झज्जर: 'गेट वे ऑफ हरियाणा' यानि कि बहादुरगढ़ धीरे-धीरे कबाड़गढ़ बनता जा रहा है. दरअसल, दिल्ली से निकाली गई प्लास्टिक कबाड़ की मंडी ने बहादुरगढ़ में ढेरा जमा लिया है. जो अब दिल्ली के बाद बहादुरगढ़ को गंदा कर रहा है. पहले जटवाड़ा की करीब 80 एकड़ खेती की जमीन में ये प्लास्टिक का बाजार बसाया गया और अब परनाला के खेतों में भी ये कबाड़ का बाजार बस गया है. आप जहां तक नजर घुमाएंगे, आपको सिर्फ कबाड़ ही कबाड़ नजर आएगा.
कबाड़गढ़ बना बहादुरगढ़!
दिल्ली सीमा से सटे बहादुरगढ़ में घुसते ही हरियाणा की पहचान का अहसास होना चाहिये था, लेकिन यहां हर तरफ कबाड़ ही नजर आएगा. प्लास्टिक कबाड़, प्लास्टिक की थैलियां, रैक्सिन की कटिंग, प्लास्टिक मेडिकल वेस्ट भी. ये प्लास्टिक कबाड़ का ये बाजार पूरी तरह से अवैध है.
दिल्ली के बाद बहादुरगढ़ में बसा प्लास्टिक बाजार
दरअसल, दिल्ली सरकार और एनजीटी के दबाव में प्लास्टिक कबाड़ की मार्केट को दिल्ली से बाहर कर दिया गया है. दिल्ली के निजामपुर, टिकरी और झाड़ोदा से सटे परनाला और जटवाड़ा के खेतों में अब ये प्लास्टिक कबाड़ की मंडी सज गई है. वहीं पूर्व पार्षद वजीर राठी की माने तो प्रशासन और स्थानीय नेताओं की मदद से ये अवैध मार्केट बसाई गई है. जिसे जल्द नहीं हटाया गया तो हल्की सी चिंगारी से बहादुरगढ़ जल सकता है.
पूरी तरह से अवैध है ये कबाड़ मार्केट
अवैध पीवीसी मार्केट कहें या प्लास्टिक कबाड़ का बाजार. पहले टिकरी और झाड़ौदा बार्डर से सटे जटवाड़ा के खेतों से इसकी शुरुआत हुई. ईपीसीए के चेयरमैन ने भी दौरा किया और अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए, लेकिन ढीली कार्रवाई का असर ये हुआ कि छोटूराम नगर के साथ लगते परनाला के खेतों में भी अब प्लास्टिक का कबाड़ पहले से भी ज्यादा बस गया है.
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प्रदूषण नियंत्रण विभाग को भी कबाड़ मार्केट की खबर मीडिया से ही लगी है. विभाग के आरओ केके यादव की माने तो सर्वे करवा कर किसानों को नोटिस दिया जायेगा और जल्द ही इस कबाड़ मार्केट को हटाया जाएगा. उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से जटवाड़ा के 58 किसानों को पहले ही प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के तहत नोटिस दे रखे हैं. अब उनके खिलाफ फरीदाबाद की पर्यावरण अदालत में केस दायर करने की तरफ भी विभाग बढ़ रहा है.