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कुल्लू में पिता-पुत्र की जोड़ियों ने अलग-अलग सीटों से ठोकी ताल, क्या परिवारवाद को ना बोलने वाली बीजेपी का बिगाड़ेंगे हाल ?

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Published : Jun 6, 2022, 5:37 PM IST

विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों में ,जहां सरगर्मियां तेज हो गई है. वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता महेश्वर लगातार बूथ स्तर पर जाकर कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क बना रहे और केंद्र व प्रदेश सरकार की नीतियों का भी प्रचार कर रहे. इसके अलावा बंजार विधानसभा क्षेत्र में हाशिए पर चल रहे पूर्व मंत्री खीमी राम शर्मा ने भी अपना चुनावी अभियान(Sons of BJP leaders announced ) तेज कर दिया है. दोनों ही वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ उनके बेटों ने भी अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी ताल ठोक दी है.

कुल्लू में नेता पुत्रों का चुनाव लड़ने का ऐलान
कुल्लू में नेता पुत्रों का चुनाव लड़ने का ऐलान

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों में जहां सरगर्मियां तेज हो गई है. वहीं, विधानसभा चुनावों में अपना टिकट पक्का करने के लिए दावेदार भी जनता के बीच संपर्क अभियान में जुटे हुए हैं. ऐसे में बार-बार परिवारवाद का मामला चुनाव के साथ ही एंट्री ले लेता है. देशभर में हर पार्टी के सामने परिवारवाद का सवाल खड़ा रहता है और इसी परिवारवाद के सहारे विरोधी हमला भी बोलते हैं. परिवारवाद को लेकर सबसे ज्यादा हमले झेलने वाली पार्टी कांग्रेस है और परिवारवाद के खिलाफ सबसे ज्यादा हमलावर बीजेपी रही है. बीजेपी हमेशा परिवारवाद की खिलाफत करती रही है लेकिन गाहे-बगाहे अपने फैसलों को लेकर उसके दामन पर भी परिवारवाद के छींटे पड़ते रहे हैं और इस बार ये छीटें अपने ही उछाल रहे हैं.

टिकट की चाहत रखने वालों को होगी निराशा: अगर बीजेपी ने परिवारवाद को सिरे से नकार दिया तो कई नेताओं के टिकट की चाहत धरी की धरी रहना तय है. क्योंकि हर सीट पर टिकट के चाहवानों की लिस्ट बहुत लंबी है जिनमें परिवारवाद का झंडा लिए नेता भी शामिल है. चुनाव को लेकर टिकट बंटवारे में भले वक्त हो लेकिन अपनी-अपनी दावेदारी को लेकर नेता फील्ड में उतर चुके हैं और इनमें टिकट के वो चाहवान भी हैं जो परिवारवाद के सहारे अपनी उपस्थिति जनता के साथ-साथ आलाकमान के सामने भी दर्ज करवाना चाहते हैं. कुल्लू में भी भाजपा के वरिष्ठ नेता लगातार इन दिनों जनसंपर्क अभियान में जुटे हुए हैं.

दो नेताओं के पुत्र मैदान में: बीजेपी में परिवारवाद की एक झलक कुल्लू जिले में दिखती है. जहां कुल्लू विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के वरिष्ठ नेता महेश्वर सिंह (maheshwar singh) लगातार बूथ स्तर पर जाकर कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क बना रहे हैं और केंद्र व प्रदेश सरकार की नीतियों का भी प्रचार कर रहे हैं. इसके अलावा बंजार विधानसभा क्षेत्र में हाशिए पर चल रहे पूर्व मंत्री खीमी राम शर्मा ने भी अपना चुनावी अभियान (khimi ram sharma) तेज कर दिया है. दोनों नेताओं के साथ-साथ उनके बेटे भी अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में जन संपर्क अभियान चलाकर, चुनावी ताल ठोक रहे हैं.

एक का बेटा बनाम दूसरे का पिता- महेश्वर सिंह के छोटे बेटे हितेश्वर सिंह ने बीते दिनों बंजार विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया, ये वही बंजार सीट है जहां से खीमी राम शर्मा चुनाव लड़ना चाहते हैं. उधर पूर्व मंत्री खीमी राम शर्मा के बड़े बेटे संजीव कुमार ने उस कुल्लू विधानसभा क्षेत्र से चुनावी ताल ठोकी है, जहां से महेश्वर सिंह ताल ठोक रहे हैं. इस तरह ये दोनों परिवार कुल्लू और बंजार सीट पर नजर गढ़ाए बैठे हैं और दोनों जगह फिलहाल जंग एक का बेटा बनाम दूसरे का पिता वाली दिख रही है.

दोनों परिवारों को होगा नुकसान: अगर केंद्रीय भाजपा ने परिवारवाद को दरकिनार किया तो इसका नुकसान दोनों परिवारों को उठाना पड़ेगा. भाजपा कह चुकी है कि विधानसभा चुनावों में परिवारवाद की राजनीति नहीं चलेगी. जो उम्मीदवार जनता के बीच अपनी पहुंच रखता होगा उसे टिकट दिया जाएगा. ऐसे में जनता के बीच जा रहे इन नेताओं की मेहनत क्या रंग लाएगी यह विधानसभा चुनाव से पहले तय होगा. लेकिन सवाल है कि मौके की नजाकत को देखकर कदम उठाने वाले नेता क्या पार्टी की एक परिवार एक टिकट की पॉलिसी को पचा पाएंगे. क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो चुनाव में यही अपने बागी होकर पार्टी का समीकरण बिगाड़ सकते हैं.

परिवारवाद पर फैसला नहीं: वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने बताया हाईकमान विधानसभा चुनावों में टिकट का वितरण करता है. परिवारवाद मामले को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया. आचार संहिता लगने के बाद ही पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक होगी और उसी में ही विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों के चेहरे तय किए जाएंगे. फिलहाल यह तय है कि एक ही परिवार में दो लोगों को टिकट नहीं दिया जाएगा. बाकी हाईकमान का जो फैसला होगा उस पर पार्टी के नेता अमल करेंगे.

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