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नाहन: हिमाचल वन विभाग ने जंगलों को आग से बचाने के लिए बनाई योजना, लोगों की आजीविका भी बढ़ेगी

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Published : Feb 17, 2022, 2:19 PM IST

हिमाचल वन विभाग द्वारा जिला मुख्यालय नाहन में शुक्रवार को एक दिवसीय कार्यशाला का (Forest Department workshop in Nahan) आयोजन किया गया. कार्यशाला में गर्मियों के मौसम में जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए योजना तैयार की गई.

Himachal Forest Department workshop in Nahan
नाहन में वन विभाग की कार्यशाला

नाहन: गर्मी के मौसम को देखते हुए हिमाचल वन विभाग जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं से निपटने के लिए योजना तैयार कर रहा है, ताकि प्रदेश में हर साल आग से लाखों हेक्टेयर तबाह होने वाले जंगलों को बचाया सके. इसी उद्देश्य को लेकर हिमाचल वन विभाग द्वारा जिला मुख्यालय नाहन में शुक्रवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन (Forest Department workshop in Nahan) किया गया.

दरअसल ग्रीन इंडिया मिशन (Green India Mission) के तहत हिमाचल वन विभाग द्वारा चीड़ के पत्तों से प्राकृतिक फाइबर तैयार कर लोगों को आजीविका प्रदान करने के विषय पर यह कार्यशाला हिमाचल वन विभाग के पीसीसीएफ हॉफ अजय श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई. इस दौरान फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, आईसीएफआरई देहरादून के अधिकारी भी मौजूद रहे. जिनकी देखरेख में इस संबंध में विस्तार से चर्चा की गई.

नाहन में वन विभाग की कार्यशाला

मीडिया से बात करते हुए हिमाचल वन विभाग के पीसीसीएफ हॉफ अजय श्रीवास्तव ने बताया कि जंगलों में (Fire incident in Himachal forests) आग लगने का मुख्य कारण चीड़ की पत्तियां रहता है, जो कि जंगलों के साथ-साथ सड़कों के किनारे एकत्रित हो जाती है. वन विभाग का प्रयास है कि ग्रामीणों की मदद से इन चीड़ की पत्तियों को समय-समय पर हटाया जाए. ग्रामीण इन चीड़ की पत्तियों से फाइबर निकालकर विभिन्न तरह के उत्पाद तैयार कर अपनी आजीविका को बढ़ा सकते हैं. इसकी मार्केटिंग को लेकर भी पूरे प्रयास किए जाएंगे.

अजय श्रीवास्तव ने बताया कि ग्रामीण विकास विभाग, वन निगम आदि विभागों का भी सहयोग लिया जा रहा है. ग्रामीणों को भी इस बारे में जागरूक किया जा रहा है. मकसद साफ है, एक योजना तैयार कर जहां जंगलों को आग से बचाया जा सके वहीं, लोगों की आजीविका को भी बढ़ाया जा सके. बता दें कि हिमाचल में चीड़ भारी मात्रा में पाया जाता है. ऐसे में वन विभाग का यह प्रयास जहां वन संरक्षण में सहायक साबित होगा. वहीं, लोगों को रोजगार सृजन में भी मददगार साबित होगा.

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