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कृष्ण भगवान ने महाभारत के युद्ध के लिए कुरुक्षेत्र को ही क्यों चुना, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी?

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 28, 2023, 1:14 PM IST

Why Lord Krishna Choose Kurukshetra For Mahabharata
कुरुक्षेत्र को क्यों कहा जाता है धर्म क्षेत्रय़

Why Lord Krishna Choose Kurukshetra For Mahabharata: ये तो सभी लोग जानते हैं कि महाभारत का युद्ध हरियाणा के कुरुक्षेत्र में लड़ा गया था. शायद बहुत की कम लोगों को पता हो कि भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र को ही क्यों महाभारत के युद्ध के लिए चुना.

जानिए कृष्ण भगवान ने महाभारत के युद्ध के लिए कुरुक्षेत्र को ही क्यों चुना?

कुरुक्षेत्र: हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले का नाम आते ही हर किसी के जहन में महाभारत के युद्ध की याद आती है. क्योंकि इसी पावन धरती पर महाभारत का युद्ध लड़ा गया था. महाभारत के युद्ध के दौरान श्री कृष्ण भगवान ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. क्या आप जानते हैं कि विश्व का सबसे बड़ा महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र की धरा पर ही क्यों लड़ा गया. अगर आप नहीं जानते, तो चलिए आज हम बताते हैं कि वो कौन सा किस्सा और कहानी है जिसके चलते श्री कृष्ण भगवान ने कुरुक्षेत्र भूमि को महाभारत की लड़ाई लड़ने के लिए चुना था.

कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर तीर्थ: कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर तीर्थ पुरोहित एवं तीर्थ के पूर्व प्रधान राम प्रकाश ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस बात को बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में क्यों लड़ा गया. तीर्थ पुरोहित ने बताया कि जब महाभारत का युद्ध होना तय हो गया था. उस समय भगवान श्री कृष्ण पृथ्वी पर हर स्थान पर घूमे कि कहां पर महाभारत का युद्ध लड़ा जाए, लेकिन उनको पूरी पृथ्वी पर कहीं पर ऐसा स्थान नहीं मिला जहां पर महाभारत का युद्ध लड़ा जाए, घूमते-घूमते वो कुरुक्षेत्र में आ पहुंचे.

कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण ने देखा कि भारी बरसात हो रही है और उस बरसात का पानी एक नाले में से होकर दूसरे गांव में जा रहा था. पानी की मात्रा बहुत ज्यादा थी. वहां पर एक किसान मौजूद था. जिसने देखा कि अगर ये पानी दूसरे गांव में चला गया, तो उनका गांव डूब जाएगा. जब किसान को पानी रोकने के लिए कुछ नहीं मिला, तो उसने अपने बेटे को उस नाले में रख दिया, ताकि पानी का बहाव कम हो जाए. ये घटना भगवान श्री कृष्ण देख रहे थे. जिसके बाद श्री कृष्ण भगवान ने किसान से पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया.

किसान ने कृष्ण भगवान को कहा कि मैंने अपने किसान होने का धर्म निभाया है, अगर मैं ऐसा ना करता, तो आगे हजारों की संख्या में लोग डूब कर मर जाते, बेटा तो और भी हो जाएगा, लेकिन इतने लोगों की जान बचानी जरूरी थी. मैंने अपना धर्म निभाया है, तभी श्री कृष्ण भगवान के दिमाग में बात आई कि जब महाभारत का युद्ध लड़ा जाएगा, तो अर्जुन के सामने भी उनके सगे संबंधी होंगे. उसको भी अपना धर्म निभाने के लिए उन सब का वध करना होगा. तभी अर्जुन जीत पाएंगे. तब भगवान श्री कृष्ण ने सोचा कि इससे बढ़िया जगह कोई नहीं हो सकती.

इसके बाद ही श्री कृष्ण भगवान ने कुरुक्षेत्र भूमि को महाभारत की लड़ाई के लिए चुना था. श्री कृष्ण ने सोचा कि जहां पर अपना धर्म और कर्म निभाने के लिए लोग सबसे आगे रहते हैं. इससे अच्छी जगह युद्ध के लिए और क्या होगी.

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ज्योतिशर में दिया था भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश

कुरुक्षेत्र को क्यों कहा जाता है धर्म क्षेत्र? तीर्थ पुरोहित ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि किसान ने अपना धर्म निभा कर बहुत ही बड़ा काम किया था. उसके बाद महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने अपने सगे संबंधियों को युद्ध में मारकर अपना धर्म निभाया था, ताकि धर्म की विजय हो सके, श्री कृष्ण भगवान भी यही चाहते थे कि अधर्म का नाश हो और धर्म की विजय हो. उसी के चलते ही बाद में कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र या धर्म नगरी के नाम से भी जाना जाने लगा.

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48 कोस भूमि में 300 के करीब तीर्थ स्थल बनाए गए हैं.

कुरुक्षेत्र में मरने वालों को होती है मोक्ष की प्राप्ति! महाभारत के युद्ध में लाखों की संख्या में सैनिक और योद्धा मारे गए थे. इतनी संख्या में लोगों का अंतिम संस्कार करना मुश्किल था, सनातन धर्म में माना जाता है कि अगर इंसान का अंतिम संस्कार ना हो, तो उसको मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती. श्री कृष्ण भगवान ने इस मामले को गंभीरता से देखते हुए जहां-जहां महाभारत का युद्ध लड़ा गया. उस भूमि को मोक्ष भूमि का वरदान दिया. जिसके चलते कुरुक्षेत्र को मोक्ष की भूमि कहा जाता है.

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महाभारत का युद्ध 48 कोस की भूमि पर हुआ था.

48 कोस भूमि पर लड़ा गया था महाभारत का युद्ध: तीर्थ पुरोहित ने बताया कि महाभारत का युद्ध 48 कोस की भूमि में लड़ा गया था. जिसमें कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, जींद और पानीपत के पांच जिले शामिल हैं, कुरुक्षेत्र के उत्तरी साइड में से सरस्वती नदी बहती है. जिसके चलते ये युद्ध सरस्वती नदी से कुरुक्षेत्र और करनाल की तरफ से लड़ा गया. जहां-जहां पर ये युद्ध लड़ा गया. उसको 48 कोस की भूमि में शामिल किया गया. कृष्ण ने 48 कोस की भूमि को मोक्ष की भूमि कहा है. यहां पर अगर इंसान किसी भी प्रकार से मर जाता है, तो उसको सीधे ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. जिसके चलते 48 कोस भूमि का महत्व और बी बढ़ जाता है. 48 कोस भूमि में 300 के करीब तीर्थ स्थल बनाए गए हैं. जिनकी अपने आप में एक अलग ही महत्व है.

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ब्रह्मसरोवर में हर साल लाखों लोग स्नान करते हैं.

पांच जिलों की 48 कोस भूमि यक्ष करते हैं पहरेदारी: महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र की 48 कोस की भूमि पर लड़ा गया था. इसमें चार कोने निर्धारित किए गए हैं. जिसमें यक्ष आज भी कुरुक्षेत्र की 48 कोस भूमि की सुरक्षा कर रहे हैं और पहरेदारी का काम करते हैं. जो द्वारपाल के रूप में मौजूद हैं. ये पांच जिलों की सीमा में मौजूद है. चारों यक्ष में से एक कुरुक्षेत्र के पीपली, दूसरा जींद के पोखरी खेड़ी नामक स्थान पर, तीसरा पानीपत के शेख नामक गांव में, चौथा कुरुक्षेत्र के अभिमन्यु पुर गांव में स्थित है.

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कुरुक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण और भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में दिया था गीता का उपेदशअर्जुन के रथ की प्रतिमा बनी है.

ज्योतिसर में दिया था भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश: ज्योतिष आचार्य ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के लिए कुरुक्षेत्र की भूमि को चुना था और महाभारत के दौरान जब अर्जुन जब अपने सगे संबंधियों को युद्ध में अपने सामने देखकर विचलित हो रहे थे. तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. जो आज भी विश्व प्रसिद्ध है.

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