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'आप' ने की मंडी में हुंकार भरने की तैयारी, भाजपा को फायदा या कांग्रेस के कुनबे में सेंधमारी ?

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Published : Mar 28, 2022, 2:49 PM IST

Updated : Mar 28, 2022, 6:46 PM IST

Aadmi Party road show in Mandi
आम आदमी पार्टी मंडी में हुंकार भरने को तैयार

पंजाब की सत्ता पर काबिज होने के बाद आम आदमी पार्टी ने अब पहाड़ी राज्य हिमाचल में नजरें गढ़ाकर भाजपा-कांग्रेस की नींद उड़ा (Aam Aadmi Party road show in Mandi) दी है. दोनों भले ही आप के वजूद को लेकर सवाल उठा रहे हों, लेकिन दोनों दलों के कुनबे में सेंध मारकर आम आदमी पार्टी ने जो राह पकड़ी है. उससे भाजपा- कांग्रेस के भीतर बेचैनी है. अगर इसी तरह राजनीति की बिसात पर आप के फेंके हुए पासे काम करते रहे तो मिशन रिपीट का भाजपा के सरकार रिपीट करने के सपने और कांग्रेस का फिर सत्ता हासिल करने की राह में मुश्किलें जरूर आएंगी.

शिमला: अप्रैल महीने की 6 तारीख को भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस भी होगा और नवरात्र का पांचवा दिन भी. इसी दिन पहाड़ की सियासत में आम आदमी पार्टी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले मंडी से हुंकार (Aam Aadmi Party road show in Mandi) भरेगी. पार्टी ने इसका खाका तैयार कर लिया है. माना जा रहा है कि इस दिन भाजपा-कांग्रेस से नाराज चल रहे कुछ नेता आम आदमी पार्टी की झाड़ू पकड़कर अपने राजनीतिक जीवन की राह को आगे बढ़ाने की दिशा में दिखाई देंगे.आम आदमी पार्टी के सर्वेर्सवा अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान मंडी में रोड शो करेंगे और हिमाचल में तीसरे विकल्प की बात पूरी ठसक के साथ करेंगे.

हवाला दिया जाएगा दिल्ली मॉडल का पंजाब के विश्वास का- पंजाब जीत से गदगद आम आदमी पार्टी ने हिमाचल में घुसते ही सबसे पहले अपना मुकाबला भाजपा से बताकर कांग्रेस का मनोबल तोड़ने का काम किया है. वहीं, मंडी से आगाज करके वह सीएम जयराम ठाकुर के घर में हिमाचल में अपना आगाज़ करने वाले हैं. वैसे मंडी से सांसद प्रतिभा सिंह कांग्रेस की हैं और इसी जिले में पंडित सुखराम का वो परिवार भी है जिसका एक पैर बीजेपी और दूसरा कांग्रेस में है.

दूर की सोच रही है 'आप'- सियासी जानकार मानते हैं कि इस चुनाव में भले आम आदमी पार्टी विकल्प बनकर ना उभरे लेकिन वो तीसरे विकल्प की राह जरूर खोल सकती है. ये बात आम आदमी पार्टी के रणनीतिकार भी भली भांति जानते हैं, लेकिन मंडी से शानदार आगाज की बदौलत पार्टी को राजनीतिक फायदा यह होगा कि राजनीतिक गलियारे हों या फिर चौक-चौराहे सब जगह चर्चा तो पार्टी की होगी. छोटे पहाड़ी राज्य में तीसरे विकल्प के तौर पर उसे देखा जाने लगेगा. बस यहीं से शुरू होगा आम आदमी पार्टी का मिशन 2027 हिमाचल.

हर दल का दरक रहा कुनबा- जिस हिसाब से आम आदमी पार्टी ने हिमाचल को लेकर अपनी कमर कसी है और सत्येंद्र जैन को चुनाव प्रभारी बनाया है. उसने कांग्रेस और बीजेपी दोनों के कुनबे में हलचल जरूर पैदा कर दी है. दरअसल कांग्रेस की कलह नई नहीं है और बीजेपी में भी असंतुष्टों की कमी नहीं है. ऐसे में आप की नजर भाजपा-कांग्रेस के कुनबे में विभीषणों की तलाश कर अपना कुनबा बढ़ाने की है. पार्टी को इसमें शुरुआती सफलता मिल भी गई है. लेकिन प्रदेश में पार्टी को स्थापित करने के लिए बड़े चेहरों की तलाश जारी है. इस बार पार्टी-भाजपा-कांग्रेस से नाराज बड़े नेताओं पर दांव खेलने को तैयार है. वैसे आप ने नगर निगम चुनाव में भाग्य आजमाया था, लेकिन कारगर साबित नहीं हुआ, लेकिन पंजाब की जीत ने उसे आत्मविश्वास से लबरेज कर दिया और शायद यही कारण है कि हिमाचल की ठंडी तासीर वाली राजनीति में केजरीवाल की जोरदार एंट्री से यहां राजनीतिक उबाल लाकर दोनों मुख्य दलों के समीकरणों को तोड़ने की जुगत की जाएगी.

वाराणसी में कामयाब नहीं हुए केजरीवाल-आठ साल पहले की तस्वीरों को देखकर बात की जाए तो अरविंद केजरीवाल ने वाराणसी में भी ऐसा ही किया था. जहां से पीएम नरेंद्र मोदी उम्मीद्वार थे.यहां उनका रोड शो उतना कामयाब नहीं हुआ.शायद इसलिए आप की रणनीति बनाने वालों ने 'संजय' की दृष्टि से देखना शुरू किया और छोटे राज्यों में पकड़ बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया और उसका असर पंजाब में जीत के तौर पर सबके सामने है.

भाजपा को मिल सकता फायदा- जानकारों की मानें तो आम आदमी पार्टी की एंट्री से इस बार सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को मिल सकता है. गुटों में बंटी कांग्रेस का सबसे ज्यादा फायद आप को होने वाला है. कांग्रेस के कुनबे में सेंधमारी के लिए आम आदमी पार्टी को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. टिकट की चाहत में गुटों में बंटे कांग्रेसी खुद-ब खुद आप का दामन थामने लगेंगे. वहीं, दूसरी और भाजपा के कोर वोटर और कार्यकर्ताओं को को हिलाना भले मुश्किल हो ,लेकिन कुछ चेहरे जरूर आम आदमी पार्टी का दाम थामकर कुछ सीटों पर गणित बिगाड़ सकते हैं. कुल मिलाकर कांग्रेस-बीजेपी में टिकट बंटवारे और अनदेखी से नाराज नेता ही आम आदमी पार्टी की पूंजी बन सकते हैं. वैसे हिमाचल की राजनीति के इतिहास को देखा जाए तो, जब भी यहा तीसरे विकल्प ने उभरकर सामने आने की कोशिश की, इसका फायदा भाजपा को मिला.

ऊना-कांगड़ा पर नजर- फिलहाल अगर 2022 विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो आम आदमी पार्टी की नजर कांगड़ा और ऊना जिले पर हो सकती है. दरअसल कांगड़ा प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है जहां 15 विधानसभा सीटे हैं और यहीं से हिमाचल की सत्ता की राह निकलती है. इसके अलावा कांगड़ा और ऊना पंजाब से सटे जिले हैं, पंजाब में सरकार चला रही पार्टी इन दो जिलों में अपनी पैठ आसानी से बना सकती है. जानकार मानते हैं कि पार्टी अगर इन विधानसभा सीटों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा पाई तो उसमें इन दो जिलों की अहम भूमिका होगी.

नगर निगम चुनाव में परीक्षा- आम आदमी पार्टी को यह भी नहीं भूलना चाहिए की पहाड़ों की रानी शिमला के नगर निगम चुनाव में उसने लड़ने का ऐलान कर दिया है. अगर यहां बाजी उल्टी पड़ी तो उसका असर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा.शायद पार्टी को इसका अहसास है. इसलिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मनीष ठाकुर हो या भाजपा शिमला के पूर्व पार्षद गौरव शर्मा या फिर अखिल भारतीय वाल्मीकि समाज के प्रदेश अध्यक्ष विक्की. सबको शिमला से जोड़ा गया, ताकि शहर की सरकार में पार्टी का अहम किरदार नजर आए और उसका मैसेज दूर तक जाए.

भाजपा-कांग्रेस का एक ही राग- भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने सोलन में शुक्रवार को यहां तक कह डाला कि आम आदमी पार्टी एक वाइन की बोतल है, जिसमें पुरानी शराब कांग्रेस बन रही है. वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने हमीरपुर में शुक्रवार को कहा कि आम आदमी पार्टी पंजाब के बाद हिमाचल में प्रयोगशाला नहीं बना पाएगी. सीएम जयराम ठाकुर हो या फिर पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल भी आम आदमी पार्टी के भविष्य की संभावनाओं को शून्य बता चुके है.

वहीं, मंडी से भाजपा के विधायक अनिल शर्मा का मानना है कि आम आदमी पार्टी के आने से भाजपा-कांग्रेस में बिखराव होगा. आम आदमी पार्टी आगामी चुनावों में भले ही सरकार बनाने में कामयाब ना हो, लेकिन दूसरे दलों को रोक सकती है. वहीं, कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे रिटार्यड मेजर विजय सिंह मनकोटिया के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की अटकलें तेज है. वहीं, सूत्रों की मानें तो प्रदेश के सबसे बड़े जिले कांगडा में भाजपा-कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को टिकट नहीं दिया तो वह झाड़ू के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़कर अपनी पार्टियों को धूल चटवाने की तैयारी मे लग गए है.

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Last Updated :Mar 28, 2022, 6:46 PM IST
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