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Positive Bharat Podcast: "बहरों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है", देश को ऐसे पढ़ाया था क्रांति का पाठ...

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Published : Apr 8, 2022, 6:02 PM IST

उस रोज़ घड़ी में दोपहर के साढ़े बारह बज रहे थे. वल्लभ भाई पटेल के बड़े भाई और सेंट्रल असेंबली के अध्यक्ष विठलभाई पटेल ट्रेड डिस्प्यूट बिल पर हुई वोटिंग का रिजल्ट बताने के लिए खड़े थे. ये वो वक्त था जब सदन में दो बिलों पर वोटिंग हो चुकी थी. यह बिल थे ट्रेड डिस्प्यूट बिल और पब्लिक सेफ्टी बिल, लेकिन इससे पहले की अध्यक्ष वोटिंग का रिजल्ट बता पाते. असेंबली के बीचों-बीच खाली जगह पर दो बम आकर गिरे और जोरदार धमाके के बीच सदन में अफरा-तफरी मच गयी. चारों तरफ फैले धुएं के बीच नारों की आवाज सुनाई दी. इंकलाब जिंदाबाद, ब्रिटिश साम्राज्यवाद का अंत हो....

बहरों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है
बहरों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है

उस रोज़ घड़ी में दोपहर के साढ़े बारह बज रहे थे. वल्लभ भाई पटेल के बड़े भाई और सेंट्रल असेंबली के अध्यक्ष विठलभाई पटेल ट्रेड डिस्प्यूट बिल पर हुई वोटिंग का रिजल्ट बताने के लिए खड़े थे. ये वो वक्त था जब सदन में दो बिलों पर वोटिंग हो चुकी थी. यह बिल थे ट्रेड डिस्प्यूट बिल और पब्लिक सेफ्टी बिल, लेकिन इससे पहले की अध्यक्ष वोटिंग का रिजल्ट बता पाते. असेंबली के बीचों-बीच खाली जगह पर दो बम आकर गिरे और जोरदार धमाके के बीच सदन में अफरा-तफरी मच गयी. चारों तरफ फैले धुएं के बीच नारों की आवाज सुनाई दी. इंकलाब जिंदाबाद, ब्रिटिश साम्राज्यवाद का अंत हो....
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