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हरियाणा में दो कमरों का सरकारी स्कूल, 45 डिग्री तापमान में टीन के नीचे पढ़ने को मजबूर छात्र

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Published : May 17, 2023, 10:09 PM IST

poor education system in Haryana
poor education system in Haryana

हरियाणा के शिक्षा मंत्री मंत्री कंवर पाल गुर्जर का दावा है कि प्रदेश के स्कूलों में सारी व्यवस्था पूरी है, लेकिन उनके दावे हकीकत से मेल खाते नहीं दिख रहे हैं. पानीपत के हरि नगर में मौजूद प्राइमरी स्कूल के छात्र 45 डिग्री सेल्सियस में छत पर टीन शेड में पढ़ने को मजबूर हैं.

हरियाणा में दो कमरों का सरकारी स्कूल, 45 डिग्री तापमान में टीन के नीचे पढ़ने को मजबूर छात्र

पानीपत: हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर प्रदेश के शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करते नहीं थकते हैं, लेकिन उनका दावा धरातल पर दम तोड़ता नजर आता है. आज हम आपको पानीपत के हरि नगर के प्राइमरी स्कूल की तस्वीरे दिखा रहे है. जो शिक्षा मंत्री के दावों की पोल खोल रही है. गौरतलब है कि बीते दिनों पानीपत पहुंचे शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने हरियाणा के स्कूलों को दिल्ली समेत देश के सभी राज्यों से बेहतर होने का दावा किया था.

शिक्षा मंत्री का दावा: बता दें कि शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ग्रीवेंस कमेटी की बैठक लेने पानीपत पहुंचे थे. इस दौरान पत्रकारों ने शिक्षा मंत्री से हरियाणा के बदहाल स्कूलों के बारे में सवाल किया. जिसके बाद शिक्षा मंत्री बड़े-बड़े दावे करते नहीं थक रहे थे. उन्होंने कहा हरियाणा में दिल्ली और देश के सभी राज्यों से बेहतर स्कूल है, लेकिन पानीपत के हरि नगर और एकता विहार कॉलोनी के सरकारी स्कूल उनके दावों की पोल खोल रही है.

सरकारी स्कूलों की हालत खस्ता: हरियाणा में सरकारी स्कूल किन हालातों में है और किन व्यवस्थाओं के साथ चल रही है, इसको लेकर ईटीवी भारत ने ग्राउंड रिपोर्टिंग की है. ईटीवी भारत पानीपत के हरि नगर में मौजूद प्राथमिक स्कूल पहुंचा. जहां बीते 15 सालों से यह स्कूल मात्र 2 कमरों में चल रहा है. यहां स्कूल में छात्रों की संख्या 350 से अधिक है. ऐसे में बच्चों की क्लास या तो बरामद में चलती है या फिर तपती गर्मी में छत के ऊपर बनी टिन शेड में.

तपती गर्मी में छत पर क्लास: यहां हमने देखा कि किस तरह 100 गज जमीन वाले स्कूल में क्लास जमीन पर चल रही है. जिसमें एक साथ हॉल में 3 क्लास चल रही थी. एक साथ तीन क्लास चलने की वजह से छात्र न तो अच्छे से पढ़ पाते है और न ही अध्यापकों को पता चलता है कि कौन सा छात्र कौन सी की कक्षा का है. इतना ही नहीं 5वीं क्लास के छात्रों को 42 डिग्री की तपती गर्मी में छत के ऊपर टीन शेड के नीचे पढ़ाया जा रहा था. जहां कोई पंखा तक नहीं लगा था.

स्कूल में सुविधाओं की कमी: प्रधानाचार्य ने बताया व्यवस्था नाम की स्कूल में कोई चीज नहीं है. यह स्कूल पांचवी कक्षा तक की है. उन्होंने बताया स्कूल में ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार से आते हैं. यहां कोई आसपास दूसरा मिडिल स्कूल नहीं है. जिसके चलते लड़कियां पांचवी कक्षा के बाद पढ़ने की इच्छा रखते हुए भी स्कूल में नहीं जा पाती है. अध्यापिका ने बताया कई बार तो स्कूल के हॉल में 5-5 क्लास लगानी पड़ती है और धूप में बच्चों को बैठना पड़ता है.
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एक हॉल में तीन क्लास से परेशानी: स्कूल में एक साथ कई क्लास लगने से बच्चों के पढ़ने का इतना शोर होता है कि कोई भी सही से नहीं पढ़ सकता. इतना ही नहीं स्कूल में क्लास के बगल में ही मिड डे मील बनाया जाता है. ऐसे में अगर मिड डे मील बनाते समय कोई हादसा हो जाए तो कौन जिम्मेदार होगा ? वहीं, जब ईटीवी भारत ने छत पर टीन शेड में क्लास लेने को लेकर टीचर से सवाल किया. उन्होंने कहा क्या कर सकते हैं, जब यहां जगह का अभाव है. इस दौरान संवाददाता ने टीचर से टीन शेड में पंखा नहीं होने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा आप ही डोनेट कर दीजिए. साफ है कि इन बच्चों के भविष्य पर न तो मंत्री जी का ध्यान है और न ही इन स्कूल के टीचरों का.

2 कमरों के स्कूल में 350 छात्र: प्रिंसिपल राकेश ने स्कूल की ऐसी हालात को लेकर कहा कि पिछले कई सालों से यह स्कूल इसी प्रकार दो कमरों में चल रहा है. पहले तो इतने बुरे हालात थे कि बच्चों को सड़क पर बैठना पड़ता था. पिछले 10 साल से यह दो कमरे की बिल्डिंग बनाकर उन्हें दे दी गई, लेकिन इसमें भी 350 से ज्यादा बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं, जिसकी वजह से कुछ बच्चों को छत पर बैठना पड़ता है.

प्रिंसिपल ने कहा 2014 में उपायुक्त अजीत बालाजी जोशी ने स्कूल के लिए दूसरी जगह अलॉट की थी. जगह को चिन्हित भी किया जा चुका है, लेकिन उस पर कोई बिल्डिंग नहीं खड़ी की गई है. उनके ट्रांसफर के बाद वह बात वहीं दबकर रह गई. अब स्कूल को बनाने का टेंडर दिया गया है, लेकिन यह टेंडर पहले की तरह कहीं कागजों में दम ना तोड़ दे. अब देखना यह होगा कि सरकार कब तक इस स्कूल की सुध लेगी और बच्चों को कब अच्छा माहौल मिल पायेगा.

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