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अमेरिकी रिपब्लिकन सीनेटर ने किया आगाह, यूक्रेन मसले पर भारत से खराब नहीं करें रिश्ते

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Published : Mar 4, 2022, 12:39 PM IST

संयुक्त राष्ट्र की आम सभा (UNGA) में रूस के ख़िलाफ़ यूक्रेन पर हमले को लेकर निंदा प्रस्ताव पर भारत के रुख पर अमेरिका में व्यापक चर्चा हो रही है. वोटिंग में भारत की अनुपस्थिति के बाद बुधवार को अमेरिकी सीनेट पैनल ने भारत के संबंधों पर सुनवाई की. इस दौरान एक प्रभावशाली रिपब्लिकन सीनेटर ने आगाह किया है कि यूएन में वोटिंग के कारण अगर अमेरिका भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाता है, तो यह उसका मूर्खतापूर्ण कदम होगा.

Republican Senator
Republican Senator tod young

न्यूयॉर्क : संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में यूक्रेन पर हुई वोटिंग में भारत की गैरहाजिरी के कुछ घंटे बाद सीनेट पैनल ने भारत के साथ संबंधों की समीक्षा की. इन दौरान भारत की गैरहाजिरी पर भी व्यापक चर्चा हुई. सीनेट पैनल की सुनवाई के दौरान इंडियाना के रिपब्लिकन सीनेटर टॉड यंग ने कहा यूक्रेन में जो कुछ हो रहा है, उसके आधार पर अगर भारत के साथ हमारे संबंध बिगड़ते हैं तो यह अमेरिका के लिए मूर्खतापूर्ण और अदूरदर्शी कदम साबित होगा. उन्होंने और अन्य सीनेटरों ने भी बहस में भारत की रणनीतिक स्थिति, आबादी, अर्थव्यवस्था पर चर्चा की और संबंधों को बढ़ाने पर जोर दिया.

भारत के साथ अमेरिकी संबंधों पर दक्षिण एशिया के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने कहा कि रूसी गोलीबारी में एक स्टूडेंट की मौत के बाद भारत में प्रतिक्रिया हुई है, इसके बाद से यूक्रेन मसले पर भारत की स्थिति बदल रही है. भारत का पक्ष रखते हुए उन्होंने सीनेट पैनल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और राष्ट्रपति (वलोडिमिर) ज़ेलेंस्की से हुई बातचीत का ब्यौरा दिया. डोनाल्ड लू ने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में सभी देशों से संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करने के लिए अन्य राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की जो बात कही है, वह रूस के यूक्रेन में किए गए उल्लंघन के संदर्भ में था.

सहायक विदेश मंत्री ने बताया कि वाशिंगटन ने मास्को के साथ नई दिल्ली के संबंधों का लाभ उठाने की कोशिश की है. भारतीय प्रधानमंत्री ने यूक्रेन और रूस से बातचीत कर लड़ाई खत्म करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि अमेरिका यूक्रेन मसले पर भारत के साथ उच्च स्तरीय बातचीत कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और अन्य अधिकारी अपने भारतीय समकक्षों के संपर्क में हैं. पिछले 24 घंटों में खुद डोनाल्ड लू ने भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू सहित भारतीय अधिकारियों से संपर्क किया है.

सीनेट पैनल की चर्चा के दौरान डेमोक्रेट सीनेटर क्रिस वैन हेलन ने ब्लिंकन के साथ बातचीत में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की गैरहाजिरी का कारण पूछा. लू ने बताया कि वह एक राजनयिक समाधान की खुली संभावनाएं छोड़ना चाहते हैं. फिलहाल वह यूक्रेन में 20,000 भारतीयों के बारे में चिंतित हैं. भारतीय विदेश मंत्री छात्रों की सुरक्षा के लिए यूक्रेन और रूस दोनों के साथ काम कर रहे थे. पैनल के कई सीनेटरों ने यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र के वोटों पर भारत की अनुपस्थिति पर चिंता व्यक्त की. सीनेट पैनल में पूर्व, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और आतंकवाद विरोधी उपसमिति के प्रमुख डेमोक्रेट सीनेटर क्रिस मर्फी ने कहा कि जब लोकतांत्रिक देश रूस के हमले की निंदा कर रहे हैं, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत इससे बाहर है.

डेमोक्रेट सीनेटर जीन शाहीन ने कहा कि अभी एक ऐसा समय है, जिसमें भारत को अपने मूल्यों के लिए खड़ा होना चाहिए. इस दौरान रिपब्लिकन सीनेटर टेड क्रूज़ ने वोटिंग में भारत के बहिष्कार के लिए बाइडेन प्रशासन को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा कि बाइडेन प्रशासन ने क्वॉड की नीतियों को बदल दिया, जिसे जलवायु परिवर्तन और विकास जैसे मुद्दों पर चीन से मुकाबला करने के लिए बनाया गया था. सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने मेलबर्न में हुए क्वॉड के विदेश मंत्रियों की बैठक के बारे जानकारी दी और कहा कि हम अपने भारतीय पार्टनर को रूस पर बन रहे दुनिया भर के देशों के पोजिशन के बारे में बताएंगे. साथ ही भारत के हितों के साथ रूस-चीन संबंधों पर भी बात करेंगे.

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत मंजूरी दी जाएगी, लू ने कहा कि यह अभी भी विचाराधीन है और वह छूट के मुद्दे पर राष्ट्रपति या सचिव के फैसलों को लेकर पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं होना चाहते हैं. यूक्रेन पर रवैये के कारण क्या अमेरिका अब रूसी ट्रायम्फ एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीदने वाले भारत पर प्रतिबंध लगाएगा, इस पर एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद भारत को सीएएटीएसए (CAATSA) के तहत प्रतिबंधों के प्रति संवेदनशील बनाती है. हालांकि अब भारत के लिए रूसी उपकरण खरीदना जारी रखना मुश्किल होगा. अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा रूस पर लगाए गए वित्तीय प्रतिबंध के कारण भुगतान लेने की क्षमता सीमित हो गई है.

लू ने बताया कि भारत ने रूसी मिग 29 जेट, हेलीकॉप्टर और टैंक रोधी हथियारों के अपने आदेश पहले ही रद्द कर दिए हैं. 2011 से भारत ने रूस से अपने हथियारों के आयात में 53 प्रतिशत की कमी की है और संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य भागीदारों से अपनी रक्षा खरीद में वृद्धि की है. साथ ही साथ अपनी घरेलू उत्पादन क्षमता में वृद्धि की है. पिछले 22 वर्षों में, भारत में अमेरिकी रक्षा सामानों की बिक्री 20 अरब डॉलर से अधिक की हो गई है. अब भारत 2.1 अरब डॉलर में छह अतिरिक्त पी-8आई समुद्री निगरानी विमान खरीदने पर विचार कर रहा है.

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