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JBT महिला टीचर और चौथी क्लास में पढ़ने वाली बच्ची: सहपाठियों ने निभाई अहम भूमिका, शिक्षा के मंदिर से न्याय की चौखट तक पहुंचे थे कदम

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Published : Feb 5, 2022, 10:52 PM IST

हमीरपुर में छात्रा को पीटने और जातिसूचक शब्द बोलने पर सरकारी स्कूल में सेवारत जेबीटी शिक्षिका को जिला एवं सत्र न्यायालय हमीरपुर ने एक लाख रुपये जुर्माना लगाया है. इस पूरे मामले में पीड़ित छात्रा के सहपाठियों ने अहम भूमिका निभाई है. बच्चे सहपाठी छात्रा को न्याय दिलाने के लिए शिक्षा के मंदिर से न्याय की चौखट तक पहुंचे गए थे और सभी ने कोर्ट में अपना बयान भी दर्ज करवाया था. बता दें कि यह मामला वर्ष 2019 का है. जहां प्राथमिक पाठशाला अमनेड में सेवारत तत्कालीन (one lakh fine on teacher HP) जेबीटी शिक्षिका रजनी कुमारी के खिलाफ पुलिस थाना हमीरपुर में मामला दर्ज हुआ था.

HAMIRPUR JBT TEACHER CASE
हमीरपुर में छात्रा की पिटाई का मामला

हमीरपुर: जिला हमीरपुर में छात्रा को पीटने और जातिसूचक शब्द बोलने पर सरकारी स्कूल में सेवारत जेबीटी शिक्षिका को जिला एवं सत्र न्यायालय हमीरपुर ने एक लाख रुपये जुर्माना लगाया है. बता दें कि छात्रा को जातिसूचक शब्द बोलने के मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के ऐतिहासिक फैसले के पीछे संघर्ष की कहानी को जानकर आप हैरान रह जाएंगे. इंसाफ की लड़ाई में पीड़ित छात्रा को न्याय दिलाने के लिए नन्हे मुन्ने सहपाठी कोर्ट तक पहुंच गए.

न्याय के मंदिर से आए ऐतिहासिक फैसले के पीछे इन नन्हे मुन्ने गवाहों की साहस की कहानी भी है, जो शिक्षा के मंदिर से लेकर न्याय की चौखट तक पहुंचे. पीड़ित छात्रा को इंसाफ दिलाने के लिए इन नन्हे मुन्ने बच्चों ने भी कोर्ट में गवाही दी थी. पीड़ित बच्ची को इस कदर बेरहमी से पीटा गया था कि वह बहुत सहमी हुई थी, लेकिन यह सब सहपाठी उसकी हिम्मत (Girl Student beating case in Hamirpur) बने.

शिक्षिका पर आरोप था कि उसने चौथी कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा की निर्मम पिटाई की और उसे जातिसूचक शब्द भी बोले. मामले में शिकायत मिलने पर शिक्षा विभाग (Education Department Himachal) ने आरोपी शिक्षिका को सस्पेंड कर उसे हेडक्वार्टर बिझड़ी फिक्स किया था, लेकिन कुछ माह बाद नियमों के अनुसार उसे दोबारा बहाल कर दिया गया था.

वहीं, कोर्ट (Court Action on teacher in Hamirpur) ने इस मामले में शिक्षिका पर एक लाख का जुर्माना लगाया है. जुर्माने का भुगतान न करने पर दोषी शिक्षिका (one lakh fine on teacher HP) को छह माह के साधारण कारावास की सजा काटनी होगी. जिला सत्र न्यायाधीश जेके शर्मा की अदालत ने शिक्षिका को मामले में सुनवाई के बाद दोषी करार दिया है.

पीड़ित बच्ची के परिजनों पर फेंक दिया था जूठा पानी: बता दें कि छात्रों को पीटने के बाद जेबीटी शिक्षिका को एक लाख के जुर्माने की सजा सुनाई गई है. इस मामले में महज छात्रा को ही अपमानित कर पीटा नहीं गया था. बल्कि, जब परिजन स्कूल में शिकायत लेकर पहुंचे, तो आरोपी शिक्षिका ने उन पर जूठा पानी तक फेंक दिया था. इस मामले में इंसाफ की लड़ाई लड़ने वाले अंबेडकर महासभा हिमाचल प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष ओंकार चंद भाटिया की मानें, तो आरोपी शिक्षिका ने छात्रा को तो अपमानित किया ही था, बल्कि उनके माता-पिता और परिजनों के ऊपर जूठा पानी तक फेंक दिया था.

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डरे सहमे परिजनों ने फिर अंबेडकर सभा के अध्यक्ष ओंकार चंद भाटिया को इस मामले की जानकारी दी थी. इसके बाद परिजन और ग्रामीण उनके साथ सदर थाना हमीरपुर में पहुंचे और यहां पर तत्कालीन एसएचओ संजीव शर्मा को ओंकार चंद भाटिया ने मामले की पूरी जानकारी दी थी. मामला एट्रोसिटी एक्ट का होने के कारण परिजनों और ग्रामीणों के साथ अंबेडकर महासभा के प्रदेश अध्यक्ष तत्कालीन पुलिस अधीक्षक हमीरपुर अर्जित सेन ठाकुर से मिले थे और 26 अगस्त 2019 को एफआईआर में एट्रोसिटी एक्ट को भी जोड़ा गया था.

शिकायत के बावजूद जातिवादी सोच से बाज नहीं आई शिक्षिका: इतना ही नहीं जिस शिक्षिका को मामले (HAMIRPUR JBT TEACHER CASE) में दोषी करार दिया गया है, वह संबंधित अमनेड स्कूल में डेपुटेशन पर थी और प्राथमिक पाठशाला ताल से जातिवाद की शिकायत मिलने पर इसे प्राथमिक पाठशाला अमनेड में डेपुटेशन पर भेजा गया था. अमनेड सरकारी स्कूल में आने से पहले दोषी करार दी गई शिक्षिका ताल स्कूल में थी. वहां पर परिजनों ने जातिवाद के एक मामले में मुख्यमंत्री तक उसकी शिकायत की थी. शिकायत के बावजूद भी दूसरे स्कूल में शिक्षिका अपनी जातिवादी सोच से बाज नहीं आई. 24 अगस्त 2019 के दिन प्राथमिक पाठशाला अमनेड़ में शिक्षिका रजनी कुमारी ने छात्रा को जातिसूचक शब्द बोलने के साथ ही बेरहमी से पीट दिया था.

न्यायालय तक पहुंचने में कई लोगों ने निभाई थी भूमिका: पीड़ित छात्रा को न्याय दिलाने में उसके सहपाठियों के साथ ही तत्कालीन एसएमसी प्रधान निशा देवी वार्ड पंच शबनम और एक अन्य अभिभावक दीपा देवी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इन सभी लोगों के बयान कोर्ट में दर्ज हुए हैं. घटना के अगले दिन जब यह लोग स्कूल में पहुंचे, तो इनसे भी बदसलूकी की गई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और न्याय की लड़ाई के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

अंबेडकर महासभा का अहम रोल: वहीं, जब मुश्किल सामने आई, तो अंबेडकर महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ओंकार चंद भाटिया और समता सैनिक दल के प्रदेश अध्यक्ष संजीव व जय भीम संस्था के प्रदेश अध्यक्ष सनी ग्रामीणों के साथ एसपी कार्यालय ही नहीं, बल्कि उनके सरकारी आवास तक भी पहुंचे. यहां पर अधिकारी को मामले की गंभीरता बताई गई और उसके बाद कोर्ट में चालान पेश करने के बाद अब यह ऐतिहासिक फैसला आया है. इन लोगों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.

मामले में अंबेडकर महासभा के (Ambedkar Mahasabha Himachal) प्रदेश अध्यक्ष ओंकार चंद भाटिया कहा कि कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है. मामले में शीघ्र ही वह शिक्षा निदेशक से भी मुलाकात करेंगे और स्कूलों में छुआछूत की कुरीति को खत्म करने के लिए भी प्रयास किए जाएंगे. शिक्षा निदेशक से यह आग्रह किया जाएगा कि स्कूलों में ऐसे स्लोगन पोस्टर इत्यादि लगाए जाएं. जिससे छुआछूत जैसी कुरीति को खत्म करने के लिए कार्य किया जा सके. उन्होंने कहा कि इस कुरीति को खत्म करने के लिए यह सबसे जरूरी कार्य है और यह हर हाल में होना चाहिए.

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