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नूंह में मुधमक्खियां लाएंगी रोजगार की बयार! फल-फूल सकता है शहद का व्यापार

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Published : Dec 10, 2019, 10:36 AM IST

नूंह जिला राज्य में सरसों उत्पादन में दूसरे नंबर पर आता है और सरसों के फूलों से मधुमक्खी बड़ी आसानी से और बहुत जल्द शहद तैयार कर लेती हैं, जिसे बेचकर युवा अच्छा लाभ कमा लेते हैं.

scope of beekeeping in nuh mewat
मुधमक्खियां लाएंगी रोजगार की बयार!

नूंह: नूंह हरियाणा को वो जिला जो कई क्षेत्रों में पिछड़ा है. चाहे फिर वो स्वास्थ्य सेवाएं हो, शिक्षा हो या फिर रोजगार. जिले में कई युवा पढ़े-लिखे होने के बाद भी बेरोजगार हैं. ऐसे युवा अगर चाहें तो मधुमक्खी पालन कर अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं.

यूपी से आए युवा कर रहे मधुमक्खी पालन
हरियाणा खासकर नूंह में मधुमक्खी पालन ज्यादा नहीं किया जाता है, लेकिन ये भी सच है कि दिसंबर से लेकर फरवरी महीने तक नूंह में उत्तर प्रदेश से आए लोग मधुमक्खी पालन कर अच्छा मुनाफा कमाते हैं. हर साल इन्हीं महीनों में उत्तर प्रदेश से मधुमक्खी पालक नूंह आते हैं और मधुमक्खी पालन का काम करते हैं.

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नूंह जिला सरसों पालन में दूसरे स्थान पर
दरअसल, नूंह जिला राज्य में सरसों उत्पादन में दूसरे नंबर पर आता है और सरसों के फूलों से मधुमक्खी बड़ी आसानी से और बहुत जल्द शहद तैयार कर लेती हैं, जिसे बेचकर युवा अच्छा लाभ कमा लेते हैं. उत्तर प्रदेश से आए युवाओं ने बताया कि वो हर साल यहां आते हैं और दो-तीन महीने मधुमक्खी पालन कर वापस चले जाते हैं.

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शहद की बढ़ती मांग से फल-फूल सकता है रोजगार

किसानों को लगता है कि अगर मधुमक्खी उनके फूल का रस ले रही है तो उससे उनका फूल मुर्झा जाएगा, लेकिन सच तो ये है कि ऐसा करके मधुमक्खी फसलों में डाले गए कीटनाशक के असर को कम कर देती है. यानी की सरसों की फसल ना सिर्फ मधुमक्खी पालकों के लिए लाभकारी है, बल्कि मधुमक्खी पालकों के आने से सरसों के उत्पादन में भी इजाफा होता है. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि अगर नूंहवासी भी यूपी के तर्ज पर इस व्यवसाय को अपना लेते हैं तो इससे वो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

Intro:संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी :- मधुमक्खी पालन पर विशेष
पढ़े-लिखे युवा मधुमक्खी पालन से स्वरोजगार अपनाकर अपने परिवार का गुजारा बेहतर ढंग से कर सकते हैं हरियाणा में मधुमक्खी पालन करने वाले युवाओं की संख्या भले ही कम हो लेकिन यूपी में मधुमक्खी पालन करने वाले पढ़े-लिखे युवाओं की संख्या बेहद अधिक है सरसों का सीजन जैसे ही आता है तो मधुमक्खी पालन यूपी से नूंह जिले की तरफ रुख कर लेते हैं दरअसल नूंह जिला राज्य में सरसों उत्पादन में दूसरे नंबर पर आता है और सरसों के फूलों से मधुमक्खी बड़ी आसानी से बहुत जल्द शहद तैयार कर लेती हैं जिसे बेचकर युवा अच्छा लाभ कमा लेते हैं लेकिन सरसों की खेती या अन्य खेती में लगातार बढ़ रहा दवाइयों का छिड़काव इस मधुमक्खी पालन पर भी कहीं ना कहीं असर डाल रहा है दवाइयों से मधुमक्खियां न केवल मर जाती हैं बल्कि शहद की मात्रा भी कम हो जाती है दशकों पहले जिस एक डब्बे से मधुमक्खी पालक 7 किलो शहद जुटा लेते थे अब वह घटकर आधा महज 3 किलोग्राम रह गया है। यूपी के मधुमक्खी पालन करने वाले युवा ने बताया कि ना तो सरकार इस मामले पर उनको कोई सब्सिडी देती है और पिछले कुछ समय से भाव भी अच्छे नहीं मिल रहे हैं जिसकी वजह से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय घाटे का सौदा दिखाई देने लगा है। उन्होंने कहा कि कई बार किसान भी गलतफहमी में आकर उन्हें तंग करते हैं किसानों का आरोप होता है कि मधुमक्खियां उनके सरसों के फूल का रस चूस लेती हैं जिससे फसल खराब होती हैं लेकिन मधुमक्खी पालक ने साफ तौर पर कहा कि फसलों में मधुमक्खियां उन कीटनाशकों को खत्म कर देती हैं जिन से फसलों को नुकसान पहुंचता है सरसों की फसल से न केवल मधुमक्खी पालकों को लाभ होता है बल्कि मधुमक्खी पालकों के आने से सरसों के उत्पादन में भी लाभ होता है कुल मिलाकर यूपी के पढ़े-लिखे नौजवानों की तर्ज पर हरियाणा के पढ़े-लिखे किसान भी मधुमक्खी पालन करके अच्छा व्यवसाय कमा सकते हैं

बाइट ;- सुरेश कुमार मधुमक्खी पालक

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात। Body:संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी :- मधुमक्खी पालन पर विशेष
पढ़े-लिखे युवा मधुमक्खी पालन से स्वरोजगार अपनाकर अपने परिवार का गुजारा बेहतर ढंग से कर सकते हैं हरियाणा में मधुमक्खी पालन करने वाले युवाओं की संख्या भले ही कम हो लेकिन यूपी में मधुमक्खी पालन करने वाले पढ़े-लिखे युवाओं की संख्या बेहद अधिक है सरसों का सीजन जैसे ही आता है तो मधुमक्खी पालन यूपी से नूंह जिले की तरफ रुख कर लेते हैं दरअसल नूंह जिला राज्य में सरसों उत्पादन में दूसरे नंबर पर आता है और सरसों के फूलों से मधुमक्खी बड़ी आसानी से बहुत जल्द शहद तैयार कर लेती हैं जिसे बेचकर युवा अच्छा लाभ कमा लेते हैं लेकिन सरसों की खेती या अन्य खेती में लगातार बढ़ रहा दवाइयों का छिड़काव इस मधुमक्खी पालन पर भी कहीं ना कहीं असर डाल रहा है दवाइयों से मधुमक्खियां न केवल मर जाती हैं बल्कि शहद की मात्रा भी कम हो जाती है दशकों पहले जिस एक डब्बे से मधुमक्खी पालक 7 किलो शहद जुटा लेते थे अब वह घटकर आधा महज 3 किलोग्राम रह गया है। यूपी के मधुमक्खी पालन करने वाले युवा ने बताया कि ना तो सरकार इस मामले पर उनको कोई सब्सिडी देती है और पिछले कुछ समय से भाव भी अच्छे नहीं मिल रहे हैं जिसकी वजह से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय घाटे का सौदा दिखाई देने लगा है। उन्होंने कहा कि कई बार किसान भी गलतफहमी में आकर उन्हें तंग करते हैं किसानों का आरोप होता है कि मधुमक्खियां उनके सरसों के फूल का रस चूस लेती हैं जिससे फसल खराब होती हैं लेकिन मधुमक्खी पालक ने साफ तौर पर कहा कि फसलों में मधुमक्खियां उन कीटनाशकों को खत्म कर देती हैं जिन से फसलों को नुकसान पहुंचता है सरसों की फसल से न केवल मधुमक्खी पालकों को लाभ होता है बल्कि मधुमक्खी पालकों के आने से सरसों के उत्पादन में भी लाभ होता है कुल मिलाकर यूपी के पढ़े-लिखे नौजवानों की तर्ज पर हरियाणा के पढ़े-लिखे किसान भी मधुमक्खी पालन करके अच्छा व्यवसाय कमा सकते हैं

बाइट ;- सुरेश कुमार मधुमक्खी पालक

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात। Conclusion:संवाददाता नूह मेवात
स्टोरी :- मधुमक्खी पालन पर विशेष
पढ़े-लिखे युवा मधुमक्खी पालन से स्वरोजगार अपनाकर अपने परिवार का गुजारा बेहतर ढंग से कर सकते हैं हरियाणा में मधुमक्खी पालन करने वाले युवाओं की संख्या भले ही कम हो लेकिन यूपी में मधुमक्खी पालन करने वाले पढ़े-लिखे युवाओं की संख्या बेहद अधिक है सरसों का सीजन जैसे ही आता है तो मधुमक्खी पालन यूपी से नूंह जिले की तरफ रुख कर लेते हैं दरअसल नूंह जिला राज्य में सरसों उत्पादन में दूसरे नंबर पर आता है और सरसों के फूलों से मधुमक्खी बड़ी आसानी से बहुत जल्द शहद तैयार कर लेती हैं जिसे बेचकर युवा अच्छा लाभ कमा लेते हैं लेकिन सरसों की खेती या अन्य खेती में लगातार बढ़ रहा दवाइयों का छिड़काव इस मधुमक्खी पालन पर भी कहीं ना कहीं असर डाल रहा है दवाइयों से मधुमक्खियां न केवल मर जाती हैं बल्कि शहद की मात्रा भी कम हो जाती है दशकों पहले जिस एक डब्बे से मधुमक्खी पालक 7 किलो शहद जुटा लेते थे अब वह घटकर आधा महज 3 किलोग्राम रह गया है। यूपी के मधुमक्खी पालन करने वाले युवा ने बताया कि ना तो सरकार इस मामले पर उनको कोई सब्सिडी देती है और पिछले कुछ समय से भाव भी अच्छे नहीं मिल रहे हैं जिसकी वजह से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय घाटे का सौदा दिखाई देने लगा है। उन्होंने कहा कि कई बार किसान भी गलतफहमी में आकर उन्हें तंग करते हैं किसानों का आरोप होता है कि मधुमक्खियां उनके सरसों के फूल का रस चूस लेती हैं जिससे फसल खराब होती हैं लेकिन मधुमक्खी पालक ने साफ तौर पर कहा कि फसलों में मधुमक्खियां उन कीटनाशकों को खत्म कर देती हैं जिन से फसलों को नुकसान पहुंचता है सरसों की फसल से न केवल मधुमक्खी पालकों को लाभ होता है बल्कि मधुमक्खी पालकों के आने से सरसों के उत्पादन में भी लाभ होता है कुल मिलाकर यूपी के पढ़े-लिखे नौजवानों की तर्ज पर हरियाणा के पढ़े-लिखे किसान भी मधुमक्खी पालन करके अच्छा व्यवसाय कमा सकते हैं

बाइट ;- सुरेश कुमार मधुमक्खी पालक

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात।
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