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राज्यपाल आर्लेकर की सलाह, मंदिरों की आय से हिमाचल में बाल कल्याण का ढांचा मजबूत होना संभव

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Published : May 19, 2022, 6:36 PM IST

शिमला में हिमाचल प्रदेश बाल कल्याण परिषद की सालाना बैठक में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मंदिरों की आय और अन्य संसाधनों से राज्य में बाल कल्याण का ढांचा मजबूत करने की संभावनाएं तलाशने पर जोर दिया है.

Himachal Pradesh Child Welfare Council in Shimla
फोटो.

शिमला: हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मंदिरों की आय और अन्य संसाधनों से राज्य में बाल कल्याण का ढांचा मजबूत करने की संभावनाएं तलाशने पर जोर दिया है. राज्यपाल ने कहा कि बाल कल्याण की विभिन्न गतिविधियों को सफलतापूर्वक चलाने के लिए मंदिरों से प्राप्त होने वाली आय और अन्य संसाधन उपयोगी हो सकते हैं. वे गुरुवार को शिमला में हिमाचल प्रदेश बाल कल्याण परिषद की सालाना बैठक में बोल रहे थे. उल्लेखनीय है कि राज्यपाल इस परिषद के अध्यक्ष होते हैं. उन्होंने कहा कि परिषद की आय के स्रोत बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने इसके लिए कई सुझाव दिए.

राज्यपाल ने परिषद को अपनी गतिविधियों में आजीवन सदस्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने का सुझाव दिया. राज्यपाल का मानना था कि जिलों के उपायुक्त भी बाल कल्याण परिषद के लिए संसाधन जुटाने में सहयोग कर सकते हैं. राज्यपाल ने कहा कि मन्दिरों को प्राप्त होने वाली आय और सीएसआर से भी यह सुनिश्चित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि राज्य बाल कल्याण परिषद को एक विभाग की तरह संचालित नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि मन्दिर न्यास, परोपकारी संस्थाओं सहित समाज के समृद्ध वर्गों को आगे बढ़कर चैरिटेबल गतिविधियों के माध्यम से इस संस्थान के फंड और संसाधनों को बढ़ाने में योगदान देना चाहिए. उन्होंने अधिकारियों को सभी आश्रमों का नियमित तौर पर निरीक्षण करने के भी निर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि परिषद के सभी सदस्यों को स्वयंसेवकों के रूप में कार्य करना चाहिए. उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि इन सभी बिंदुओं पर काम करने से बाल कल्याण परिषद आत्मनिर्भर हो सकेगी. उन्होंने निर्देश दिए कि आश्रम में बालकों को वे सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करवायी जानी चाहिए जो अन्य बालकों को उनके घरों में उपलब्ध रहती हैं.

उन्होंने कहा कि इन बच्चों की मदद वास्तव में मानवता और धर्म की सच्ची सेवा है. मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने बाल कल्याण परिषद के लिए निजी क्षेत्र को सक्रिय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि जनसहभागिता को बढ़ावा देने के लिए लोगों को परिषद से आजीवन सदस्य के रूप में जोड़ने के प्रयास किए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि परिषद के आजीवन सदस्यों के सदस्यता शुल्क को पांच हज़ार से बढ़ाकर 11 हजार किया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल देव भूमि होने से प्रदेशवासियों में मानवीय सोच की अधिकता के कारण राज्य में परिजनों द्वारा अभिभावकों एवं वृद्धजनों के परित्याग के मामले कम सामने आते हैं. इसके बावजूद प्रदेश के वृद्धाश्रमों में अभी भी कुछ संख्या में वृद्धजन रह रहे हैं.

सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि परिषद को आम लोगों और परोपकारी संस्थाओं को वृद्धाश्रमों के प्रबंधन में सहयोग के लिए आगे आने हेतु प्रेरित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि समाज के इस वर्ग के कल्याण के लिए विभिन्न परियोजनाएं प्रारम्भ करने के लिए औद्योगिक घरानों को भी प्रेरित किया जाना चाहिए. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री सरवीण चौधरी ने परिषद के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विभाग निराश्रित बच्चों, विशेष रूप से सक्षम और बुजुर्गों के अधिकारों के प्रति संवेदनशील है. बाल विकास परिषद की महासचिव पायल बहल वैद्य ने कहा कि परिषद ने विभिन्न गतिविधियों को प्रभावी तरीके से संचालित किया है. परिषद बाल कल्याण को लेकर गंभीरता से कार्य कर रही है.

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