नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने 10वीं-12वीं की ऑफलाइन बोर्ड परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस तरह की याचिका हर तरफ झूठी उम्मीद और भ्रम पैदा करती है.
बेंच ने कहा कि यह न केवल झूठी उम्मीदें पैदा करता है बल्कि तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भ्रम भी पैदा करता है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार भी शामिल हैं. पीठ ने कहा कि छात्रों को अपना काम करने दें और अधिकारियों को अपना काम करने दें.
अनुभा श्रीवास्तव ने दायर की थी याचिका
विभिन्न राज्यों के छात्रों की ओर से बाल अधिकार कार्यकर्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय (Child rights activist Anubha Srivastava Sahay) ने 10वीं व 12वीं कक्षा के लिए ऑफलाइन बोर्ड परीक्षा (offline board exam) आयोजित करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. याचिका में महामारी को देखते हुए मूल्यांकन के वैकल्पिक तरीके अपनाने की मांग की गई थी.
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याचिका में सीबीएसई और अन्य शिक्षा बोर्डों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि मूल्यांकन के वैकल्पिक तरीकों को विकसित करें व कक्षा 10वीं-12वीं की ऑफलाइन बोर्ड परीक्षा आयोजित न करें. वहीं सीबीएसई ने 26 अप्रैल से कक्षा 10 और कक्षा 12 के लिए टर्म टू बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है.