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Mata Bhadrakali Shaktipeeth In Kurukshetra: हरियाणा का एकमात्र शक्तिपीठ, मनोकामना पूर्ण होने पर चढ़ाते हैं घोड़े, भगवान श्रीकृष्ण का यहीं हुआ था मुंडन!

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 17, 2023, 12:26 PM IST

Mata Bhadrakali Shaktipeeth in kurukshetra इन दिनों शक्ति की देवी मां दुर्गा उपासना का महापर्व चल रहा है. वहीं, हरियाणा का एकमात्र शक्तिपीठ कुरुक्षेत्र में है. कुरुक्षेत्र में मां भद्रकाली मंदिर में नवरात्रि में भक्तों का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त इस शक्तिपीठ में घोड़े चढ़ाते हैं. आखिर शक्तिपीठ को लेकर क्या मान्यताएं हैं आइए जानते हैं. (Shardiya Navratri 2023 Shaktipeeth in Haryana Famous Temple in Haryana)

Mata Bhadrakali Shaktipeeth Temple in Kurukshetra haryana
हरियाणा का एकमात्र शक्तिपीठ माता भद्रकाली शक्तिपीठ.

कुरुक्षेत्र में श्री देवीकूप हरियाणा का एकमात्र शक्तिपीठ भद्रकाली मंदिर.

कुरुक्षेत्र: नवरात्रि में देश भर के माता के मंदिरों में इन दिनों श्रद्धालु शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा-आराधना करने के लिए माता के दरबार में पहुंच रहे हैं. नवरात्रि में माता रानी के मंदिर में इन दिनों हजारों लाखों श्रद्धालु माता रानी के दर्शन करते हैं और अपने परिवार में सुख समृद्धि के लिए कामना करते हैं. वहीं अगर पूरे भारत की बात की जाए वैसे तो माता रानी के देश में हजारों मंदिर है लेकिन जो मान्यता 52 शक्तिपीठ की है इतनी मान्यता दूसरे मंदिरों की नहीं होती. 52 शक्तिपीठों में हरियाणा का एकमात्र मंदिर शामिल है जो कुरुक्षेत्र में मां भद्रकाली का मंदिर है. यहां पर भारत ही नहीं विदेशों से माता के दरबार में श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं. मान्यता है कि यहां माता के दरबार में भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. मनोकामना पूरी होने के बाद यहां घोड़े चढ़ाए जाते हैं. मंदिर को मां भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर के नाम से जाना जाता है.

हरियाणा का एकमात्र शक्तिपीठ: माता भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर के पीठाधीश पंडित सतपाल शर्मा ने बताया कि हरियाणा में एकमात्र शक्तिपीठ है जो कुरुक्षेत्र के उत्तरी छोर पर सरस्वती नदी के तट पर प्राचीन काल समय से ही बना हुआ है. यह भद्रकाली का मंदिर है. इसलिए यह माता काली के लिए समर्पित किया गया है. मान्यता है कि यहां पर जो भी श्रद्धालु माता के आगे मनोकामना मांगता है माता उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

Mata Bhadrakali Shaktipeeth Temple in Kurukshetra haryana
कुरुक्षेत्र में मां भद्रकाली का मंदिर.

कैसे बना था मंदिर?: मंदिर के पीठाधीश पंडित सतपाल शर्मा ने बताया 'धार्मिक कथाओं के अनुसार माता सती के पिता ने अपने कार्यकाल के समय एक यज्ञ किया था, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया जिसके चलते माता सती अपने पिता से काफी नाराज हो गईं. उन्होंने उसे यज्ञ कुंड में ही अपने प्राणों की आहुति दे दी, जैसे ही भगवान भोलेनाथ को इस बात का पता चला तो वह वहां पर गए और माता सती के मृत शरीर को उठाकर वह पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगाने लगे और अपना आपा खो दिया. फिर विष्णु भगवान ने जब उनको देखा कि माता सती के मरने के बाद भगवान भोलेनाथ एक तरह से व्याकुल हो उठे. उसके बाद विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर के 52 टुकड़े कर दिए और जहां-जहां उनके शरीर के टुकड़े गिरे वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गई. शरीर के अंग के आधार पर ही उन मंदिरों की मान्यता बढ़ती गई.'

Mata Bhadrakali Shaktipeeth Temple in Kurukshetra haryana
नवरात्री में माता भद्रकाली शक्तिपीठ में भारी संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु.

श्री देवीकूप मां भद्रकाली शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध: मान्यता है कि कुरुक्षेत्र में माता सती के पैर का दायां टखना कुरुक्षेत्र में बने एक कुएं में गिरा था. तभी से यहां माता भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर बोले जाने लगा और माता का पैर टखना कुएं में गिरने के चलते मंदिर श्री देवीकूप मां भद्रकाली शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध हो गया. इसका वामन पुराण में भी किया गया है जिसकी बहुत ही ज्यादा मानता है, वैसे तो 12 के 12 महीने मंदिर में श्रद्धालु माता रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं, लेकिन शनिवार के दिन और नवरात्रि के दौरान माता रानी के मंदिर में आकर पूजा अर्चना करने से उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है.

Mata Bhadrakali Shaktipeeth Temple in Kurukshetra haryana
माता भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर.

मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में चढ़ाए जाते हैं घोड़े: पंडित सतपाल शर्मा कहते हैं, महाभारत काल का एक किस्सा है जिसके चलते माता भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर में घोड़े चढ़ाने की मान्यता चली आ रही है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध लड़ा गया था. उस समय भगवान श्री कृष्ण ने पांचो पांडवों को कहा था कि अगर उनको इस बड़े युद्ध में जीत हासिल करनी है तो पहले वह माता भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर में जाएं और जीत के लिए माता रानी का आशीर्वाद लें. उसके बाद वह भगवान श्री कृष्ण के साथ भद्रकाली के मंदिर में गए और युद्ध में जीत हासिल करने की मनोकामना मांगी. मान्यता है कि महाभारत युद्ध जीतने पर उन्होंने यहां पर घोड़े चढ़ा कर दान किया था. तभी से यह मान्यता चली आ रही है. जिन भक्तों की मनोकामना पूरी होती है, वह यहां पर सामर्थ्य अनुसार मिट्टी, पत्थर, सोने, चांदी इत्यादि के घोड़े चढ़ाते हैं. मंदिर में पूर्व राष्ट्रपति और कई बड़ी हस्तियां भी अपने मनोकामना पूरी होने के बाद माता रानी के दरबार में घोड़े चढ़ा चुके हैं.

Mata Bhadrakali Shaktipeeth Temple in Kurukshetra haryana
मंदिर में घोड़े चढ़ाने को लेकर है विशेष मान्यता.

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बाल्यावस्था में श्री कृष्ण भगवान और बलराम का इसी मंदिर में हुआ था मुंडन: पंडित सतपाल शर्मा ने बताया कि 'मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण भगवान कुरुक्षेत्र में कई बार आए थे. वह अपने बाल्यावस्था में भी अपने माता-पिता के साथ यहां पर आए थे. 5 वर्ष की आयु में उनका ओर उसके भाई बलराम मुंडन माता भद्रकाली के मंदिर में सरस्वती नदी के तट पर मौजूद बरगद के वट वृक्ष के नीचे हुआ था. यह वट वृक्ष महाभारत काल के समय से आज तक यहां पर खड़ा है.'

Mata Bhadrakali Shaktipeeth Temple in Kurukshetra haryana
कुरुक्षेत्र में माता भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर.

माता सती के दायां पैर का टखना आज भी है मंदिर में मौजूद: मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने जब अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर के 52 हिस्से कर दिए थे, तब यहां पर आकर ही माता सती के दायां पैर के घुटने के नीचे का भाग यहां पर गिरा था जो आज भी मंदिर में मौजूद है मंदिर प्रशासन के द्वारा अब इसको अलग से एक संगमरमर के पत्थर के द्वारा बनाया गया है जहां पर आकर सभी भक्तों के दर्शन करते हैं.

Mata Bhadrakali Shaktipeeth Temple in Kurukshetra haryana
माता सती के दाएं पैर के घुटने के नीचे का भाग आज भी मंदिर में मौजूद!

माता के मंदिर में विदेश से आते हैं श्रद्धालु: पंडित सतपाल शर्मा ने बताया कि माता के दर्शन करने के लिए प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. सभी का माता की शक्ति के ऊपर बहुत ही ज्यादा विश्वास है. कहते हैं जो भी श्रद्धालु यहां पर आकर अपनी मन्नत मांगता है, माता उसकी सभी कामना पूरी कर देती हैं. इसलिए नवरात्रि में लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता रानी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं .

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