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एथलीट के शरीर में बनने वाले प्रोटीन से संभव है अल्जाइमर्स, अन्य न्यूरोलाजिकल बीमारियों का इलाज

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Published : Dec 18, 2021, 6:07 PM IST

Protein in athlete's body may help treat Alzheimer's and other neurological diseases, dementia treatment, neurological disorders, न्यूरोलाजिकल बीमारियों का इलाज
अल्जाइमर्स और अन्य न्यूरोलाजिकल बीमारियों का इलाज

शारीरिक रूप से सक्रिय लोगों विशेषकर एथलीट के शरीर में मौजूद प्रोटीन का इस्तेमाल अल्जाइमर्स और अन्य न्यूरोलाजिकल बीमारियों के इलाज में कारगर हो सकता है. हाल में हुए एक शोध में चूहों पर किए गए परीक्षण में शोधकर्ताओं ने इस बात के संकेत दिए हैं.

क्या आप जानते हैं कि शारीरिक रूप से सक्रिय एथलीट के शरीर में बनने वाले प्रोटीन से न सिर्फ किसी अन्य व्यक्ति के दिमाग की सक्रियता को बढ़ाया जा सकता है बल्कि इससे अल्जाइमर्स और कमजोर याददाश्त संबंधी तथा अन्य न्यूरोलाजिकल समस्याओं में राहत भी मिल सकती है. इस दिशा में हाल ही में किए गए एक शोध में शोधकर्ताओं को काफी सकरात्मक परिणाम मिले हैं. नेचर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में चुहों पर परीक्षण के आधार पर निष्कर्ष दिए गए थे.

चूहों पर हुआ परीक्षण

हाल ही में नेचर जर्नल में प्रकाशित एक शोध में सामने आया है कि शारीरिक रूप से सक्रिय जीवों विशेषकर एथलीट का रक्त चढ़ाने से अल्जाइमर्स तथा अन्य न्यूरोलाजिकल बीमारियों के पीड़ितों का इलाज किया जा सकता है. इस शोध में चुहों पर परीक्षण किया गया था.

गौरतलब है कि इस शोध में परीक्षण के दौरान शोधकर्ताओं ने ऐसे चूहों का रक्त शारीरिक रूप से निष्क्रिय तथा मानसिक समस्याओं को झेल रहे चूहों में इंजेक्शन के माध्यम से डाला था, जिन्हें शारीरिक रूप से काफी सक्रिय रखा गया था, जैसे उन्हें काफी देर तक दौड़ाया या खेलाया गया था.

परीक्षण के नतीजों में सामने आया था कि शारीरिक रूप से सक्रिय चूहों का रक्त इंजेक्ट किए जाने के बाद मानसिक समस्याओं से पीड़ित चूहों ने सीखने और याददाश्त के परीक्षण में बेहतर नतीजे दिए थे. साथ ही इस प्रक्रिया के उपरांत चूहों में अल्जाइमर्स और अन्य न्यूरोलाजिकल बीमारियों के चलते होने वाली दिमागी सूजन में भी कमी पाई गई थी. शोध में सक्रिय चूहों के खून में काफी मात्रा में ऐसे तत्व, विशेषकर प्रोटीन पाए गए थे जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने तथा अल्जाइमर्स जैसी समस्या के इलाज में काफी सकारात्मक तथा लाभकारी प्रभाव डाल सकते हैं.

शोध तथा उसके नतीजों के बारे में जानकारी देते हुए मैसाचुसेट्स जनरल हास्पिटल तथा हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के न्यूरोलाजी विभाग के प्रो. रुडोल्फ तांजी ने बताया कि मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से वर्तमान समय में व्यायाम के दौरान शरीर में बनने वाले प्रोटीन के फ़ायदों को लेकर काफी शोध किए जा रहे हैं. यह शोध भी उन्हीं में से एक कड़ी है.

उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में चूहों पर ही हुए एक अन्य शोध के नतीजों में भी यह बात सामने आई थी कि व्यायाम से अल्जाइमर्स वाले चूहों के मस्तिष्क की सेहत में सुधार हुआ था. गौरतलब है कि उक्त शोध का आयोजन भी प्रो. रुडोल्फ तांजी द्वारा ही किया गया था.

हालांकि इस शोध के नतीजों में प्रो. रुडोल्फ तांजी ने इस बात पर जोर दिया है कि अल्जाइमर्स और अन्य न्यूरोलाजिकल बीमारियों के इलाज के रूप में रक्त इंजेक्ट करने की बजाय रक्त में मिलने वाले फायदेमंद प्रोटीन के बारे में ज्यादा शोध कर उनसे संबंधित उपचार या दवाई विकसित किया जाना ज्यादा बेहतर विकल्प है. इसलिए इस विषय पर हर क्षेत्र में ज्यादा शोध किया जाना चाहिए. साथ ही उक्त शोधों को सिर्फ प्रोटीन तक सीमित करने की बजाय उनमें रक्त में मिलने वाले अन्य लाभकारी तत्वों तथा शरीर पर उनके प्रभावों के बारे में जानकारी एकत्रित करने का प्रयास किया जाना चाहिए.

क्या कहते हैं अन्य शोध

मस्तिष्क संबंधी विकारों के लिए प्रोटीन के फायदों को लेकर पूर्व में स्टेनफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन द्वारा भी एक शोध किया गया था, जिसमें शोधकर्ताओं ने पाया था कि लिवर और हृदय की मांसपेशियों के सेल्स में बनने वाला क्लस्टरिन प्रोटीन मस्तिष्क में जलन व सूजन जैसी अवस्थाओं में राहत दिला सकता है. इस शोध में 20 बुजुर्ग सैनिकों को शामिल किया गया था, जिन्हें पहले से डिमेंशिया था. शोध में इन प्रतिभागियों को लगातार छः महीने तक व्यायाम वाली दिनचर्या का पालन करने का निर्देश दिया था. छह महीने के उपरांत प्रतिभागियों के रक्त में क्लस्टरिन की मात्रा उच्च स्तर में पाई गई थी, साथ ही यह भी पाया था कि छः महीने बाद प्रतिभागियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ था. इस शोध के निष्कर्षों में भी शोधकर्ताओं ने मानसिक समस्यायों के निदान के लिए क्लस्टरीन के महत्व और उनके उपयोग को लेकर ज्यादा शोध किए जाने की बात भी कही थी.

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