परंपरागत खेती छोड़ अपनाई आधुनिक खेती, आज 40 लोगों को रोजगार देने के साथ कमा रहे लाखों रुपये

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Published : Jun 4, 2023, 10:45 AM IST

lilium flower cultivation in sonipat
सोनीपत में लिलियम की खेती ()

सोनीपत में परम्परागत खेती छोड़ कर किसान लिलियम की खेती कर के हर साल लाखों रुपये कमा रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है प्रगतिशील किसान 30 से 40 लोगों के रोजगार भी दे रहे हैं. (lilium flower cultivation in sonipat)

सोनीपत में लिलियम की खेती

सोनीपत: हरियाणा में किसान परंपरागत खेती के अलावा आधुनिक खेती भी जोर-शोर से अपना रहे हैं. प्रदेश के किसानों में आधुनिक खेती के प्रति रुझान दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. किसान परम्परागत खेती छोड़ कर ना सिर्फ आधुनिक खेती अपना कर सालाना लाखों कमा रहे हैं, बल्कि लोगों को रोजगार देने का काम भी कर रहे हैं.

2013 से लिली की खेती कर रहे हैं सुरेश कुमार: इन्हीं किसानों में सोनीपत के चिरस्मी गांव के किसान सुरेश भी शामिल हैं, सुरेश ने परम्परागत खेती छोड़ आधुनिक खेती शुरू की ओर लिलियम के फूलों की खेती कर रहे लाखों रुपये कमा रहे हैं. साथ ही साथ लोगों को रोजगार देने का साथ दूसरे किसानों के लिए भी मिसाल बन रहे हैं. किसान सुरेश ने बताया कि उनके पिता खेती करते हैं. खेती से घर में गुजारा मुश्किल से हो रहा था, जिसके बाद उसने अपनी पढ़ाई पूरी कर कुछ अलग करने की सोची. जिसके बाद वे 2013 में प्रोफेसर से मिले और उनसे ट्रेनिंग लेकर 1 एकड़ में पॉली फार्म में व्हाइट लिलियम फूल लगाकर खेती की शुरुआत की.

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सोनीपत में परम्परागत खेती छोड़ कर किसान कर रहे लिलियम की खेती.

30 से 40 एकड़ में व्हाइट लिलियम फूल की खेती: सुरेश कहते हैं कि, शुरुआत में एक एकड़ में 25 लाख रुपये खर्च आया, जिसके बाद उन्होंने फसल आने के बाद 5, 6 लाख की बचत हुई. इसके बाद उन्होंने और अधिक मेहनत की और अब वह 30 से 40 एकड़ में व्हाइट लिलियम फूल की खेती कर रहे हैं. इतना ही नहीं सुरेश करीब 30 से 40 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.

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सुरेश कुमार 30 से 40 लोगों को रोजगार दे रहे हैं.

गाजीपुर मंडी में सप्लाई करते हैं लिली: किसान सुरेश बताते हैं कि, व्हाइट लिलियम फूल की खेती 3 महीने की होती है. सितम्बर में फसल लगाई जाती है. यह फसल 3 शिफ्ट में लगाई जाती है जो करीब 3 महीने तक फूल देती है. पहली शिफ्ट की फसल दिसम्बर में फूल देना शुरू कर देती है और उसके बाद शिफ्ट वाइज फूल तोड़ कर उन्हें पैक कर के गाजीपुर मंडी भेजा जाता है.

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गाजीपुर मंडी के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली व दूसरे राज्यों में लिली की डिमांड.

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कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ भी कर चुके हैं सम्मानित: किसान सुरेश ने बताया कि, 2018 में गन्नौर जीटी रोड स्थित अंतरराष्ट्रीय फल-फूल मंडी में कृषि मेले का आयोजन किया गया था. कृषि मेले में उन्होंने अपने फूलों का स्टॉल लगाया था. जहां उनके स्टॉल को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती थी. उनके फूलों की डिमांड देखते हुए कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने उन्हें 11 लाख का पुरुस्कार देकर सम्मानित भी किया था. किसान सुरेश का कहना है कि व्हाइट और ब्लू लिलियम फूलों की डिमांड इतनी है कि लोग उनके फॉर्म पर आकर यही से फसल ले जाते हैं. उनके फूलों की डिमांड गाजीपुर मंडी के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली व दूसरे राज्यों में ज्यादा है. इन फूलों को शादी-विवाह के साथ-साथ घर में सजावट के लिए भी रखा जाता है.

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