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सुप्रीम कोर्ट कल फिर करेगा सुनवाई, महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट के निर्देश पर सस्पेंस

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Published : Nov 24, 2019, 12:46 PM IST

Updated : Nov 24, 2019, 4:37 PM IST

महाराष्ट्र पर राजनीतिक अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं. शनिवार को देवेंद्र फडणवीस के सीएम पद की शपथ लेने के बाद कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. रविवार को याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार पूर्वाह्न 10.30 बजे फिर सुनवाई करने की बात कही है. जानें पूरा विवरण...

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नई दिल्ली : महाराष्ट्र पर राजनीतिक अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं. शनिवार को देवेंद्र फडणवीस के सीएम पद की शपथ लेने के बाद कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के महा विकास अघाड़ी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. रविवार को याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार पूर्वाह्न 10.30 बजे फिर सुनवाई करने की बात कही है. कोर्ट ने तुषार मेहता को कागजात पेश करने का निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने भारतीय जनता पार्टी और महाराष्ट्र की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'फडणवीस सरकार एक नाजायज सरकार है और हमने जो कागजात दिये हैं, उसके आधार पर सोमवार कोउच्चतम न्यायालय हमारे पक्ष में फैसला देगा. यह नाजायज सरकार एक दिन भी सत्ता में रहने के लायक नहीं है.'

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण.

वहीं राकांपा नेता एसआर कोहली ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'कोर्ट की सुनवाई हमारे पक्ष में रही. हमलोग कह रहे हैं कि उन लोगों के पास बहुमत नहीं है. अजित पवार के पास विधायकों का जो पत्र है, वह उपस्थिति की सूची है और उनका 50 विधायकों का जो दावा है, वे सभी हमारे पास विधायक हैं.'

राकांपा नेता एसआर कोहली ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

कोहली ने कहा कि अजित पवार अकेले हैं या और एक-दो विधायक उनके साथ होंगे. वहीं दूसरी ओर सरकार गठन के लिए तीन सप्ताह से भी अधिक समय मिलने पर उन्होंने कहा, 'हम कोशिश कर रहे थे, शिवसेना और कांग्रेस के साथ वार्ता प्रकिया चल रही था और यह समय लेता है.'

विधायकों की संख्या के सवाल पर जवाब देते हुए कोहली ने कहा,'हमारे सारे विधायक एक साथ है और सभी शरद पवार के प्रति निष्ठावान हैं.'

दूसरी तरफ कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी और अजित पवार ने संवैधानिक मर्यादाओं को ताक पर रख कर सरकार बनायी है. उन्होंने कहा कि विधानसभा में बहुमत परीक्षण होने पर बीजेपी सरकार का अल्पमत में होना साबित हो जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद मीडिया को जानकारी देते सुरजेवाला.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद शिवसेना सांसद गजानन कार्तिकर ने बताया कि तीन जजों की पीठ के समक्ष कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और देवदत्त कामत ने शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की याचिका पर पैरवी की. उन्होंने कहा कि पीठ से यह अपील की गयी है कि शक्ति परीक्षण 24 घंटों के भीतर कराया जाए.

गजानन कार्तिकर की प्रतिक्रिया

गजानन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति का निर्देश देने की भी अपील की गयी. उन्होंने कहा कि अजित पवार ने विधायकों के समर्थन का जो पत्र सौंपा है, वह गुमराह करने वाला है.

इससे पहले रविवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया. इसके अलावा देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को भी नोटिस जारी किया गया है.

कोर्ट ने कहा, हम सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से अपील करते हैं कि वे राज्यपाल का वह पत्र प्रस्तुत करें, जिससे बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया. इसके अलावा सोमवार पूर्वाह्न 10.30 बजे तक विधायकों के समर्थन का पत्र भी पेश करें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेहता द्वारा कागजात पेश करने के बाद समुचित आदेश पारित किया जाएगा.

महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर सभी पक्षों द्वारा उच्चतम न्यायालय में पेश तर्कों का बिंदुवार विवरण:-

  • न्यायालय में बीजेपी की ओर से पेस वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल के फैसले की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती. अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल इससे परे है.
  • बकौल रोहतगी, 23 नवम्बर को राज्यपाल ने जो किया, इसकी समीक्षा नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि अदालत सोमवार या मंगलवार को फ्लोर टेस्ट का आदेश पारित कर सकती है.
  • जस्टिस रमन्ना ने कहा, मिस्टर रोहतगी, राज्यपाल ऐसे ही किसी को भी आमंत्रित कर सरकार बनाने के लिए नहीं कह सकते.
  • रोहतगी ने कहा, मैंने ऐसी याचिका नहीं देखी, जहां राज्यपाल को ये निर्देश देने की अपील की गई हो कि, पार्टी ए, बी या सी को सरकार बनाने का न्योता दिया जाए.
  • जस्टिस रमन्ना ने कहा कि इस कोर्ट में कोई सीमाएं नहीं हैं. (sky is the limit)
  • रोहतगी ने बहुमत साबित करने के लिए तीन दिनों का समय दिए जाने की मांग की. उन्होंने कहा, वे नहीं जानते कि राज्यपाल ने क्या कहा?
  • कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के सुप्रीम कोर्ट आने पर रोहतगी ने सवाल किया. कहा, क्या आप राज्यपाल के पास गए? रात में अचानक उठे और सुप्रीम कोर्ट को डिस्टर्ब कर दिया.
  • सिंघवी ने कहा कि अजित पवार को शनिवार को ही एनसीपी के विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया है.
  • अगर अजित पवार एनसीपी में नहीं हैं, तो वे कैसे डिप्टी सीएम बन सकते हैं. ऐसी परिस्थिति में सिर्फ फ्लोर टेस्ट ही एक मात्र और सर्वश्रेष्ठ तरीका है.
  • फ्लोर टेस्ट टालने की ओर संकेत करते हुए सिंघवी ने कहा कि इसके पीछे एकमात्र मकसद हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा देना है. सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया. उन्होंने गोवा के मामले में सुनाए गये फैसले का भी हवाला दिया.
  • सिब्बल ने कहा, आज केवल एक ही चीज करने की जरूरत है, अगर बीजेपी को लगता है कि इनके पास बहुमत है, तो आज ही इनका फ्लोर टेस्ट कराया जाना चाहिए.
  • इनके पास काफी समय है, अगर ये कहते हैं कि बहुमत का आंकड़ा है, तो इसे साबित करना चाहिए.
  • सिब्बल ने कहा कि सरकार बनाने के लिए राज्यपाल का आमंत्रण भी रिकॉर्ड पर नहीं है.
  • जस्टिस भूषण ने कहा कि अगल राज्यपाल संतुष्ट हों तो, वे सरकार बना सकते हैं. इस पर सिब्बल ने कहा कि 22 नवम्बर की शाम सात बजे और 23 नवम्बर की सुबह 7.15 बजे के बीच सब कुछ हुआ है.अगर इनके पास संख्या बल है, बहुमत है, तो उन्हें साबित करने दीजिए.
  • अगर ऐसा नहीं है तो हमें (कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना) सरकार बनाने का मौका दिया जाए. सिब्बल ने कर्नाटक केस का भी हवाला दिया.
  • मुकुल रोहतगी ने कहा, मुझे लगता है कि राजनीतिक दलों का कोई मौलिक अधिकार नहीं होता. महाराष्ट्र में राज्यपाल हैं. रोहतगी ने सवालिया लहजे में कहा, 'मुझे नहीं पता कि रविवार को केस की सुनवाई क्यों की जा रही है, रविवार को ऐसा नहीं होना चाहिए?'
  • रोहतगी की टिप्पणी पर तीन जजों की पीठ ने कहा कि ये चीफ जस्टिस पर निर्भर करता है. तुषार मेहता ने भी रविवार को होने वाली सुनवाई पर सवाल खड़े किए.
  • सिब्बल ने कहा कि महाराष्ट्र के लोगों को सरकार की जरूरत है ... फ्लोर टेस्ट आयोजित करना उनके हित में है ... लेकिन वे ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि वे इस बीच कुछ करना चाहते हैं.
  • सिब्बल ने कहा कि हम कल बहुमत साबित करने के लिए तैयार हैं.

महाराष्ट्र की घटना को सिब्बल ने आपातकाल बताया

  • सिब्बल ने कहा कि चुनाव पूर्व गठबंधन टूटने के बाद हम पोस्ट पोल एलायंस पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि 12 नवम्बर के बाद हमारे बीच कई बैठकें हुई. ये बैठकें 22 नवम्बर तक चली.
  • 22 नवम्बर को शाम 7 बजे एक प्रेस वार्ता में एलान किया गया कि तीनों दल एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर सहमत हैं, और कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना सरकार बनाने का दावा पेश करेगी.
  • इसके बाद जो कुछ भी हुआ, ऐसा किसी भी लोकतंत्र में नहीं देखा गया.
  • 23 नवम्बर को सुबह 7.15 बजे राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया, कोई कैबिनेट मीटिंग नहीं हुई. ये आपातकाल जैसा है. आठ बजे दो लोगों को शपथ दिलाई गई. फडणवीस को सीएम पद की, जबकि अजित पवार को डिप्टी सीएम पद की.
  • जो कागजात प्रस्ताव के रूप में दिये गये, ये सार्वजनिक रिकॉर्ड में नहीं है. ऐसे में लगता है कि राज्यपाल किसी के निर्देश पर काम कर रहे थे. उन्हें किस आधार पर सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया.
  • सिब्बल ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए राज्यपाल की सिफारिश, फिर इसे हटाने का फैसला पक्षपातपूर्ण, बेईमानी का (malafide), सभी नियमों और यहां तक कि कई बार पारित हो चुके सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के भी खिलाफ है.
  • सिब्बल ने दलीलें देनी शुरू की. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं. बहुमत के लिए 145 विधायकों का समर्थन चाहिए. उन्होंने कहा कि हमने राज्यपाल से तीन दिनों का समय मांगा था, लेकिन समय नहीं दिया गया.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर दो में जस्टिस एनवी रमन्ना, अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ में सुनवाई शुरू हुई. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलीलों की शुरुआत की.

अभिषेक मनु सिंघवी समेत वरिष्ठ वकील केएम नटराज और सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता भी कोर्ट में मौजूद रहे.

राजनीतिक लोगों में कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चह्वाण और पार्टी प्रवक्ता सुरजेवाला भी कोर्ट में मौजूद रहे.

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Last Updated : Nov 24, 2019, 4:37 PM IST
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