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प्रदेश में के 140 बच्चे हीमोफीलिया की गिरफ्त में, IGMC में निशुल्क इलाज उपलब्ध

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Published : Jan 13, 2021, 4:13 PM IST

Haemophilia in Himachal
Haemophilia in Himachal

हिमाचल में अभी तक 140 मरीज हीमोफीलिया की चपेट में आए हैं. हिमाचल में आईजीएमसी और टांडा मेडिकल कॉलेज में हीमोफीलिया का उपचार होता है. आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि अस्पताल में हीमोफीलिया के मरीज आ रहे हैं. अगर किसी मरीज को हीमोफीलिया है तो वह तुरंत आईजीएमसी में आएं और अपना निशुल्क इलाज करवाएं.

शिमलाः हिमाचल में हीमोफीलिया की बीमारी बढ़ रही है. जहां पहले लोगों में यह बीमारी कम देखने को मिलती थी लेकिन अब हीमोफीलिया के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है. हिमाचल में अभी तक 140 मरीज हीमोफीलिया की चपेट में आए हैं. राजधानी शिमला के आईजीएमसी की अगर बात की जाए तो यहां पर वर्तमान में 35 बच्चों का इलाज जारी है. चिंता का विषय तो यह है कि हीमोफीलिया की चपेट में खासकर बच्चे ही आ रहे हैं.

हिमाचल में आईजीएमसी और टांडा मेडिकल कॉलेज में हीमोफीलिया का उपचार होता है. चिकित्सक का तर्क है कि लोग समय रहते ही इसका उपचार करवाएं. हीमोफीलिया मरीजों की अगर बात की जाए तो एक मरीज को स्वस्थ होने के लिए 9 से 10 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन धैर्य की बात ये है कि इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों का सारा खर्चा सरकार उठा रही है. यहां मरीजों के फ्री उपचार की स्कीम प्रदेश सरकार ने लागू की है. सरकार की यह स्कीम प्रदेश के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है.

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आईजीएमसी अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि अगर किसी भी मरीज को इस बीमारी से निजात पानी है तो वे अपना आधार कार्ड या फिर हिमाचली बोनोफाईड से इस योजना का लाभ ले सकता है. किसी मरीज का अगर हीमोफोलिक सोसायटी में नाम दर्ज है, तो वह मरीज भी अपना इलाज करवा सकते हैं.

क्या है हीमोफीलिया

पैतृक रक्तस्राव या हीमोफीलिया एक आनुवांशिक बीमारी है. इसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है. इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है. इस बीमारी के कारण रक्त का बहना जल्द बंद नहीं होता. विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे क्लॉटिंग फैक्टर कहा जाता है.

जरा-सी चोट पर बहने लगता है खून

इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है. इस रोग में रोगी के शरीर के किसी भाग में जरा सी चोट लग जाने पर बहुत अधिक मात्रा में खून का निकलना शुरू हो जाता है. इससे रोगी की मृत्यु भी हो सकती है. ऐसे में मरीज को चाहिए कि वे समय रहते ही मरीज अस्पताल में आकर अपना उपचार करवाएं.

साल में 4 बार होती है थेरेपी

हीमोफीलिया के मरीजों की साल में 4 बार थेरेपी होती है. ताकि रक्त का बहना कम हो. एक मरीज को थेरेपी करवाने के लिए ढाई से तीन लाख रुपये लगते हैं, लेकिन अब यह थेरेपी निशुल्क होगी. चिकित्सकों का कहना है कि हीमोफीलिया वाले मरीज इसका फायदा उठा सकते हैं.

क्या है बीमारी के लक्षण

इस बीमारी के लक्षण शरीर में नीले निशानों का बनना, नाक से खून का बहना, आंख के अंदर खून का निकलना और जोड़ों की सूजन इत्यादि है. आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि अस्पताल में हीमोफीलिया के मरीज आ रहे हैं. आईजीएमसी में हीमोफीलिया का निशुल्क इलाज हो रहा है. मरीजों को पीजीआई जाने की जरूरत नहीं है.

अगर किसी मरीज को हीमोफीलिया है तो वह तुरंत आईजीएमसी में आएं और अपना निशुल्क इलाज करवाएं. जितने भी मरीजों को इसके इंजेक्शन लगने है, वह निशुल्क दिए जा रहे है. प्रदेश सरकार के सौजन्य से अस्पतालों में हीमोफीलिया का इलाज निशुल्क हो रहा है.

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