श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर RSS के बाल गोपालों ने सुनाई एक लय में बांसुरी की धुन
मध्य प्रदेश के उज्जैन बाबा महाकाल की नगरी में हर त्योहार का अपना अलग महत्व है. श्री कृष्ण की विद्यास्थली कही जाने वाली प्रसिद्ध और पवित्र नगरी अवन्तिका में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) की पूर्व संध्या को भारत माता मंदिर के सामने आनंदमय कर देने वाली राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के 200 से अधिक बाल गोपालों ने एक लय, एक ताल में बांसुरी की धुन पर श्रीकृष्ण के भजनों की धुन बजाई. स्वयं सेवकों ने ये धुन तीन महीने के प्रशिक्षण शिविर के दौरान सीखी है. कोरोना (Corona) की ऐसी स्थिति के बावजूद बाल गोपालों ने ऑनलाइन के माध्यम से एक लय में एक धुन को एक साथ प्रस्तुत करने जैसा चमत्कार कर दिखाया है. मुख्य वक्ता जगदीश प्रसाद ने कहा कि बंसी और शंख दोनों ही वाद्य श्रीकृष्णा को प्रिय हैं और वे इसका वादन भी करते हैं. बंसी वाद्य का संदेश सम्पूर्ण समर्पण है. बंसी हमें प्रेम का संदेश देती है. कृष्णा जब तक गोकूल में रहे, उन्होंने बंसी का वादन किया, लेकिन जैसे ही कर्म क्षेत्र में आए तो, हम देखते हैं कि महाभारत में पांचजन्य शंख का वादन किया, तो शत्रु भयभीत हो गए. वर्तमान के संक्रमण काल में भी हमे भयभीत न होकर कोरोना का सामना करना है. कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर वंशी वादन का कार्यक्रम कोरोना के नियमों का पालन करते हुए आयोजित किया गया.