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कोरोना काल में सरकारी कर्मियों को कितना मिला स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ, देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

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Published : Apr 13, 2021, 9:35 PM IST

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में ज्यादातर कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना काल के दौरान काम करते हुए भी कोई बीमा पॉलिसी नहीं की गई. सफाई कर्मचारियों को किसी भी तरह की कोई ऐसी प्रोटेक्शन जिला प्रशासन की तरफ से नहीं दी.

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कोरोना काल में सरकारी कर्मियों को कितना मिला स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ

करनाल: कोरोना संक्रमण की वजह से सबसे ज्यादा नौकरी पेशा वाले लोगों को दिक्कत हुई है. वहीं पिछले साल लॉकडाउन के बावजूद कई सरकारी कार्यालय लागातार काम करते रहे, ऐसे में सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य बड़ी चिंता का विषय है, हालांकि सरकार की तरफ से सरकारी कर्मचारियों के लिए जीवन बीमा पॉलिसी की व्यवस्था की गई थी, लेकिन सरकारी व्यवस्थाओं का सरकारी कर्मचारियों को क्या फायदा हुआ इसका जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम सरकारी दफ्तरों में पहुंची और वहां कर्मचारियों से बातचीत की.

कर्मचारी रहे योजनाओं के लाभ से कोसों दूर

सुशील गुर्जर एक सरकारी कर्मचारी हैं. ये सर्व कर्मचारी संघ के नेता भी हैं. सुशील गुर्जर का कहना है कि कोरोना काल के दौरान काम करते हुए भी कोई बीमा पॉलिसी नहीं की गई. सफाई कर्मचारियों को किसी भी तरह की कोई ऐसी प्रोटेक्शन जिला प्रशासन की तरफ से नहीं दी.

सुशील गुर्जर बताते है कि कोरोना काल के दौरान उनके करीब 15 साथी कर्मचारियों ने अपने परिवार के सदस्यों का गंभीर बीमारियों में इलाज करवाया. वहीं कुछ ने अपने परिवार के सदस्यों का महंगे ऑपरेशन करवाए हैं, लेकिन उनके बिल पास नहीं हो रहे हैं.

कोरोना काल में सरकारी कर्मियों को कितना मिला स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ, देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

दफ्तरों के चक्कर लगाते रहे लाभार्थी

रामगोपाल बिजली विभाग में क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं. पिछले साल फरवरी के महीने में उन्होंने अपनी बहन का हार्ट का ऑपरेशन करवाया. इस ऑपरेशन में उनके करीब आठ लाख रुपये खर्च हो गए, लेकिन अभी तक उनका बिल पास नहीं हुआ. राम गोपाल ने 4 लाख रुपये लोन पर लिया था. वो आज अपनी तनख्वाह से ब्याज भर रहे हैं. राम गोपाल इस बिल को क्लियर करवाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काट कर परेशान हो गए हैं, लेकिन समाधान नहीं निकला.

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स्वास्थ्य कर्मचारियों को मिला 50 लाख का बीमा

कोरोना काल के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स ने महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो अभी भी जारी है, ऐसे में उनकी सुरक्षा एक अहम मुद्दा बन जाता है. ईटीवी भारत की टीम करनाल सिविल हॉस्पिटल के सीएमओ डॉ. योगेश से बात की. इस बातचीत में उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से स्वास्थ्य कर्मियों के लिए 50 लाख रुपये की इंश्योरेंस पॉलिसी दी गई है. अच्छी बात है स्वास्थ्य कर्मी कोरोनावायरस से डटकर मुकाबला करते हुए सबसे आगे आकर काम कर रहे हैं.

रिटार्यड कर्मचारियों को भी हुई दिक्कतें

वहीं कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से रिटायर हुए असिस्टेंट रजिस्ट्रार अजमेर गोल ने बताया कि कोरोना के दौरान उनकी जो पेंशन आती है. वो कभी समय पर नहीं आई. उनको काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा. वो एक पेंशनधारक हैं इसलिए सरकार की तरफ से पेंशन के अलावा स्वास्थ्य से संबंधित कोई लाभ नहीं दिया.

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इस रिपोर्ट से साफ जाहिए होता है कि सरकारी फाइलों में और हुक्मरानों की घोषणाओं में बहुत सी योजनाएं बनती हैं और लोकहित में लागू भी होती हैं, लेकिन जिस तरह से स्तर पर योजना को लागू किया जाता है वो जमीनी स्तर पर लाभार्थियों तक पहुंच नहीं पाता है.

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