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समय से पहले रजोनिवृत्ति: क्या हैं कारण

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Published : Jun 13, 2021, 8:00 AM IST

किशोरावस्था के शुरुआती वर्षों से लेकर लगभग 45 से 50 वर्ष तक अधिकांश महिलाओं में माहवारी नियमित रहती है। प्रजनन के लिए जरूरी माने जाने वाले इस नियमित चक्र का बंद होना रजोनिवृत्ति यानी मेनोपोज कहलाती है। आमतौर पर यह अवस्था महिलाओं में 45 वर्ष से 50 वर्ष के बीच आती है लेकिन कई बार विभिन्न कारणों से यह नियत आयु से पहले ही बंद हो जाती है।

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समय से पहले रजोनिवृत्ति

समय से पहले रजोनिवृत्ति यानी वह अवस्था जिसमें महिलाओं में 40 वर्ष या उससे पहले ही रजोनिवृत्ति के लक्षण नजर आने लगते हैं, और उनकी माहवारी बंद हो जाती है। महिलाओं में एस्ट्रोजेन की कमी को मुख्य रूप से समय से पहले रजोनिवृत्ति के लिए जिम्मेदार माना जाता हैं।

एन्नालस ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज रिसर्च (एएमएचएसआर) में प्रकाशित एक शोध में समय से पूर्व रजोनिवृत्ति को 40 वर्ष से पूर्व ओवरियन फेल्योर (पीओएच) के रूप में परिभाषित किया गया है। हालांकि महिलाओं में इस स्तिथि के उत्पन्न होने की आशंका सिर्फ 1% होती है, लेकिन यदि ऐसा होता है तो उनमें हृदय या न्यूरोलॉजिकल रोगों, मनोदशा संबंधी विकारों, मनोवैज्ञानिक शिथिलता, शारीरिक संबंध बनाने में असमर्थता तथा बांझपन जैसी समस्याएं देखने में आ सकती है।

समय से पहले रजोनिवृत्ति के कारण

नियत समय से पूर्व रजोनिवृत्ति के कई कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।

  • आनुवंशिक असामान्यताएं: सेक्स क्रोमोसोम की असामानता के कारण समय से पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है।
  • ऑटो-इम्यून रोग: एस.एल.ई यानी सिस्टमिक ल्यूपस एरीटामेटोसस तथा थायरॉइडाइटिस जैसे ऑटो-इम्यून विकार समय से पहले रजोनिवृत्ति का कारण बन सकते हैं।
  • कीमोथेरेपी तथा रेडियोथेरेपी: इन उपचारों के परिणामस्वरूप महिलाओं में समय से पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है।
  • अंडाशय या गर्भाशय को हटाना: किसी भी रोग या अवस्था के कारण अंडाशय या गर्भाशय को हटाने से माहवारी बंद हो जाती है
  • पारिवारिक इतिहास: यदि परिवार में पहले से समय से पहले रजोनिवृत्ति का इतिहार हो तो भी महिला को यह समस्या हो सकती है।
  • धूम्रपान: कई बार जरूरत से ज्यादा विषाक्त पदार्थों जैसे तंबाकू के सेवन से भी समय से पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है।
  • मधुमेह : मधुमेह के कारण भी कई बार कुछ महिलाएं समय से पहले मेनोपॉज का अनुभव कर सकती हैं।

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समय से पहले रजोनिवृत्ति के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव

लांसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक 40 से 44 वर्ष आयु की रजोनिवृत्त महिलाओं में हृदय संबंधी समस्याएं होने का खतरा 40 फीसदी अधिक होता है। इस संबंध में दुनिया भर किए गए विभिन्न शोधों के नतीजे बताते हैं की जो महिलाएं समय से पहले रजोनिवृत्ति का अनुभव करती हैं, उनमें मूड डिसऑर्डर, मानसिक रोग, ऑस्टियोपोरोसिस, हृदय रोग और जीवन की गुणवत्ता में कमी होने का बड़ा खतरा हो सकता है। इनके अतिरिक्त समय से पहले रजोनिवृत्ति होने पर कुछ और गंभीर समस्याएं भी सामने आ सकती हैं। जो इस प्रकार हैं।

  • एक अध्ययन के अनुसार, समय से पहले रजोनिवृत्त महिला में स्तन कैंसर होने का जोखिम भी बढ़ जाता है.
  • समय से पहले रजोनिवृत्ति महिलाओं में बांझपन का कारण बनता है।
  • यह अवस्था महिला में भावनात्मक तनाव और अवसाद का कारण बन सकती है।
  • शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा कम होने पर योनि में सूखापन होने जैसी समस्या भी सामने आ सकती है। कम एस्ट्रोजन के कारण पार्किंसंस रोग, मनोभ्रंश और कोरोनरी धमनी रोगों के जोखिम बढ़ जाते हैं।

समय से पहले रजोनिवृत्ति के लक्षण

अलग अलग महिलाओं में समय से पूर्व रजोनिवृत्ति के अलग अलग लक्षण नजर आ सकते हैं। वहीं कई बार कुछ महिलाओं में ऐसे अवस्था में किसी भी प्रकार के लक्षण नही नजर आते है।

आमतौर पर जिन महिलाओं में लक्षण नजर भी आते हैं वह प्राकृतिक रजोनिवृत्ति जैसे ही होते हैं जैसे शरीर में अचानक गर्मी लगना , सेक्स के दौरान असुविधा महसूस होना , स्तनों में असहजता , रात को पसीना आना , नींद न आना चिड़चिड़ा पन, महसूस होना या ज्यादा गुस्सा आना आदि।

क्या समय से पहले रजोनिवृत्ति का इलाज संभव है

रजोनिवृत्ति का बंद होना रोका नहीं जा सकता। लेकिन कुछ उपायों और उपचारों की मदद से इसके पार्श्व प्रभावों पर नियंत्रण अवश्य किया जा सकती है। जो इस प्रकार हैं।

  • योनि में सूखेपन की समस्या को दूर करने के लिए हार्मोन थेरेपी की मदद ली जा सकती है।
  • हड्डियों संबंधी समस्या से बचने के लिए कैल्शियम, एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन डी सप्लीमेंट्स लेने चाहिए।
  • समय से पहले रजोनिवृत्ति की अवस्था में कई बार महिलाओं का वजन भी बढ़ सकता है । न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए इस अवस्था में महिलाओं को नियमित व्यायाम करना चाहिए।
  • ऐसी अवस्था में महिलाओं को कैल्शियम तथा फाइबर युक्त भोजन करना चाहिए। भोजन में फल और सब्जियों की मात्रा बढ़ देनी चाहिए, खूब पानी पीना चाहिए, तथा मीठे का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए।
  • धूम्रपान और शराब के सेवन से बचना चाहिए।
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