पानीपत: सबसे अधिक रंगीन धागे का उत्पादन करने वाली टेक्सटाइल नगरी पानीपत को हाल के दिनों में सबसे बुरे दौर से गुजरना पड़ रहा है. कारण बिजली की किल्लत. बिजली ना होने की वजह से टेक्सटाइल फैक्ट्रियों में मशीने ठप पड़ी है. धागे का उत्पादन 20 लाख किलोग्राम प्रतिदिन से घटकर पांच लाख किलोग्राम प्रतिदिन पर आ गया है. रंगाई का काम भी आधे से कम हो गया है.
पहले उद्यमी एक दिन में 16 हजार किलोग्राम कपड़े की रंगाई करते थे. अब बिजली संकट के कारण हर रोज पांच हजार किलोग्राम कपड़े की ही रंगाई हो पा रही है. फैक्ट्री मालिकों को सिर्फ दिन में ही उद्योगों को चलाना पड़ रहा है. रात को आठ और दिन में तीन घंटे के कटों से किसी भी शिफ्ट में नियमित रूप से काम नहीं हो पा रहा है उद्यमियों को रात की शिफ्ट करनी पड़ गई है.
एक्सपोर्टर के ऑर्डर पूरे नहीं हो पा रहे हैं. देश व विदेशों में बैठे बायर अपना ऑर्डर पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं, ऐसे में समय पर ऑर्डर तैयार न होने से करोड़ों रुपये के ऑर्डर रद्द होने का डर सता रहा है. काम न होने के कारण एक लाख श्रमिक फिलहाल बेरोजगार चल रहे है. बेरोजगारी से परेशान होकर श्रमिकों को अपने गांव वापस जाना पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर उद्यमी लेबर को बिजली आपूर्ति सही होने तक यहीं पर रुकने की अपील कर रहे हैं.
डाइंग एसोसिएशन के प्रधान भीम राणा ने कहा कि टेक्सटाइल नगरी में एक शिफ्ट में काम पूरी तरह से बंद हो गया है. 15 लाख मीटर कपड़ा उत्पादन ठप है. करीब एक हजार लोगों का रोजगार छिन गया है. कामगार भी अपने घर की ओर जाने लगे हैं. दरअसल, पांच सौ किलोवाट का जनरेटर चलाने पर एक रात में एक लाख रुपये का डीजल खर्च हो जाता है. लेबर बेरोजगार हो रहे है.
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भीम राणा का कहना है कि सेक्टर 29 पार्ट टू इंडस्ट्रियल एरिया में रात को आठ घंटे का कट है. रात की शिफ्ट बंद करनी पड़ गई है. कंबल प्लांट भी बंद हो रहे हैं. लेबर के पास काम नहीं है इसलिए वो यहां से पलायन कर रहे हैं. रंगाई का काम महज 30 प्रतिशत ही चल रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द ही इस मामले पर ध्यान देना होगा क्योंकि अगर हालात ऐसे ही रहे तो उत्पादन पर काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है.
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