कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के विभिन्न स्थानों में जहां इन दिनों जंगलों में आग लग रही है. वहीं, आग के चलते करोड़ों रुपये की वन संपदा जलकर राख हो चुकी है. वहीं, ऊझी घाटी की पतलीकूहल के जंगलों में भी दो दिनों से आग भड़क रही है. हालांकि वन विभाग व ग्रामीण स्तर पर गठित कमेटियों के द्वारा आग पर काबू पाए जाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सूखे मौसम के चलते आज जंगलों में तेजी से भड़क रही है. वहीं, इस आग से वन विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है और ग्रामीण भी इस आग को रिहायशी इलाकों की ओर जाने से रोक रहे हैं. बीते दो दिनों से पतलीकूहल के जंगल आग से दहक रहे हैं. ऐसे में वन विभाग की टीम लगातार आग पर काबू पा रही है. वहीं, स्थानीय लोग भी अब आसमान की ताक रहे हैं, ताकि बारिश होने पर जमीन में नमी आ सके और आग से होने वाली दुर्घटनाओं पर रोक लगा सके. इसके अलावा खराहल घाटी में भी बीते दिनों आग के चलते काफी नुकसान हुआ. उपमंडल बंजार में भी आग के चलते एक गौशाला व लोगों के बगीचे इसकी जद में आ गए और लोगों के सेब और अन्य पेड़ जलकर राख हो गए.
उझी घाटी के स्थानीय निवासी महेंद्र ठाकुर, किशन कुमार, सोनू शर्मा का कहना है कि काफी समय से घाटी में बारिश नहीं हुई है. जिसके चलते जंगलों में घास भी सूख गई है. कुछ शरारती तत्व जंगलों में अच्छी घास के लिए आग लग रहे हैं, लेकिन आग के चलते जहां पेड़ पौधे नष्ट हो रहे हैं तो वहीं कई जीव जंतु भी आग की चपेट में आ रहे हैं. हालांकि ग्रामीण भी ऐसे शरारती तत्वों पर नजर रखे हुए हैं, लेकिन आए दिन शरारती तत्व इस तरह की हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं.
दो दिन से धधक रही आग- गौरतलब है कि कुल्लू के पतलीकूहल में बीते दो दिन से आग लगी हुई है. शुरुआत में छोटे से इलाके में लगी आग अब करीब एक से डेढ़ किलोमीटर के इलाके में वन संपदा को नुकसान पहुंचा चुकी है. दरअसल इस जंगल में चीड़ और कायल के पेड़ हैं. खासकर जमीन पर गिरे चीड़ के सूखे पत्ते तेजी से आग पकड़ते हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि अब तक करोड़ों की वन संपदा आग में खाक हो चुकी है. वन विभाग के मुताबिक आग बुझने के बाद ही असल नुकसान का आकलन हो सकेगा.
आग पर काबू पाने की कोशिश जारी- जंगल में भड़की आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग के प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहे हैं. आग लगने की जानकारी स्थानीय पंचायत के द्वारा वन विभाग को सूचित तो किया जाता है, लेकिन वन विभाग के पास सीमित संसाधन होने के कारण आग पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है. वन विभाग के द्वारा ग्रामीण स्तर पर कमेटियों का गठन किया गया है और आग बुझाने के लिए अधिकतर मामलों में हरी घास से बनाए गए झाड़ू का इस्तेमाल किया जाता है. इस बार भी ग्रामीण ही आग पर काबू पाने की कोशिश में जुटे हैं, जबकि सड़क के साथ लगते इलाकों में वन विभाग द्वारा अग्निशमन विभाग की मदद ली जाती है, लेकिन अधिकतर वन भूमि में सड़कें ना होने के चलते हर साल प्राकृतिक संपदा जलकर राख हो रही है. साल 2022 में भी जिला कुल्लू में आग लगने से 480 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि प्रभावित हुई थी. इससे सबसे अधिक जंगल में लगाए गए नए पौधे भी नष्ट हुए हैं.
आग से निपटने के लिए ग्रामीण स्तर पर भी कमेटियों का गठन किया गया और वन विभाग के कर्मचारियों की छुट्टियां भी रद्द की गई है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति जंगल में आग लगाता हुआ पकड़ा गया तो उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.- रमन शर्मा, एसडीएम मनाली
जंगल की आग से नुकसान और भी हैं- जिला कुल्लू में बीते एक सप्ताह से जंगलों में लगी आग के कारण पूरे इलाके में धुआं भर गया है और इससे प्रदूषण के साथ-साथ लोगों में सांस संबंधी बीमारियां भी बढ़ रही है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस मौसम में सांस संबंधी बीमारियों के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है और ऐसे मरीजों को एहतियात बरतने की भी आवश्यकता है. आग से जमीन की नमी भी कम हो जाती है और मौसम चक्र प्रभावित हो रहा है. पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार जंगल के धुएं से केवल दो से तीन घंटों में उतना प्रदूषण फैलता है जितना सामान्य हालात में एक साल में होता है. ढालपुर अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर नितेश ने बताया कि जंगलों का धुआं स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है और धुएं के कारण आंख और सांस की शिकायत लेकर कुछ मरीज स्वास्थ्य जांच के लिए भी पहुंच रहे हैं. ऐसे में जो व्यक्ति सांस संबंधी बीमारियों से ग्रसित हैं तो वह मास्क पहनकर ही अपने घर से बाहर निकले.
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