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रेवाड़ीः कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे पढ़ रहे बच्चे, सरकारी स्कूल नहीं देते एडमिशन, लेकिन क्यों ?

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Published : Dec 16, 2019, 7:10 PM IST

Updated : Dec 16, 2019, 11:45 PM IST

हरियाणा के रेवाड़ी में कड़ाके के सर्दी में 125 बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. जानकारी के मुताबिक डाक्यूमेंट्स पूरे न होने के कारण इन बच्चों दाखिला सरकारी स्कूल में नहीं हो पता है.

classes in open area in rewari
खुले आसमान के नीचे पढ़ने बच्चे

रेवाड़ी: हरियाणा को शिक्षा का हब कहा जाता है. लेकिन दक्षिणी हरियाणा के जिले रेवाड़ी में प्रवासी मजदूरों के बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर है. क्योंकि डाक्यूमेंट्स पूरे न होने के कारण इन बच्चों दाखिला सरकारी स्कूल में नहीं हो पता है.

डाक्यूमेंट्स नहीं होने के कारणा बच्चों को नहीं मिलता दाखिला
प्रवासी मजदूर हरियाणा के अलावा दूसरे राज्यों से यहां रोजी-रोटी के लिए अपना घर छोड़ कर आते हैं लेकिन उनके बच्चों को शिक्षा से महरूम रखा जाता है. क्योंकि उनके पास स्थानीय प्रमाण पत्र नहीं होते. जिनकी वजह से सरकारी स्कूलों में इनका दाखिला नहीं होता और ये शिक्षा से वंचित रह जाते हैं.

रेवाड़ी में खुले आसमान के नीचे पढ़ने बच्चे, देखें वीडियो

125 बच्चे पढ़ते हैं खुले आसमान के नीचे
ऐसे में एसएन संस्था इन प्रवासी मजदूरों के बच्चों को पढ़ाती है. यहां 125 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं. एसएन संस्था पिछले कई सालों से यहां अपनी सेवाएं दे रही है. राजेश पायलट चौक स्थित सौर ऊर्जा पार्क में ये पाठशाला लगती है. यहां बच्चे स्कूल की तरह रोज सुबह 9:00 से 2:30 तक शिक्षा ग्रहण करते हैं.

स्कूल अध्यापिका रेखा का कहना है कि शिक्षा सबका अधिकार है लेकिन ये बच्चे कागजात के अभाव में शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. इसी को लेकर हमारी एसएन संस्था ने इन्हें शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है और उसे हर हाल में पूरा करेंगे.

3 से 12 साल तक के बच्चे पढ़ते हैं
उन्होंने बताया कि सरकार से कई बार इस विषय में आवेदन भी किया लेकिन समय के अभाव रहते कुछ बच्चों का कई साल खराब ना हो इसलिए इन्हें यहां हम पढ़ा रहे हैं. यहां 3 साल से लेकर 12 साल के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं.

बच्चे पढ़ कर अधिकारी बनना चाहते हैं
उन्होंने बताया कि यहां कड़कड़ाती ठंड के बीच में इन बच्चों को धरती पर बैठकर पढ़ना पड़ रहा है. ये बच्चे भी बड़ा होकर इंजीनियर और कोई बड़ा अधिकारी बनने की तमन्ना रखते हैं लेकिन इनकी मन की बात मन में ही रह जाती है. क्योंकि गरीबी इनके आगे खड़ी हुई है. इस से उबारने के लिए संस्था इनका सहयोग करती हैं और शिक्षा प्रदान करती है.

बरसात में होती है दिक्कत
स्कूल अध्यापिका रेखा ने बताया कि जब बरसात आती है तो इन बच्चों को यहां पार्क में बनी शेड़ के नीचे बैठाया जाता है. बच्चों को शौचालय जाने की भी परेशानी होती है. उसके लिए नगर परिषद से एक टॉयलेट बाथरूम की भी सुविधा इन बच्चों के लिए संस्था द्वारा की गई है ताकि इन बच्चों को सोच के लिए कोई परेशानी ना हो.

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Intro:रेवाड़ी, 16 दिसंबर।



Body:हरियाणा को शिक्षा का हब कहा जाता है वैसे दक्षिणी हरियाणा के जिले रेवाड़ी में एक ऐसा स्कूल है जो बच्चों को खुले आसमान पर के नीचे पड़ने पर मजबूर कर रहा है कारण यह है कि डाक्यूमेंट्स पूरे न होने के कारण इन नौनिहालों का बस स्कूल में दाखिला नहीं हो पा रहा है यह प्रवासी मजदूरों के बच्चे हैं जो हरियाणा के अलावा दूसरे राज्यों से यहां रोजी-रोटी के लिए अपना घर छोड़ कर आते हैं लेकिन उनके बच्चों को शिक्षा से महरूम रखा जाता है क्योंकि उनके पास स्थानीय आधार कार्ड राशन कार्ड या कोई और भी प्रमाण पत्र नहीं होते जिनकी वजह से सरकारी स्कूलों में इनका दाखिला नहीं होता और यह शिक्षा से वंचित रह जाते हैं ऐसे में एक शिक्षण संस्थान जिसने बीड़ा उठाया है ऐसी संस्था जो इन गरीब बच्चों के गरीब बच्चों को शिक्षित कर एक मिसाल कायम कर रहा है इस स्कूल में करीब 125 से ज्यादा बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और यह संस्था पिछले कई वर्षों से अपनी सेवाएं यहां दे रही है नगर के राजेश पायलट चौक स्थित सौर ऊर्जा पार्क में यह पाठशाला लगती है और बच्चे और स्कूलों की तरह रोज सुबह 9:00 से 2:30 तक यहां शिक्षा ग्रहण करते हैं स्कूल अध्यापिका का कहना है कि शिक्षा सबका अधिकार है लेकिन यह बच्चे यह मासूम कागजात के अभाव में शिक्षा से वंचित रह जाते हैं इसी को लेकर हमारी संस्था ने इन्हें शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है और उसे हर हाल में पूरा करेंगे सरकार से उन्होंने कई बार इस विषय में आवेदन भी किया लेकिन समय के अभाव रहते कुछ बच्चों का कई साल खराब हो ना हो इसलिए इन्हें यहां हम पढ़ा रहे हैं जिन यह स्कूल नर्सरी से पांचवीं तक लगता है और 3 साल से लेकर 12 साल के बच्चे यहां शिक्षा ग्रहण करते हैं वैसे सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देती है शिक्षित बनेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया जैसे लोगों से भरा रहता है लेकिन सरकार इन बच्चों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही जिसके कारण इन्हें से वंचित रहना पड़े इसलिए संस्था इन के लिए सुविधा उपलब्ध कराती है और हर रोज यहां कड़कड़ाती ठंड के बीच में इन बच्चों को धरती पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करना पड़ रहा है इन बच्चों की शिक्षा ग्रहण करें यह बच्चे भी कुछ बड़ा होकर कुछ इंजीनियर और कोई बड़ा अधिकारी बनने की तमन्ना रखते हैं लेकिन इनकी मन की बात मन में ही रह जाती है क्योंकि गरीबी के आगे खड़ी हुई है इस से उबारने के लिए संस्था इनका सहयोग करें शिक्षा प्रदान करती है।
ईटीवी भारत से खास बातचीत में स्कूल अध्यापिका रेखा ने बताया कि उन्हें किस तरह समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है खुले में बैठकर बच्चों के साथ कड़कड़ाती ठंड से दो-चार होना पड़ता है कभी कबार जब बरसात आती है तो इन बच्चों को यहां पार्क में बनी क्षत्रियों के नीचे बैठाया जाता है बच्चों को शौचालय जाने की भी परेशानी होती है उसको ले उसे उसके लिए नगर परिषद से एक टॉयलेट बाथरूम की भी सुविधा इन बच्चों के लिए संस्था द्वारा की गई है ताकि इन बच्चों को सोच के लिए कोई परेशानी ना हो बच्चों को कभी कबार बीमारी भी लग जाती है तो उस लिए फर्स्ट एड तक का एग्जाम इन इस संस्था द्वारा किया गया है।


Conclusion:अब देखना होगा कि सरकारें अपने आप को बेहतर शिक्षा देने का नारा देने वाली सरकार इन बच्चों की और कब ध्यान देती है।
Last Updated :Dec 16, 2019, 11:45 PM IST
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