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Flashback 2019: हरियाणा की राजनीति की वो बड़ी कहानियां, जो 2019 में बनी सुर्खियां

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Published : Dec 28, 2019, 7:06 AM IST

हरियाणा में 2019 में राजनीतिक तौर पर काफी कुछ घटित हुआ. जहां 2019 में लोकसभा चुनाव हुए वहीं हरियाणा के 13वीं विधानसभा के भी चुनाव हुए. यहां हम आपको बताएंगे साल 2019 की वो राजनीतिक खबरें जो साल भर हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे देश में छाई रही.

haryana politics 2019
haryana politics 2019

चंडीगढ़: साल 2019 में हरियाणा की राजनीति में कई बड़े बदलाव हुए. जींद उपचुनाव से लेकर हरियाणा विधानसभा चुनाव तक पूरे साल राजनीतिक खबरें हरियाणा में छाई रही. इस खास पेशकश में हम आपको बता रहे हैं हरियाणी की 2019 की बड़ी राजनीतिक कहानियां-

जनवरी में हुए जींद उपचुनाव

हरियाणा में साल 2019 में राजनीतिक घटनाओं की शुरूआत हुई थी जींद उपचुनाव से. जींद से इनेलो के विधायक हरिचंद मिड्ढा के निधन के बाद जींद में जनवरी में उपचुनाव हुए. ये उपचुनाव उस दौरान पूरे देश में सुर्खियों में रहे थे जिसके कई कारण थे- पहला इस उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से मैदान में थे पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला.

वहीं इनेलो छोड़कर हरिचंद मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा बीजेपी में शामिल हो चुके थे, तो बीजेपी ने दांव भी कृष्ण मिड्ढा पर ही खेला. वहीं दो महीने पहले ही बनीं और चौधरी देवीलाल के परिवार की दूसरी पार्टी जननायक जनता पार्टी ने भी जींद उपचुनाव से राजनीति की शुरूआत की और मैदान में उतारा चौधरी देवीलाल के पड़पोते दिग्विजय चौटाला को. इस उपचुनाव को हरियाणा विधानसभा का सेमीफाइनल करार दिया गया था और इस चुनाव के नतीजे पूरे देश में चर्चा का विषय बन गए थे.

हरियाणा की राजनीति की वो बड़ी कहानियां, जो 2019 में बनी सुर्खियां, देखिए ये रिपोर्ट.
जींद उपचुनाव में कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला को करारी शिकस्त मिली थी. बीजेपी के कृष्ण मिड्ढा ने इस उपचुनाव में जीत दर्ज की थी. वहीं चुनाव से पहले राजनीति के नौसिखिए बताए गए जेजेपी के दिग्विजय चौटाला दूसरे नंबर पर रहे थे जिसे लोगों ने उनकी बड़ी उपलब्धि बताया था. कांग्रेस के सुरजेवाला इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे थे. वहीं मुख्य विपक्षी दल इनेलो इस उपचुनाव में मात्र 3500 वोट ले पाई थी और इसी के साथ ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के पाले में आने लगी थी.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी का क्लीन स्वीप
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां केंद्र में बीजेपी का ही दबदबा कायम रहा और मोदी सरकार पिछली बार से ज्यादा सीटें जीतते हुए सत्ता पर वापस लौटी तो वहीं कई राज्य ऐसे थे जहां बीजेपी ने सभी सीटें जीतते हुए क्लीन स्वीप किया था. हरियाणा भी उन्हीं राज्य में से एक था. यहां बीजेपी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव के अपने प्रदर्शन को और ताकत देते हुए इस बार क्लीन स्वीप किया और राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर भगवा लहराया.
लोकसभा में हुड्डा पिता-पुत्र की हार
साल 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे थे रोहतक और सोनीपत के. इन दोनों जगह से कांग्रेस के लिए हुड्डा पिता-पुत्र यानि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा मैदान में थे और दोनों ही जगह कांग्रेस को निराशा हाथ लगी. रोहतक की सीट जिसे कांग्रेस हरियाणा में सबसे ज्यादा सुरक्षित मानकर चल रही थी वहां दीपेंद्र हुड्डा की हार ने हरियाणा के साथ-साथ पूरे देश को चौंका दिया था.
दीपेंद्र हुड्डा को करीबी मुकाबले में बीजेपी के उम्मीदवार और पुराने कांग्रेसी अरविंद शर्मा ने हराया था. वहीं पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा काफी अर्से बाद लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे और सोनीपत से मैदान में थे. उन्हें भी पुरानी कांग्रेसी और बीजेपी उम्मीदवार रमेश कौशिक से मात मिली थी. कभी ताऊ देवीलाल को लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव में हराने वाले भूपेंद्र हुड्डा और रोहतक से लगातार तीन बार से चुनाव जीत रहे दीपेंद्र हुड्डा की हार से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था.
हिसार से दुष्यंत चौटाला की हार
2014 में इनेलो के टिकट पर हिसार से चुनाव जीतकर दुष्यंत चौटाला सबसे युवा सांसद के रूप में संसद पहुंचे थे. लेकिन 2019 के चुनाव में सब कुछ बदल गया. इस बार दुष्यंत अपनी पार्टी यानि जेजेपी के टिकट पर मैदान में उतरे थे. उनके सामने बीजेपी ने बृजेंद्र सिंह को उतारा था. बृजेंद्र सिंह चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं जिन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट दिलाने के लिए बीरेंद्र सिंह ने राजनीति तक छोड़ दी थी. इस चुनाव में दुष्यंत को करारा झटका लगा था और पहली बार चुनाव लड़ रहे बीजेपी के बृजेंद्र सिंह ने जीत दर्ज की थी.
कांग्रेस में गुटबाजी के कारण बड़े बदलाव, तंवर की विदाई
हरियाणा में 2019 में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने प्रदेश संगठन में हो रही गुटबाजी को देखते हुए कई बड़े बदलाव किए थे. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को प्रदेश इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया था तो वहीं कुछ दिनों से बगावती तेवर अपना रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव समिति की कमान सौंपते हुए विधायक दल का नेता बनाया गया था. वहीं इन बदलावों के बाद कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण में धांधली के आरोप लगाते हुए पार्टी को अलविदा कह दिया था.
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019
2019 में हरियाणा विधानसभा के चुनाव में किसी को भी बहुमत नहीं मिला था. वहीं चुनाव से ठीक पहले हुड्डा को चुनाव समिति की कमान सौंपने से कांग्रेस को बड़ा फायदा मिला तो दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी किंगमेकर के रूप में उभरकर सामने आई थी. इस चुनाव में बीजेपी ने 40 सीटें जीती थी, कांग्रेस ने 31, जेजेपी ने 10 सीटें और कभी सत्ता पर काबिज रहने वाली इनेलो मात्र एक सीट जीत पाई. 8 सीटें अन्य के खातों में गई.
देवी लाल परिवार की सत्ता में लंबे समय बाद वापसी
2019 के विधानसभा चुनाव में ताऊ देवीलाल के पड़पोते दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी किंगमेकर साबित हुई. चुनाव परिणाम वाले दिन जैसी ही कांग्रेस और बीजेपी को लगा कि किसी को भी बहुमत नहीं मिलने वाला तो दोनों ही दल सत्ता के लिए दुष्यंत चौटाला की तारीफ में कसीदे पढ़ने लग गए थे. चुनाव से पहले जिस पार्टी को बच्चों की पार्टी कहा गया उसी ने हरियाणा में सरकार बनवाई.
कांग्रेस के ऑफर को किनारे करते हुए दुष्यंत चौटाला बीजेपी के साथ गए और हरियाणा में जेजेपी-बीजेपी गठबंधन को सत्ता मिली. दुष्यंत चौटाला को प्रदेश का उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. वहीं निर्दलीय चुनाव जीतने वाले ताऊ देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला को भी हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया और इसी के साथ पूरे 14 साल बाद देवीलाल परिवार की सत्ता में वापसी हुई.

इनेलो का राजनीतिक भविष्य गया अंधेरे में!
साल 2019 इंडियन नेशनल लोकदल के लिए बेहद बुरा रहा. एक तो चौटाला परिवार में कलह के कारण पहले ही परिवार दो दलों में बंट चुका था. इसके बाद रही सही कसर जींद उपचुनाव में मिली हार ने पूरी कर दी. फिर लगा जैसे पार्टी का सूरज डूबता ही चला गया. एक के बाद एक पार्टी के बड़े नेताओं और विधायकों का पार्टी छोड़कर जाना यहां तक की विधानसभा का कार्यकाल खत्म होते होते अभय चौटाला की नेता विपक्ष की कुर्सी भी हाथ से चली गई थी.
इसके बाद पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ा और सभी सीटों पर बुरी तरह हारी. यहां तक कि कई उम्मीदवारों की तो जमानत तक जब्त हो गई थी. इसके बाद विधानसभा चुनाव में इनेलो की जो हालात हुई वो पूरा साल बयां करने के लिए काफी थी. पार्टी विधानसभा चुनाव में मात्र एक सीट जीत पाई. केवल अभय चौटाला ही विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे. पार्टी के लिए ये साल अब तक के सबसे बुरे दौर के रूप दर्ज किया जाएगा.
मनोहर लाल की वापसी, लेकिन बीजेपी के कई मंत्री हारे चुनाव
इस साल हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में सत्तासीन बीजेपी को बड़ा झटका लगा था. विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार के 8 मौजूदा मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष चुनाव हार गए थे. रामबिलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु, ओपी धनखड़ और प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला समेत 5 मंत्री और चुनाव हारे थे. पार्टी चुनाव से पहले 75 पार का नारा देकर जबरदस्त जीत का दावा कर रही थी लेकिन आखिर में हालात कुछ ऐसे हुए कि सत्ता के लिए जेजेपी और निर्दलीयों से समर्थन लेना पड़ा.
बीजेपी ने जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन करके एक बार फिर हरियाणा में सरकार बनाई और मनोहर लाल खट्टर लगातार दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें.तो कुछ ऐसा रहा साल 2019 हरियाणा में राजनीतिक नजरिए से, किसी ने इतिहास बनाया तो कुछ खुद ही इतिहास बन गए. कोई सत्ता से दूर हुआ तो किसी के हाथ सत्ता आते आते रह गई. नई पार्टी का सूरज उदय हुआ और पुराने दल अर्श से फर्श पहुंच गए. अब देखना ये होगा कि 2020 हरियाणा में क्या नए राजनीतिक किस्से लेकर आएगा.
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Flashback 2019: हरियाणा की राजनीति की वो बड़ी कहानियां, जो 2019 में बनी सुर्खियां



हरियाणा में 2019 में राजनीतिक तौर पर काफी कुछ घटित हुआ. जहां 2019 में लोकसभा चुनाव हुए वहीं हरियाणा के 13वीं विधानसभा के भी चुनाव हुए. यहां हम आपको बताएंगे साल 2019 की वो राजनीतिक खबरें जो साल भर हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे देश में छाई रही.



चंडीगढ़: साल 2019 में हरियाणा की राजनीति में कई बड़े बदलाव हुए. जींद उपचुनाव से लेकर हरियाणा विधानसभा चुनाव तक पूरे साल राजनीतिक खबरें हरियाणा में छाई रही. इस खास पेशकश में हम आपको बता रहे हैं हरियाणी की 2019 की बड़ी राजनीतिक कहानियां-

जनवरी में हुए जींद उपचुनाव

हरियाणा में साल 2019 में राजनीतिक घटनाओं की शुरूआत हुई थी जींद उपचुनाव से. जींद से इनेलो के विधायक हरिचंद मिड्ढा के निधन के बाद जींद में जनवरी में उपचुनाव हुए. ये उपचुनाव उस दौरान पूरे देश में सुर्खियों में रहे थे जिसके कई कारण थे- पहला इस उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से मैदान में थे पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला. वहीं इनेलो छोड़कर हरिचंद मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा बीजेपी में शामिल हो चुके थे, तो बीजेपी ने दांव भी कृष्ण मिड्ढा पर ही खेला. 

वहीं दो महीने पहले ही बनीं और चौधरी देवीलाल के परिवार की दूसरी पार्टी जननायक जनता पार्टी ने भी जींद उपचुनाव से राजनीति की शुरूआत की और मैदान में उतारा चौधरी देवीलाल के पड़पोते दिग्विजय चौटाला को. इस उपचुनाव को हरियाणा विधानसभा का सेमीफाइनल करार दिया गया था और इस चुनाव के नतीजे पूरे देश में चर्चा का विषय बन गए थे. 

जींद उपचुनाव में कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला को करारी शिकस्त मिली थी. बीजेपी के कृष्ण मिड्ढा ने इस उपचुनाव में जीत दर्ज की थी. वहीं चुनाव से पहले राजनीति के नौसिखिए बताए गए जेजेपी के दिग्विजय चौटाला दूसरे नंबर पर रहे थे जिसे लोगों ने उनकी बड़ी उपलब्धि बताया था. कांग्रेस के सुरजेवाला इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे थे. वहीं मुख्य विपक्षी दल इनेलो इस उपचुनाव में मात्र 3500 वोट ले पाई थी और इसी के साथ ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के पाले में आने लगी थी.

लोकसभा चुनाव में बीजेपी का क्लीन स्वीप

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां केंद्र में बीजेपी का ही दबदबा कायम रहा और मोदी सरकार पिछली बार से ज्यादा सीटें जीतते हुए सत्ता पर वापस लौटी तो वहीं कई राज्य ऐसे थे जहां बीजेपी ने सभी सीटें जीतते हुए क्लीन स्वीप किया था. हरियाणा भी उन्हीं राज्य में से एक था. यहां बीजेपी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव के अपने प्रदर्शन को और ताकत देते हुए इस बार क्लीन स्वीप किया और राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर भगवा लहराया.

लोकसभा में हुड्डा पिता-पुत्र की हार

साल 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे थे रोहतक और सोनीपत के. इन दोनों जगह से कांग्रेस के लिए हुड्डा पिता-पुत्र यानि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा मैदान में थे और दोनों ही जगह कांग्रेस को निराशा हाथ लगी. रोहतक की सीट जिसे कांग्रेस हरियाणा में सबसे ज्यादा सुरक्षित मानकर चल रही थी वहां दीपेंद्र हुड्डा की हार ने हरियाणा के साथ-साथ पूरे देश को चौंका दिया था. 

दीपेंद्र हुड्डा को करीबी मुकाबले में बीजेपी के उम्मीदवार और पुराने कांग्रेसी अरविंद शर्मा ने हराया था. वहीं पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा काफी अर्से बाद लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे और सोनीपत से मैदान में थे. उन्हें भी पुरानी कांग्रेसी और बीजेपी उम्मीदवार रमेश कौशिक से मात मिली थी. कभी ताऊ देवीलाल को लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव में हराने वाले भूपेंद्र हुड्डा और रोहतक से लगातार तीन बार से चुनाव जीत रहे दीपेंद्र हुड्डा की हार से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था.

हिसार से दुष्यंत चौटाला की हार

2014 में इनेलो के टिकट पर हिसार से चुनाव जीतकर दुष्यंत चौटाला सबसे युवा सांसद के रूप में संसद पहुंचे थे. लेकिन 2019 के चुनाव में सब कुछ बदल गया. इस बार दुष्यंत अपनी पार्टी यानि जेजेपी के टिकट पर मैदान में उतरे थे. उनके सामने बीजेपी ने बृजेंद्र सिंह को उतारा था. बृजेंद्र सिंह चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं जिन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट दिलाने के लिए बीरेंद्र सिंह ने राजनीति तक छोड़ दी थी. इस चुनाव में दुष्यंत को करारा झटका लगा था और पहली बार चुनाव लड़ रहे बीजेपी के बृजेंद्र सिंह ने जीत दर्ज की थी.

कांग्रेस में गुटबाजी के कारण बड़े बदलाव, तंवर की विदाई

हरियाणा में 2019 में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने प्रदेश संगठन में हो रही गुटबाजी को देखते हुए कई बड़े बदलाव किए थे. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को प्रदेश इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया था तो वहीं कुछ दिनों से बगावती तेवर अपना रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव समिति की कमान सौंपते हुए विधायक दल का नेता बनाया गया था. वहीं इन बदलावों के बाद कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण में धांधली के आरोप लगाते हुए पार्टी को अलविदा कह दिया था.

हरियाणा विधानसभा चुनाव

2019 में हरियाणा विधानसभा के चुनाव में किसी को भी बहुमत नहीं मिला था. वहीं चुनाव से ठीक पहले हुड्डा को चुनाव समिति की कमान सौंपने से कांग्रेस को बड़ा फायदा मिला तो दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी किंगमेकर के रूप में उभरकर सामने आई थी. इस चुनाव में बीजेपी ने 40 सीटें जीती थी, कांग्रेस ने 31, जेजेपी ने 10 सीटें और कभी सत्ता पर काबिज रहने वाली इनेलो मात्र एक सीट जीत पाई. 8 सीटें अन्य के खातों में गई.

देवी लाल परिवार की सत्ता में लंबे समय बाद वापसी 

2019 के विधानसभा चुनाव में ताऊ देवीलाल के पड़पोते दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी किंगमेकर साबित हुई. चुनाव परिणाम वाले दिन जैसी ही कांग्रेस और बीजेपी को लगा कि किसी को भी बहुमत नहीं मिलने वाला तो दोनों ही दल सत्ता के लिए दुष्यंत चौटाला की तारीफ में कसीदे पढ़ने लग गए थे. चुनाव से पहले जिस पार्टी को बच्चों की पार्टी कहा गया उसी ने हरियाणा में सरकार बनवाई. 

कांग्रेस के ऑफर को किनारे करते हुए दुष्यंत चौटाला बीजेपी के साथ गए और हरियाणा में जेजेपी-बीजेपी गठबंधन को सत्ता मिली. दुष्यंत चौटाला को प्रदेश का उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. वहीं निर्दलीय चुनाव जीतने वाले ताऊ देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला को भी हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया और इसी के साथ पूरे 14 साल बाद देवीलाल परिवार की सत्ता में वापसी हुई.

इनेलो का राजनीतिक भविष्य गया अंधेरे में

साल 2019 इंडियन नेशनल लोकदल के लिए बेहद बुरा रहा. एक तो चौटाला परिवार में कलह के कारण पहले ही परिवार दो दलों में बंट चुका था. इसके बाद रही सही कसर जींद उपचुनाव में मिली हार ने पूरी कर दी. फिर लगा जैसे पार्टी का सूरज डूबता ही चला गया. एक के बाद एक पार्टी के बड़े नेताओं और विधायकों का पार्टी छोड़कर जाना यहां तक की विधानसभा का कार्यकाल खत्म होते होते अभय चौटाला की नेता विपक्ष की कुर्सी भी हाथ से चली गई थी. 

इसके बाद पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ा और सभी सीटों पर बुरी तरह हारी. यहां तक कि कई उम्मीदवारों की तो जमानत तक जब्त हो गई थी. इसके बाद विधानसभा चुनाव में इनेलो की जो हालात हुई वो पूरा साल बयां करने के लिए काफी थी. पार्टी विधानसभा चुनाव में मात्र एक सीट जीत पाई. केवल अभय चौटाला ही विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे. पार्टी के लिए ये साल अब तक के सबसे बुरे दौर के रूप दर्ज किया जाएगा.

मनोहर लाल की वापसी, लेकिन बीजेपी के कई मंत्री हारे चुनाव 

इस साल हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में सत्तासीन बीजेपी को बड़ा झटका लगा था. विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार के 8 मौजूदा मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष चुनाव हार गए थे. रामबिलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु, ओपी धनखड़ और प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला समेत 5 मंत्री और चुनाव हारे थे. पार्टी चुनाव से पहले 75 पार का नारा देकर जबरदस्त जीत का दावा कर रही थी लेकिन आखिर में हालात कुछ ऐसे हुए कि सत्ता के लिए जेजेपी और निर्दलीयों से समर्थन लेना पड़ा. बीजेपी ने जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन करके एक बार फिर हरियाणा में सरकार बनाई और मनोहर लाल खट्टर लगातार दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें.

तो कुछ ऐसा रहा साल 2019 हरियाणा में राजनीतिक नजरिए से, किसी ने इतिहास बनाया तो कुछ खुद ही इतिहास बन गए. कोई सत्ता से दूर हुआ तो किसी के हाथ सत्ता आते आते रह गई. नई पार्टी का सूरज उदय हुआ और पुराने दल अर्श से फर्श पहुंच गए. अब देखना ये होगा कि 2020 हरियाणा में क्या नए राजनीतिक किस्से लेकर आएगा.

 


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