क्या है पंजाब यूनिवर्सिटी का मामला? हरियाणा के ग्रांट देने के बाद जानें क्या होगा असर

author img

By

Published : Jun 3, 2023, 11:13 AM IST

what is panjab university issue
what is panjab university issue ()

पंजाब विश्वविद्यालय की ग्रांट का मुद्दा तूल पकड़ रहा है. हालांकि पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों के बीच इस मुद्दे पर सकारात्मक बैठक हो चुकी है, लेकिन यूनिवर्सिटी का स्टाफ इसपर सवाल भी उठा रहा है.

क्या है पंजाब यूनिवर्सिटी का मामला? हरियाणा के हस्तक्षेप के बाद जानें क्या होगा असर

चंडीगढ़: पंजाब यूनिवर्सिटी का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. एक तरफ दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री पंजाब यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर राजी हो गए हैं, तो वहीं यूनिवर्सिटी के लोग सवाल भी उठा रहे हैं. दरअसल हरियाणा राज्य ने पंजाब यूनिवर्सिटी में हरियाणा कि कुछ कॉलेजों का एक्रीडिटेशन देने और यूनिवर्सिटी को ग्रांट के रूप में 40 प्रतिशत देने की योजना बनाई है. पंजाब यूनिवर्सिटी की ओर से हरियाणा के कॉलेजों को एक्रीडिटेशन देने को लेकर बीते दिनों कई मीटिंग भी हुई, ऐसे में अभी तक इस मुद्दे पर फैसला लेना बाकि है, क्यों‌कि अंतिम फैसला पंजाब और हरियाणा की सरकारों की सहमति के द्वारा ही लिया जाएगा.

बैठकों का दौर जारी: हालांकि मीटिंग के बाद चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने कहा था कि अगर हरियाणा के कॉलेजों को एफीलिएशन दी जाती है, तो पंजाब यूनिवर्सिटी को आर्थिक संकट कम हो सकता है. ऐसे में इस फैसले को लेकर आने वाली 5 जून को एक बार फिर दोनों राज्यों में मीटिंग बुलाई गई है. पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत पंजाब यूनिवर्सिटी में हरियाणा राज्य का हिस्सा दिया गया था और हरियाणा के कॉलेज और क्षेत्रीय केंद्र पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्ध थे, लेकिन 1973 को एक अधिसूचना जारी कर इसे समाप्त कर दिया गया.

क्यों बंद हुई थी ग्रांट? 1968 हरियाणा में जब चौधरी बंसी लाल पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, उस दौरान पीयू के एक कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री को छोटी कुर्सी पर बैठने को लेकर विवाद हो गया था. तब से पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों में विवाद चलता रहा. इस दौरान पंजाब यूनिवर्सिटी को हरियाणा से आने वाली ग्रांट भी बंद कर दी गई. वहीं बंसी लाल की सरकार में हरियाणा के कॉलेजों को पीयू से एक्रीडिटेशन बंद करवा दी. जिन्हें बाद में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के साथ जोड़ा गया. वहीं बंसी लाल की सरकार के 50 साल बाद मनोहर लाल सरकार ने दोबारा कोशिश की है कि वो अपने कुछ कॉलेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी एक्रीडिटेशन करवा सके.

पीयू में हरियाणा के कॉलेजों की एक्रीडिटेशन: बता दें कि पंजाब यूनिवर्सिटी को उस समय की केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ प्रशासन के माध्यम से पंजाब और हरियाणा सरकार के बीच 60:40 का अनुपात तय किया. लेकिन हरियाणा द्वारा अनुदान बंद करने के बाद इसका बोझ केंद्र और पंजाब सरकार पर आ गया. वहीं हरियाणा सरकार कुल बजट में 5 फीसदी हिस्सा देती है, तो विश्वविद्यालय को सालाना करीब 25-30 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है. अगर दोनों राज्यों में सहमति होती है तो पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर जैसे जिलों के 30 से ऊपर सरकारी कॉलेजों में पंजाब यूनिवर्सिटी एक्रीडिटेशन करवाई जा सकती है.

पीयू पर बढ़ा आर्थिक संकट: पंजाब यूनिवर्सिटी को पिछले 32 सालों से केंद्र और पंजाब सरकार ही ग्रांट दे रही है. सूत्रों की माने तो पंजाब सरकार भी पिछले 10-15 साल से अपने हिस्से में से सिर्फ 15 से 17 प्रतिशत ही ग्रांट यूनिवर्सिटी की भेज रही है. जिसके चलते पंजाब और चंडीगढ़ में स्थित 200 के करीब कॉलेज का खर्च चलाने में यूनिवर्सिटी प्रशासन को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. जिसके चलते ना तो कॉलेज में मरम्मत करवाई जा रही है और ना ही कोई नई भर्ती. बीते दिनों भी 50 से अधिक प्रोफेसरों की भर्ती निकाली गई थी. जिसको भी अधर में लटका दिया गया.

पीयू के छात्रों में रोष: पंजाब यूनिवर्सिटी के एक सदस्य ने बताया कि अगर पंजाब सरकार चाहे तो हमें किसी और ग्रांट की मदद ना लेनी पड़े. वहीं आप सरकार जो इतना पैसा इश्तेहारों पर खर्च करती है. उसका आधा भी पंजाब यूनिवर्सिटी में दे तो यहां के सभी आर्थिक संकट खत्म हो सकते हैं. पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र और शिक्षक प्रोफेसर मनजीत सिंह ने बताया कि जब 20% केंद्र सरकार 40% पंजाब सरकार और 40% हरियाणा सरकार ग्रांट देती थी. तब सब कुछ सही चल रहा था. हरियाणा के कॉलेज हमारे साथ 1973 तक जुड़े रहे.

उसके बाद उन्होंने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी को एप्लीकेशन दी और वहीं सभी कॉलेजों को जोड़ दिया गया. आज अचानक हरियाणा सरकार को क्या सूझा कि वो पंजाब यूनिवर्सिटी के साथ फिर से मिलना चाहती है. बीते साल 9 अगस्त को हरियाणा सरकार के द्वारा यमुनानगर अंबाला पंचकूला के आसपास के कॉलेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी के साथ एफिलिएट करने की बात कही गई. वहीं दूसरी और पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र और शिक्षक ये सोच रहे हैं कि अगर हरियाणा की कॉलेज यूनिवर्सिटी में आ जाते हैं, तो उन्हें माइनॉरिटी के तौर पर हिस्सा मिलेगा.

ये भी पढ़ें- पंजाब यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के सीएम की बैठक, इन अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

पंजाब यूनिवर्सिटी के मौजूदा रजिस्ट्रार वाईपी वर्मा ने बताया कि पंजाब यूनिवर्सिटी हरियाणा के कॉलेजों को 1990 तक मान्यता देती रही है. यदि हरियाणा ग्रांट देता है तो मान्यता देने में भी कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. इसके साथ ही पीयू के विद्यार्थियों के लिए सुविधाओं का विस्तार करना जरूरी बन गया है. इसके लिए कर्मचारियों की जरूरत है. जिसकी संख्या बढ़ाई जानी आवश्यक बन गई है. नियुक्ति या सुविधाओं का विस्तार फिर से करने के लिए हमें बहुत से फंड की जरूरत है, जो अकेली पंजाब सरकार नहीं दे सकती. ऐसे में अगर हरियाणा सरकार हमारे साथ आती है, तो पीयू के पास पर्याप्त फंड होगा यूनिवर्सिटी की सुविधाओं को सरल तौर पर चलाने के लिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.