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11 साल बाद पितृ पक्ष में बन रहा ये संयोग, जानिए महत्व और तर्पण की विधि

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Published : Sep 9, 2022, 8:48 PM IST

Updated : Sep 10, 2022, 11:24 AM IST

शनिवार 10 सितंबर से श्राद्ध पक्ष (Shradh 2022 dates) शुरू हो रहा है. ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार श्राद्ध पक्ष 15 की बजाय 16 दिन का होगा. ऐसा संयोग 2011 के बाद 11 साल बाद बन रहा है जब पितृ पक्ष 16 दिन का होगा. हिंदू धर्म में पितृ पक्ष और भाद्रपद की पूर्णिमा का विशेष महत्व है. आइये आपको बताते हैं कि पूर्णिमा पर पूजा के शुभ मुहूर्त और विधि विधान क्या हैं.

पितृ पक्ष 2022 कब से है
पितृ पक्ष 2022 कब से है

करनाल: हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व होता है. भाद्रपद मास की पूर्णिमा से ही श्राद्ध पक्ष (Shradh paksh 2022 dates) भी शुरू हो जाता है. इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक श्राद्ध पक्ष शनिवार, 10 सितंबर से शुरू होगा और 25 सितंबर को इसका समापन होगा. ज्योतिषियों के मानें तो इस बार श्राद्ध पक्ष 15 की जगह 16 दिन का होगा. ऐसा संयोग 11 साल बाद बन रहा है. भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

भाद्रपद की पूर्णिमा का महत्व- भाद्रपद पूर्णिमा कई मायनों में खास मानी जाती है. पूरा देश गणेशोत्सव के समापन उत्साह से भर जाता है. दूसरी तरफ लोग अपने पितरों को याद करते हुए इसी तिथि से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत करते हैं. भाद्रपद की पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का भी विधान है. ऐसा माना जाता है कि भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से उपासक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और घर सुख, समृद्धि और धन से भरा रहता है. भक्त अपने जीवन में पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है.

भाद्रपद पूर्णिमा की तिथि व मुहूर्त- हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 9 सितंबर शुक्रवार को शाम 6:07 बजे से प्रारंभ होगी. भाद्रपद पूर्णिमा तिथि 10 सितंबर, शनिवार को 3:28 बजे समाप्त होगी. इसलिए इस वर्ष 10 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा मनाई जाएगी. इसी दिन से श्राद्ध कार्य भी शुरू हो जाएगा. लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करेंगे.

भाद्रपद पूर्णिमा पर पूजा की विधि- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है. आप नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान भी कर सकते हैं. नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें. नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें. देवी देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें.

पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है. इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना भी की जाती है. भगवान विष्णु को भोग लगाएं. भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं. इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.

इसके अलावा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें. भाद्रपद माह की पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें. इस दिन चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है. चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें. माना जाता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है. गाय को भोजन कराने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है.

चंद्र वर्ष के महीनों के नाम प्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि से निर्धारित किए गए हैं. ऐसा माना जाता है कि इस माह की पूर्णिमा के दिन जिस नक्षत्र में चंद्रमा होता है उसी के अनुसार माह का नामकरण किया जाता है. सभी 12 महीनों के नाम राशियों पर आधारित हैं. ऐसे में इसे भाद्रपद पूर्णिमा कहते हैं. क्योंकि इस दिन चंद्रमा उत्तर भाद्रपद या पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में होता है.

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Last Updated : Sep 10, 2022, 11:24 AM IST
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