्मा का कहना है कि ऊपरी शिमला से हजारों बागवान शिमला पहुंचे थे. उसके अलावा ऊपरी शिमला में भी कई जगह आंदोलन चल रहे थे. शिमला में सब्जी मंडी मैदान में भी बागवान जुटे थे. ऊपरी शिमला के कई इलाकों से लोग पैदल ही शिमला की तरफ आते रहे थे. जगह-जगह पुलिस उनको रोकने की कोशिश करती, लेकिन बागवानों की संख्या अधिक होने के कारण पुलिस भी बेबस नजर आती थी.

हिमाचल में शिमला सहित मंडी, चंबा, सिरमौर, कुल्लू, किन्नौर, लाहौल-स्पीति में सेब (Apple production in Himachal) पैदा किया जाता है. प्रदेश में कुल उत्पादन का अस्सी फीसदी सेब शिमला (Apple production in Shimla) जिले में होता है. जाहिर है, ऐसे में सबसे अधिक प्रभावित भी शिमला जिला के बागवान ही होते हैं. सेब उत्पादन हिमाचल में आर्थिकी का प्रमुख आधार है. इस समय बागवान सेब से जुड़ी बीस मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं.

सरकार के साथ बैठकों का दौर भी चल रहा है. सरकार के रवैये से नाराज बागवानों ने शुक्रवार को शिमला में राज्य सचिवालय का घेराव (Apple Growers Protest in Shimla) किया. ऊपरी शिमला से भाजपा नेता खुशीराम बालनाटाह का कहना है कि भाजपा सरकार बागवानों की हितैषी है. उनका कहना है कि जयराम ठाकुर सरकार ने सेब के समर्थन मूल्य में निरंतर एक रुपए प्रति किलो की बढ़ोतरी की है. कांग्रेस सरकार के समय ये बढ़ोतरी पचास पैसे प्रति किलो तक होती रही है.

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