विश्व मस्तिष्क दिवस 2020:पार्किंसंस रोग को खत्म करने बढ़ाये कदम

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Published : Jul 22, 2020, 4:02 PM IST

world brain day

बढ़ती उम्र के साथ मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी होना आम बात है, लेकिन यह बीमारी उतनी ही गंभीर है. मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल विश्व मस्तिष्क दिवस मनाया जाता है. इस साल मस्तिष्क से जुड़ी पार्किंसंस रोग पर लोगों का ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि सभी साथ मिलकर इस रोग को खत्म कर सकें.

हर साल 22 जुलाई को विश्व मस्तिष्क दिवस (वर्ल्ड ब्रेन डे) के रूप में मनाया जाता है. वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलॉजी (डब्लूएफएन) ने इसकी शुरूआत 22 जुलाई 2014 को की थी और आज इसका 6 वां साल मनाया जा रहा है. डब्लूएफएन (WFN) के साथ अन्य कई संस्थाएं मिलकर मस्तिष्क स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं पर लोगों का ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रही है. इसके साथ ही मस्तिष्क स्वास्थ्य से संबंधित लोगों में जागरूकता फैला रही है.

हर साल डब्लूएफएन मस्तिष्क से संबंधित थीम रखता है, जिसके आधार पर जागरूकता फैलाई जाती है. साल 2020 की थीम पार्किंसंस रोग पर आधारित है, जिसमें कहा गया है कि 'पार्किंसंस रोग को समाप्त करने के लिए एक साथ कदम बढ़ाएं.' यह एक न्यूरोडीजेनरेटिव बीमारी है, जो दुनिया भर में हर उम्र के लगभग 7 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करती है. पार्किंसंस संचार और मस्तिष्क समारोह के लगभग सभी पहलुओं को प्रभावित कर सकता है और इससे पीड़ित लोगों के विशेष रूप से कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित होने की संभावना होती है.

पार्किंसंस रोग क्या है?

पार्किंसंस रोग को मूवमेंट डिसऑर्डर के नाम से भी जाना जाता है. पार्किंसंस रोग पुरानी न्यूरोडीजेनरेटिव मस्तिष्क रोग है, जो एक प्रगतिशील विकार हैं. ये आम तौर पर बड़ी उम्र के लोगों में देखा जाता हैं, लेकिन यह कम उम्र में भी हो सकता है. यह रोग मस्तिष्क के कुछ भागों में विकार के कारण होता है. पार्किंसंस रोग एक घातक बीमारी नहीं है, लेकिन यह रोगी का जीवन बेहद मुश्किल बना देती है.

मस्तिष्क हमारे शरीर के अन्य हिस्सों में न्यूरोट्रांसमीटर रसायनों के रूप में संदेश भेजता है. हमारे शरीर में जब डोपामाइन नामक रसायन कम हो जाता है, तब पार्किंसंस रोग होता है, जो शरीर की सारी गतिविधियों को मुश्किल करता है.

पार्किंसंस रोग के शुरूआती दौर में शरीर का एक हिस्सा प्रभावित होता है, जिसमें कंपन, मांसपेशियों में कठोरता, असंतुलित शरीर आदि लक्षण दिखाई देते हैं. मानसिक रोगों के लक्षण जैसे अवसाद, तनाव, चिंता, अनिद्रा पाए जाते हैं.

लंबे समय से इस पर शोध चल रहा है. लेकिन आज तक इसका कारण और उपचार स्पष्ट नहीं हो पाया हैं.

पार्किंसन का इलाज करने के लिए डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सबसे मुख्य सर्जरी है. इस सर्जरी से शरीर की विविध गतिविधियों से संबंधित लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.

कोरोना महामारी के दौरान पार्किंसंस रोगी

कोरोना महामारी के 6 महीनों में हम सभी अभी भी सीख रहे हैं कि यह बीमारी क्या कर सकती है. फेफड़े की बीमारी से पीड़ित लोगों में अब मस्तिष्क की बीमारी की संभावना सामने आ रही हैं और उन लोगों में भी हैं, जो ठीक हो रहे है.

जब मस्तिष्क और नसों की बात आती है, तो वायरस के चार मुख्य प्रभाव दिखाई देते हैं:

  • एक उलझन वाली स्थिति (जिसे प्रलाप या एन्सेफैलोपैथी के रूप में जाना जाता है), कभी-कभी मनोविकृति और स्मृति में गड़बड़ी होती है.
  • मस्तिष्क की सूजन (एन्सेफलाइटिस के रूप में जाना जाता है). इसमें भड़काऊ घावों को दर्शाने वाला एक रूप शामिल है, जो तीव्र प्रसार एन्सेफैलोमेलिटिस (एडीईएम) के साथ-साथ मस्तिष्क में कम ऑक्सीजन के प्रभाव को दर्शाता है.
  • रक्त के थक्के, जो स्ट्रोक की संभावना को बढ़ाता है.
  • शरीर में नसों की संभावित क्षति करता है, जिससे दर्द और सुन्नता होती है जैसे पोस्ट-संक्रामक गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के रूप में, जिसमें आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली आपकी नसों पर हमला करती है.

तो चलिए 22 जुलाई को विश्व मस्तिष्क दिवस पर वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलॉजी एंड इंटरनेशनल पार्किंसन एंड मूवमेंट डिसऑर्डर सोसाइटी में शामिल होकर एक साथ मिलकर पार्किंसन रोग को समाप्त करते हैं.

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