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Valentine Day 2023: मगरमच्छ और इंसान की दोस्ती, आवाज सुनते ही अपने 'आका' के पास पहुंच जाती है बसंती

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Published : Feb 13, 2023, 10:37 PM IST

Updated : Feb 14, 2023, 2:36 PM IST

वैलेंटाइन-डे पर आपने लव और दोस्ती के बहुत से किस्से सुने और देखे होंगे. लेकिन आज हम आपको एकदम अलग और अनोखी दोस्ती का किस्सा बताएंगे, जो करनाल के एक साधारण से व्यक्ति और बसंती की दोस्ती पर आधारित है. तो चलिए जानते हैं पूरी दोस्ती की ये कहानी.

Friendship of crocodile and man in Karnal
करनाल में मगरमच्छ और इंसान की दोस्ती

करनाल में मगरमच्छ और इंसान की दोस्ती

करनाल: आपने पहले इंसान से इंसान की दोस्ती देखी होगी या फिर इंसान से दूसरे जानवरों की दोस्ती देखी होगी. लेकिन क्या आप सोच सकते हैं, कि मगरमच्छ जैसे खूंखार जानवर से भी इंसान की दोस्ती हो सकती है. आपने ऐसा फिल्मों में तो जरुर देखा होगा. लेकिन आज हम आपको हकीकत में एक ऐसी ही दोस्ती से रूबरू करवाते हैं. कुरुक्षेत्र के बोर सैदा गांव में स्थित मगरमच्छ प्रजनन केंद्र में रह रहे मगरमच्छ का पालन पोषण करने वाले इंसान के साथ दोस्ती की मिसाल जग जाहिर है.

40 सालों से बसंती है दोस्त: इस इंसान का नाम जयपाल उर्फ तारा है. जिसकी बसंती नामक मगरमच्छ के साथ काफी अच्छी दोस्ती है. यह मगरमच्छ प्रजनन केंद्र महाभारत कालीन मंदिर के प्रांगण में बने तालाब में स्थित है. मंदिर के सेवक सतीश ने बताया कि जयपाल पिछले 40 वर्षों से ज्यादा समय से यहां पर मगरमच्छों की देखरेख कर रहे हैं. यह मगरमच्छ प्रजनन केंद्र फॉरेस्ट विभाग के अंतर्गत आता है. जयपाल फॉरेस्ट विभाग में कार्यरत है, जो यहां पर मगरमच्छों की ही देखरेख कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर सबसे पुराना फीमेल मगरमच्छ है. जिसका नाम जयपाल ने बसंती रखा हुआ है.

Friendship of crocodile and man in Karnal
कुरुक्षेत्र में मगरमच्छ प्रजनन केंद्र

बसंती से है गहरा दोस्ताना: जयपाल और बसंती की दोस्ती ऐसी है, कि जब भी जयपाल बसंती का नाम लेकर उनको पुकारते हैं तो वह भागी दौड़ी चली आती है. इतना ही नहीं जयपाल उसके पास खड़े होकर उसको प्यार से सहलाता भी है. वह उसको कुछ नहीं कहती. मंदिर के सेवक ने बताया की जयपाल उनके पास खड़े होकर सिर्फ को खाना ही नहीं देता बल्कि अगर उनको कुछ बीमारी या चोट लग जाती है, तो उसका सारा ट्रीटमेंट जयपाल ही करता है. बसंती के साथ जयपाल का काफी लगाव है. लेकिन जो अन्य मगरमच्छ है, उनके साथ भी जयपाल का लगाओ बन गया है. वह उनके बीच में पशुओं के लिए उस तालाब से हरा घास तक काटता है.

इस दोस्ती के हैं गजब के चर्चे: उन्होंने बताया कि जयपाल के मगरमच्छों के साथ ऐसी दोस्ती है कि जिस के चर्चे दूर-दूर तक है. इनकी दोस्ती देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं. उन्होंने बताया कि अगर कोई दूसरा इंसान उनको आवाज लगाकर बुलाए तो वह नहीं आएंगे. वही, अगर जयपाल उनको आवाज लगा कर बुलाते हैं तो वह दौड़ी चली आती है. आपको बता दे की अंग्रेजों के समय आजादी से पूर्व यहां एक साधु रहते थे, जिन्होंने यहां बाढ़ के पानी मे बहकर आये दो मगरमच्छ के बच्चों को एक छोटे से गड्ढे में पाला था.

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ऐसे हुई दोस्ती: वह खुद ही इनकी देखभाल किया करते थे. जिस तरह समय बीत गया इन मगरमच्छों की संख्या बढ़ती गई किसानों और ग्रामीणों ने मिलकर इस जगह को सरकार को दे दिया और यहां सरकार ने मगरमच्छ प्रजनन केंद्र खोल दिया. इसी बीच जयपाल और बसंती मिले. उनके बीच कनेक्शन बना और बन गए ऐसे दोस्त जिनकी चर्चा दूर-दूर तक होती है.

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Last Updated : Feb 14, 2023, 2:36 PM IST
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