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Lakhimpur-Kheri violence : आशीष मिश्रा जेल से रिहा

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Published : Feb 15, 2022, 5:38 PM IST

Updated : Feb 15, 2022, 7:25 PM IST

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा जेल से रिहा हो गए हैं. बता दें कि आशीष मिश्रा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे हैं. उल्‍लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पिछले वर्ष तीन अक्टूबर को किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.

Ashish Mishra
आशीष मिश्रा

लखीमपुर खीरी : केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा जेल से रिहा हो गए हैं. आशीष मिश्रा उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के तिकुनिया में हुई हिंसा मामले में जेल में बंद थे. आशीष मिश्रा मंगलवार को दोपहर बाद जेल से रिहा हुए.

बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को लखीमपुर में चार किसानों की मौत के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा के जमानत आदेश में सुधार किया था. आशीष मिश्रा के बेल ऑर्डर में सुधार के बाद जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया था.

गौरतलब है कि आशीष मिश्रा ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ का रुख किया था और जमानत आदेश में हत्या से संबंधित धारा 302 एवं आपराधिक साजिश से संबंधित धारा 120 बी का उल्लेख करने का आग्रह किया, जिनका अनजाने में उच्च न्यायालय के आदेश में उल्लेख छूट गया था. हाईकोर्ट ने सोमवार को इसमें सुधार करते हुए नया आदेश जारी किया.

दरअसल, आशीष मिश्रा के केस में न्‍यायालय के आदेश में कुछ धाराएं उल्लेख से छूट गयी थीं जिसके कारण आशीष की रिहाई अटक गयी थी जबकि उसकी जमानत 10 फरवरी को ही हो गयी थी. न्यायमूर्ति राजीव सिंह की पीठ ने आशीष मिश्रा द्वारा दायर सुधार आवेदन पर आदेश पारित किया था.

अर्जी में कहा गया था कि अदालत ने मामले के गुण-दोष पर विचार करते हुए 10 फरवरी को आशीष को जमानत दे दी थी तथा जमानत आदेश में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं- 147 , 148, 149, 307, 326, 427 सपठित धारा 34, आयुध अधिनियम की धारा 30 तथा मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 का उल्लेख है.

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इसमें कहा गया था कि उपरोक्त धाराओं के अतिरिक्त आईपीसी की धारा 302 तथा 120 बी का उल्लेख जमानत आदेश में होना चाहिए था क्योंकि अदालत ने जमानत अर्जी सभी धाराओं के अपराध को ध्यान में रखते हुए सुनी थी और फिर आदेश पारित किया था. अर्जी में कहा गया था कि किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि गलती से उक्त धाराएं उल्लेख से छूट गई हैं जिस कारण आदेश को सुधारकर उक्त धाराओं का उल्लेख करना जरूरी है क्योंकि इसके बिना जेल से रिहाई नहीं हो पाएगी.

गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में रविवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पैतृक गांव के दौरे के विरोध को लेकर भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में मिश्रा के बेटे आशीष समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थाने में बहराइच जिले के नानपारा क्षेत्र बंजारन टांडा निवासी जगजीत सिंह की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी में आशीष पर 15-20 अज्ञात लोगों के साथ मिलकर किसानों के ऊपर जीप चढ़ाने और गोली चलाकर हत्या करने का आरोप लगाया गया है.

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तिकुनिया थाने में आशीष तथा 15-20 अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 147 (उपद्रव), 148 (घातक अस्त्र का प्रयोग), 149 (भीड़ हिंसा), 279 (सार्वजनिक स्थल पर वाहन से मानव जीवन के लिए संकट पैदा करना), 338 (दूसरों के जीवन के लिए संकट पैदा करना), 304 ए (किसी की असावधानी से किसी की मौत होना), 302 (हत्या) और 120 बी (साजिश रचने) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को गत शनिवार की रात गिरफ्तार किया था. आशीष पर आरोप है कि उप्र के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम का विरोध कर रहे किसानों को कुचलने वाले वाहनों में से एक में वह सवार था. इस हादसे में चार किसानों की मौत हो गयी थी.

बता दें कि लखीमपुर मामले में भाजपा सांसद वरुण गांधी ने संलिप्त तमाम संदिग्धों को तत्काल चिह्नित कर आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत हत्या का मुकदमा कायम कर सख्त से सख्त कार्यवाही की मांग की थी. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को लिखे पत्र में कहा, 'तीन अक्टूबर को खीरी में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को निर्दयता पूर्वक कुचलने की जो हृदय विदारक घटना हुई है, उससे सारे देश के नागरिकों में एक पीड़ा और रोष है.

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गांधी ने कहा, इस घटना से एक दिन पहले ही देश ने अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी जी की जयंती मनाई थी. अगले ही दिन लखीमपुर खीरी में हमारे अन्नदाताओं की जिस घटनाक्रम में हत्या की गई वह किसी भी सभ्य समाज में अक्षम्य है. उन्होंने पत्र में लिखा, आंदोलनकारी किसान भाई हमारे अपने नागरिक हैं.

इससे पहले गत 4 अक्टूबर को भी सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर प्रकरण को लेकर परोक्ष टिप्पणी की थी. दरअसल, किसान महापंचायत ने शीर्ष अदालत से मांग की थी कि उन्हें दिल्ली के जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने की परमिशन दी जाए. इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं, तो कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता है. प्रदर्शनकारी दावा करते हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण है, लेकिन जब वहां हिंसा होती है तो कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होता है.

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(इनपुट-पीटीआई-भाषा)

Last Updated :Feb 15, 2022, 7:25 PM IST
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