ETV Bharat / city

चंबा में बना है एशिया का पहला कुष्ठ रोग अस्पताल, 144 साल से मरीजों को दे रहा अपनी सेवाएं

author img

By

Published : Nov 8, 2019, 2:45 PM IST

Updated : Nov 8, 2019, 5:55 PM IST

डिजाइन फोटो

चंबा के सरोला में एशिया का पहला कुष्ठ रोग अस्पताल स्थापित है, जिसे 1875 में डॉ. हचिसन ने बनवाया था. डॉ. हचिसन ब्रिटेन के रहने वाले थे और वैले मिशन के सदस्य थे. आज इस अस्पताल में 8 मरीज अपना इलाज करवा रहे हैं, ये सभी एक परिवार की तरह रहते है और दूसरे के दुख में सहभागी होते हैं.


चंबा: आज हम आपको एशिया के पहले कुष्ठ रोग अस्पताल के बारें में बताएंगे. इस अस्पताल को चंबा जिला के सारोल में 1875 में डॉ. हचिसन ने बनवाया था. डॉ. हचिसन ब्रिटेन के रहने वाले थे और वैले मिशन के सदस्य थे. उस समय रियासत काल का दौर था. चंबा के राजाओं ने इस कुष्ठ रोग अस्पताल की देखभाल का जिमा लिया था.

1952 में ये कुष्ठ रोग चिकित्सालय सरकार के अधीन हो गया, उसके बाद इस चिकित्सालय का जिम्मा प्रदेश सरकार के हाथों में आ गया था. जब कुष्ठ रोग अस्पताल का निर्माण करवाया गया था, तो इस अस्पताल में बिस्तरों की संख्या 37 हुआ करती थी, लेकिन धीरे-धीरे समय बीतता गया और ये संख्या कम होती गई.

वीडियो रिपोर्ट.

आलम ये है कि इस अस्पताल में मरीजों की संख्या करीब आठ रह गई है, जबकि कुष्ठ रोग अस्पताल में कुछ ऐसे मरीज भी हैं, जो पिछले 50 सालों से अपना इलाज करवा रहे हैं.

इस कुष्ठ रोग चिकित्सालय में मरीज परिवार की तरह रहते है. मरीजों में चार महिलाएं और चार पुरुष शामिल हैं. मरीजों के रहने खाने और पीने का खर्चा सरकार द्वारा उठाया जा रहा है.

एशिया का पहला कुष्ठ रोग अस्पताल का तमगा पहने वाला ये हॉस्पिटल अब सरकार की बेरुखी का शिकार हो गया है. आलम ये है कि अस्पताल की दूसरी मंजिल में दरारे पड़ गई हैं और पहली मंजिल में ही 8 मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

कुष्ठ रोग अस्पताल में इलाज करवा रहे मरीजों ने बताया कि वो इस अस्पताल में कई सालों से अपना इलाज करवा रहे हैं. अस्पताल में स्टाफ भी अच्छा है, लेकिन सरकार को अस्पताल के भवन और इसकी हालत में सुधार करना चाहिए.

क्या है कुष्ठ रोग और कैसे फैलता है ये रोग
कुष्ठ रोग को भारत में कोढ़ भी कहा जाता है. कुष्ठ रोग सदियों पुराना रोग है, जिसे छूआछूत की बीमारी भी कहा जाता है. ये रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक बैक्टीरिया द्वारा फैलाया जाने वाला बैक्टीरियल इंनफेक्शन है. ये लंबे समय तक रहने वाला और जल्द फैलने वाला रोग है. मुख्य रुप से ये इंनफेक्शन शरीर की नसों, हाथ-पैर, नाक की परत और ऊपरी श्वासन तंत्र को प्रभावित करता है.

कुष्ठ रोग से सबसे ज्यादा प्रभावित लोग भारत, अफ्रीका और दक्षिणी अमरीका में है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 1,80000 लोग कुष्ठ रोग से प्रभावित है जो ज्यादातर अफ्रीका और भारत में है.

कुष्ठ रोग के प्रकार

तंत्रिका कुष्ठ रोग
तंत्रिका कुष्ठ रोग से मनुष्य के शरीर के प्रभावित अंगों की सवेदंशीलता समाप्त हो जाती है| चाहे प्रभावित हिस्से को काट भी देगे तो रोगी को कुछ भी पता नहीं चलता है. यानि की उसको दर्द महसूस नही होता.
ग्रन्थि कुष्ठ रोग
ग्रन्थि कुष्ठ रोग से शरीर में विभिन्न रंग के चकते व धब्बे पड़ जाते हैं. शरीर में गाठें उभर आती हैं.
मिश्रित कुष्ठ रोग
मिश्रित कुष्ठ रोग में रोगी के प्रभावित अंगों की समाप्त सवेदंशीलता के साथ साथ दाग धब्बे पड़ जाते है और शरीर के प्रभावित क्षेत्र में गाठें निकल आती हैं.

कुष्ठ रोग के लक्षण

  • शरीर में चकते, धब्बे और चकते और धबो के क्षेत्र में असवेदंशीलता होना.
  • प्रभावित क्षेत्र में गाठों का उभरना.
  • प्रभावित क्षेत्र से मवाद व द्रव का बहना.
  • घाव का ठीक ना होना और लगातार खून का निकलना.
  • धीरे धीरे अंगों और त्वचा का गलना और नष्ट हो.
Intro:एशिया का पहला कुष्ट रोग चिकित्सालय चंबा के सारोल में हुआ था स्थापित ,डॉ हचसिन ने 1875 में किया था स्थापित ,ब्रिटेन के रहने वाले थे डॉ हचसिन बैले मिशन के सदस्य थे ,राजाओं ने सम्भाला था इस अस्पताल का जिम्मा , आज भवन की हालत भी खस्ता ,

स्पेशल रिपोर्ट / अंजली देखें इस रिपोर्ट को उन्होंने मंगवाई है ,
आज हम आपको एशिया के पहला कुष्ट रोग अस्पताल के बारें में बताना चाहते है जो चंबा जिला के सारोल में 1875 ईसवीं में डॉ हचिसन द्वारा स्थापित किया गया था , डॉ हचिसन ब्रिटेन के रहने वाले थे और वैले मिशन के सदस्य थे और उस समय रियासत काल का दौर था चंबा के राजाओं ने इस कुष्ठ रोग चिकित्सालय की देखभाल का जिमा सम्भाला हुआ था ,1952 में ये कुष्ठ रोग चिकित्सालय सरकार के अधीन हो गया उसके बाद इस चिकित्सालय का जिम्मा प्रदेश सरकार के हाथों में आ गया था ,जब इस अस्पताल का निर्माण करवाया गया था इस अस्पताल में कुल मरीजों की बिस्तर संख्या 37 के करीब हुआ करती थी ,लेकिन धीरी धीरी समय बीतता गया और ये संख्या भी कम होती गई ,आज इस इस अस्पताल में मरीजों की संख्या करीब आठ के आसपास रह गई है चंबा के इस कुष्ठ रोग अस्पताल में कुछ ऐसे मरीज भी है जो पिछले चालीस से पचास सालों से अपना इलाज करवा रहे हैं ,जिसके चलते उनके रहने खाने पीना सब सरकार द्वारा वहान किया जाता है ,लेकिन एशिया का तमगा पहने इस कुष्ठ रोग अस्पताल की हालात खस्ता हो गई है लेकिन सरकार इसकी और ध्यान नहीं दे रही है ,ऐसे में सबाल खड़े होते है की एशिया के पहले कुष्ठ रोग चिकित्सालय की ऐसी तस्वीर अपने आप में कई तरह के सबाल उठाती है ,इस अस्पताल में मरीज परिवार की तरह रहते है और इनमे चार महिलाएं और चार पुरष शामिल हैं ,जो पिछले काफी सालों से अपना इलाज करवा रहे है , लेकिन अब ये भवन अब धीरी धीरे अपनी पहचान खोने लगा है ,

क्या है कुष्ठ रोग और कैसे फैलता है ये रोग ,
लेप्रोसी के मरीज को छुआछूत, कोढ़ और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है. यह सर्वथा गलत है. संक्रामक बीमारी होने के बावजूद यह छूने या हाथ मिलाने, उठने-बैठने या कुछ समय के लिए साथ रहने से नहीं फैलती है. यह संभव है कि लेप्रोसी पीड़ित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक साथ रहने से परिवार के सदस्य इसकी चपेट में आ जाएं, लेकिन नियमित रूप से चेकअप कराने और समुचित बचाव करने से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. इसलिए वैसे लोगों को मुख्य धारा में लाने का प्रयास करें.लेप्रोसी या कुष्ठ रोग एक हवा जनित संक्रामक रोग है, जिसे हैनसेन रोग भी कहा जाता है. यह रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्रे बैक्टीरिया के फैलने से होता है. लेप्रोसी पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर उसके श्वसन तंत्र से निकलनेवाली जल की बूंदों में लेप्रे बैक्टीरिया होते हैं. ये बैक्टीरिया हवा के साथ मिलकर दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं.
Body:क्या कहते है कुष्ठ रोग चिकित्सालय के मरीज
जब हमने यहाँ पे अपना इलाज करवा रहे मरीजों से बात की तो उनक दर्द साफ़ झलक पड़ा , वि इस बात को लेकर परेशान थे की कई सालों से इलाज करवा रहे है और यहाँ सब ठीक है स्टाफ भी ठीक है और खाने पीने की व्यस्था भी ठीक है , लेकिन दर्द है तो सिर्फ इस बात का की आखिर हम कब अपने घरों को जाएँगे हमारे कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके परिवार ही नहीं हैं बाकी सब ठीक है Conclusion:अगर आज सरकार इस एशिया के पहले कुष्ठ रोग चिकित्सालय के बारें में ध्यान देती है तो इस अस्पताल की तस्वीर और तकदीर बदल सकती हैं ,
Last Updated :Nov 8, 2019, 5:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.