चंडीगढ़: भीषण गर्मी, सूखा और खाद की किल्लत से इस बार गेहूं का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. गेहूं के अलावा बाकी फसलों की पैदावार भी पिछले सीजन की तुलना में इस बार कम हुई है. पहले गेहूं की कम पैदावार और अब किसानों के लिए नया संकट पैदा हो गया है. ये संकट है सूखे चारे का. हरियाणा में चारे की किल्लत (dry fodder crisis in haryana) इतनी ज्यादा हो गई है कि इसके दाम आसमान छूने लगे हैं. हरियाणा एक पशुधन राज्य है. इसलिए चारे की समस्या इस राज्य को सबसे ज्यादा प्रभावित कर सकती है.
हरियाणा में सूखे चारे खासकर गेहूं से बनने वाले भूसे (तूड़ी) का दाम सातवें आसमान पर पहुंच चुका है. पिछले सीजन जो भूसा करीब 300 रूपये प्रति क्विंटल था वो अब 700 के ऊपर मिल रहा है. थोक में किसान 7 हजार रुपये में एक एकड़ खरीद लेते थे. लेकिन उसका दाम अब 16 हजार रुपये को पार कर गया है. सामान्य किसान के लिए इतना महंगा चारा खरीदना बेहद मुश्किल हो रहा है.
हरियाणा के हिसार जिले के पशुपालक और किसान रामचंद्र ने बताया कि तूड़ी के भाव प्रति एकड़ बहुत ज्यादा पहुंच चुके हैं. अब पशुओं को खिलाने के लिए भी तूड़ी नहीं मिल रही है. हमारे पास दूसरा विकल्प है ज्वार या हरा चारा बोया जाए. लेकिन उसके लिए पानी चाहिए और गर्मी के मौसम में पानी की बड़ी किल्लत होती है. अब यह हाल रहा तो पशु बेचने पड़ेंगे. किसान राजेंद्र ने कहा कि कुछ लोगों ने चारे की कमी के चलते भूसे को स्टॉक भी कर लिया है. जो तूड़ी पहले 3 हजार में एक टैक्टर ट्रॉली मिल जाती थी वो अब 6 हजार को पार कर गई है.
संकट में गौशाला संचालक- चारे की किल्लत से सबसे ज्यादा संकट में गैशाला संचालक हैं. केवल सिरसा जिले में करीब 134 पंजीकृत और 18 गैर पंजीकृत गौशालाएं हैं. चारे की कमी को देखते हुए गौशाला संचालकों ने प्रशासन के साथ मीटिंग की और भूसा सस्ता करवाने का अल्टीमेट दिया. आखिरकार प्रशासन को जिले में सूखे चारे की बिक्री और बाहर भेजने पर रोक लगानी पड़ी. वहीं हिसार में गैशाला चला रहे दिलबाग ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि चारे के बढ़ते दाम और किल्लत की वजह से हम चारा नहीं खरीद पा रहे हैं. बड़ी संख्या में गौधन संकट में है.
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कई जिलों में धारा 144- हरियाणा के हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और पानीपत में चारे की कमी को देखते हुए धारा 144 लगा दी गई है. प्रशासन ने इन जिलों में चारे की बिक्री और बाहर भेजने पर रोक लगा दी है. सिरसा और फतेहाबाद जिलों में सूखे चारे की कमी (sirsa fodder shortage) को देखते हुए जिला उपायुक्त ने धारा 144 के तहत जिले से बाहर जाने और ईंट-भट्टों और बॉयलर में इसके प्रयोग पर रोक लगाने का आदेश दिया है. जिला प्रशासन ने पत्र में कहा कि तूड़ी फैक्ट्री में प्रयोग होती है और इसे बाहर भी भेजा जाता है. इससे गौवंश में सूखे चारे की कमी होती है. इसलिए तूड़ी को फैक्ट्री में प्रयोग करने व सिरसा से बाहर भेजने पर प्रतिबंध लगाया गया है.
इसी तरह हिसार और पानीपत जिले में भी चारे की कमी (Hisar shortage of fodder) अब गहराती जा रही है. जिसे देखते भूसे की बिक्री और बाहर भेजने पर रोक लगाने का आदेश जिलाधीश की तरफ से दिया गया है. जिले की सीमा पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है.
चारा महंगा क्यों हुआ- चारा महंगा होने के पीछे कई बड़े कारण बताये जा रहे हैं. पहला यह है कि इस बार पिछले सालों की तुलना में गेहूं की बिजाई बेहद कम की गई थी. क्योंकि सरसों का भाव तेज था इसलिए किसानों ने मुनाफे के लिए सरसों ज्यादा बोई. दूसरा बड़ा कारण ये भी है कि अब हाथ से कटाई की बजाए 90 फीसदी गेहूं की कटाई कंबाइन मशीन से का जाती है. मैनुअल कटाई और कंबाइन से कटाई की तुलना में तूड़ी 30 प्रतिशत तक कम निकलती है. इसके अलावा तीसरा बड़ा कारण ये भी है कि समय से पहले शुरू हुई गर्मी की वजह से भी गेहूं उत्पादन कम हुआ है. भारी गर्मी की वजह से गेहूं की फसल हल्की हो गई.
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इसके अलावा गौशाला चला रहे संचालकों का आरोप है कि पंजाब के कई जिलों से सिरसा में तूड़ी पहुंचाई जाती थी. लेकिन आरटीओ द्वारा भारी चालान किए जाने के कारण पंजाब के व्यापारियों ने सिरसा में तूड़ी की सप्लाई करनी बंद कर दी है. तूड़ी और भूसे की किल्लत का मुख्य कारण आरटीओ और यातायात पुलिस द्वारा तूड़ी से भरी ट्रॉलियों का भारी चालान किया जाना भी है. सिरसा की ज्यादातर गौशालाओं में पंजाब के मानसा, सरदूलगढ़, मलोट, बठिंडा से तूड़ी आती है. गौशाला संचालकों का आरोप है कि आरटीओ तूड़ी से भरी ट्रैक्टर ट्रॉलियों का 30 से 40 हजार रुपये का चालान काट रहे हैं जिसके चलते वे सिरसा की बजाय राजस्थान में तूड़ी सप्लाई कर रहे हैं.
समय से पहले आई गर्मी भी जिम्मेदार- कृषि विशेषज्ञ महावीर मलिक का कहना है कि देश में खाद्यान्न उत्पादन में पंजाब के बाद हरियाणा का दूसरा स्थान रहा है. गेहूं के उत्पादन में हरियाणा ने कई बार कृषि पुरस्तान भी जीते हैं. लेकिन इस बार मौसम की मार ने गेहूं उत्पादन को काफी हद तक प्रभावित किया है. इसका मुख्य कारण तापमान का अचानक बढ़ना रहा है. मार्च के महीने में भी मौसम गर्म हो गया. एक से दो डिग्री तापमान बढ़ने पर ही गेहूं उत्पादन 5 से 15 प्रतिशत तक प्रभावित होता है.
हरियाणा से दूसरे राज्यों में भी चारा सप्लाई किया जाता है. गेहूं उत्पादन में अव्वल राज्य होने के नाते यहां से गेहूं का भूसा हिमाचल और राजस्थान जैसे राज्यों के किसान भी खरीदते हैं. हरियाणा में चारे के संकट और प्रशासन की रोक के बाद इन पड़ोसी राज्यों में भी चारा संकट पैदा हो गया है. राजस्थान सीमा से लगे जिलों से राजस्थान के किसान प्रशासन से रोक हटाने की मांग कर रहे हैं. राजस्थान के किसानों ने रोक नहीं हटाने पर प्रदर्शन की चेतावनी भी दी है.