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हुड्डा के विशाल हरियाणा के क्या हैं मायने, क्या दिल्ली पर हक जताने से कमजोर होगा चंडीगढ़ पर दावा?

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Published : Nov 27, 2019, 11:19 PM IST

Updated : Nov 27, 2019, 11:42 PM IST

हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में पूर्व मुख्‍यमंत्री और नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा विशाल हरियाणा के गठन का मुद्दा उठाने के बाद प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है. भारतीय जनता पार्टी ने उनको इसके लिए निशाने पर ले लिया.

vishal haryana politics in haryana
vishal haryana politics in haryana

चंडीगढ़: अपने बयान में हुड्डा ने विधानसभा में कहा था कि विशाल हरियाणा बनाया जाए और दिल्‍ली इसकी राजधानी हो. हुड्डा ने मौजूदा हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान के भरतपुर और दिल्ली को मिलाकर एक राज्य बनाने की बात की. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा था कि आज की पुरानी दिल्ली पहले सोनीपत तहसील थी और रोहतक जिले का ही हिस्सा थी. साथ ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ये भी कहा कि इसकी राजधानी दिल्ली होनी चाहिए.

हरियाणा के मंत्रियों ने हुड्डा को घेरा
इसके बाद हरियाणा के मंत्रियों ने उन पर निशाना साधा और कहा गया कि हुड्डा ने विशाल हरियाणा की बात कर चंडीगढ पर राज्‍य के दावे को कमजोर किया है. बीजेपी नेता और प्रदेश सरकार के गृहमंत्री अनिल विज ने हुड्डा पर चंडीगढ़ को लेकर हरियाणा का दावा कमजोर करने का आरोप लगाया. अनिल विज ने कहा कि दिल्ली को हरियाणा की राजधानी बनाने की बात करने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस पार्टी ने राजधानी को लेकर चंडीगढ़ पर हरियाणा का दावा कमजोर किया है.

विशाल हरियाणा के क्या हैं मायने, क्या दिल्ली पर हक जताने से कमजोर होगा चंडीगढ़ पर दावा, देखिए ये रिपोर्ट.

इस बात में कोई गंभीरता नहीं- सीएम
सीएम मनोहर लाल खट्टर और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने भी इस मुद्दे को लेकर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी. सीएम खट्टर ने विशाल हरियाणा की अवधारणा को भूपेंद्र सिंह हुड्डा की निजी राय बताया.

सीएम ने कहा कि इस मामले पर ना तो विधानसभा में चर्चा हुई है और ना ही किसी मीटिंग में चर्चा हुई है. मनोहर लाल ने कहा कि विधानसभा में ये भी स्पष्ट नहीं हो पाया कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा क्या कहना चाह रहे थे. जब कोई बात गंभीरता से कही जाती है तो उसका क्या पहलू है ध्यान आएगा. अभी इस बात में कोई गंभीरता नहीं है.

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क्या हैं विशाल हरियाणा की मांग के मायने?
राजनीति और बयानबाजी तो होती रहेगी लेकिन असल में हुड्डा के विशाल हरियाणा वाले बयान के आखिर क्या मायने हैं. क्या दिल्ली पर हक जताने से चंडीगढ़ पर दावा कमजोर होगा. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इस बयान के अलग-अलग राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने हुड्डा द्वारा इसे जाट राजनीति को मजबूत करने की कवायद करार दिया.

'जाट राजनीति को मजबूत करने की कवायद'
गुरमीत सिंह ने कहा कि पश्चिमी हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों की बात करके जाट राजनीति को मजबूत करने की कवायद हो सकती है. जिस तरह से विशाल हरियाणा की बात की गई है वह महज दावा भर साबित होगा. ऐसे बयानों से हरियाणा का चंडीगढ़ से दावा कमजोर होने वाला नहीं है. यह केवल बयानबाजी तक सीमित रहने वाला है.

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'हुड्डा को जाट नेता के तौर पर कांग्रेस प्रोजेक्ट करें'
उन्होंने कहा कि हो सकता है कि यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को एक अपील करने की बात हो सकती है क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुकाबले हरियाणा विकास में काफी आगे है. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि आने वाले समय में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एक जाट नेता के तौर पर कांग्रेस प्रोजेक्ट करें क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रचार के लिए जाते रहे हैं ऐसे में ये अपील हो सकती है.

क्या होगा विशाल हरियाणा का सपना मुमकिन?
आज के समय में केंद्र में कांग्रेस की सरकार नहीं है ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इस बयान पर गौर किया जाएगा ऐसा मुमकिन भी नहीं लगता. हालांकि इससे पहले भी हरियाणा के नेताओं की तरफ से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना वर्चस्व बनाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं. इन प्रयासों से भी इस मांग को जोड़कर देखा जा रहा है.

पश्चिम उत्तर प्रदेश में हरियाणा से काफी मिलती-जुलती संस्कृति है और राजस्थान के कुछ हिस्से भी हरियाणा से मिलते जुलते हैं. ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तरफ से विशाल हरियाणा का बयान देना इन राज्यों के लोगों को अपील करने के तौर पर देखा जा सकता है. हालांकि इस बयान के बाद केंद्र सरकार और कांग्रेस आलाकमान का क्या रुख रहता है ये देखने वाली बात है.

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सँविधान दिवस के मौके पर बुलाए गए हरियाणा विधानसभा के सत्र के दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तरफ से 'विशाल हरियाणा' के बयान पर राजनैतिक तौर पर चर्चा शुरू हो गई है । विशाल हरियाणा की मांग के दौरान दिल्ली को हरियाणा की राजधानी बनाने की बात कही जाने के बयान के अलग अलग मांयने निकाले जा रहे है । हरियाणा के साथ पश्चिमी उत्तरप्रदेश को मिलाकर विशाल हरियाणा बनाने सम्बंधि बयान को हरियाणा कर स्वस्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा था कि कांग्रेस की तरफ से इस तरह का बयान दिए जाना चंडीगढ़ पर हरियाणा के दावे को कमजोर करने वाला है ।


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भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तरफ से दिए गए बयान को भाजपा नेताओ ने चंडीगढ़ पर दावा कमजोर करने वाला करार दिया है तो वही भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इस बयान के अलग-अलग राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं । राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने कहा कि पश्चिमी हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों की बात करके जाट राजनीति को मजबूत करने की कवायद हो सकती है । उन्होंने कहा कि जिस तरह से विशाल हरियाणा की बात की गई है वह महज दावा भर साबित होगा हालांकि भाजपा की तरफ से भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इस बयान पर चंडीगढ़ के पर दावा कमजोर करने पर प्रोफेसर गुरमीत ने कहा कि ऐसे बयानों से हरियाणा का चंडीगढ़ से दावा कमजोर होने वाला नहीं है यह केवल बयानबाजी ओ तक सीमित रहने वाला है । उन्होंने कहा कि हो सकता है कि यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को एक अपील करने की बात हो सकती है क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुकाबले हरियाणा विकास में काफी आगे है । उन्होंने कहा कि हो सकता है कि आने वाले समय में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एक जाट नेता के तौर पर कांग्रेस प्रोजेक्ट करें क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रचार के लिए जाते रहे हैं ऐसे में ये अपील हो सकती है । उन्होंने कहा कि आज के समय में केंद्र में कांग्रेस की सरकार नहीं है ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इस बयान पर गौर किया जाएगा ऐसा भी मुश्किल है । हालांकि इससे पहले हरियाणा के नेताओं की तरफ से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी अपना वर्चस्व बनाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं जिनमें से इससे जोड़कर भी देखा जा रहा है ।
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गौरतलब है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में हरियाणा से काफी मिलती-जुलती संस्कृति है और राजस्थान के कुछ हिस्से भी हरियाणा से मिलते जुलते हैं ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तरफ से विशाल हरियाणा का बयान देना इन राज्यों के लोगों को अपील करने के तौर पर देखा जा सकता है ।
Last Updated : Nov 27, 2019, 11:42 PM IST
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